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जिन लोगों ने पत्र कांड किया है वे आचार्य समय सागर से मांगे माफी : ब्र. रेखा दीदी

राहतगढ़ बस स्टैंड स्थित गार्डन में शनिवार को गुरु भक्त समर्पण कार्यक्रम का जैन समाज ने किया। सभा में ब्रह्मचारिणी रेखा दीदी ने कहा कि उन्होंने पत्र कांड खोलकर की जन-जन के बीच पहुंचाया है। जिन लोगों ने पत्र कांड किया है वा सहयोग किया है वह सब आचार्य समय सागर जी महाराज का के पास जाकर के उनसे प्रायश्चित ले लें और आचार्यश्री जो सजा दें वह हमें मान्य है।

सागर

Reshu Jain

Aug 24, 2025

गुरु भक्त समर्पण कार्यक्रम का आयोजन

सागर. राहतगढ़ बस स्टैंड स्थित गार्डन में शनिवार को गुरु भक्त समर्पण कार्यक्रम का जैन समाज ने किया। सभा में ब्रह्मचारिणी रेखा दीदी ने कहा कि उन्होंने पत्र कांड खोलकर की जन-जन के बीच पहुंचाया है। जिन लोगों ने पत्र कांड किया है वा सहयोग किया है वह सब आचार्य समय सागर जी महाराज का के पास जाकर के उनसे प्रायश्चित ले लें और आचार्यश्री जो सजा दें वह हमें मान्य है। उन्होंने कहा कि हमारे तीन पुतले जल चुके हैं जितने जलाना है मुझे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन सत्य उद्घाटित होना चाहिए। यदि मैं गलत हूं तो पूरी समाज तो जो दंड देना चाहे वह दंड भोगने के लिए वह तैयार है।इस कार्यक्रम में लगभग 2000 लोगों ने संभाग भर से आकर आचार्य भगवान के संदर्भ में एक साथ कहा आचार्य समय सागर महाराज थे हैं और रहेंगे। आचार्यश्री और उनके संघ के किसी भी साधु के खिलाफ कभी भी कोई गलत टिप्पणी होगी उसका जमकर प्रतिकार किया जाएगा। ब्रह्मचारी संजीव भैया ने कहा कि आचार्य कुंदकुंद स्वामी के बाद यदि किसी आचार्य ने जन-जन के लिए सब कुछ दिया है तो वह आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने दिया है। उन्होंने कहा की मूल आमना एवं मूल संस्कृति के तो एक ही आचार्य समय सागर जी ही रहेंगे, भैया जी ने कहा की आचार्य समय सागर जी आने वाले समय में समूचे विश्व के लिए धर्म की अलग ही अलख जगाएंगे। और आने वाला युग समय सागर जी का युग होगा। एड. पीसी नायक ने कहा कि गुरुदेव विद्यासागर महाराज के दर्शन के बाद प्रत्येक व्यक्ति ने अपने जीवन में परिवर्तन को महसूस किया है। गुरुदेव ने इस भव की कमाई को अगले भव तक दान के द्वारा ले जाने का रास्ता हम सभी को बताया है। सुशील जैन रहली ने कहा कि गुरु का अपमान एवं तिरस्कार संसार का सबसे बड़ा विष है। आचार्य गुरुदेव चतुर्विध संघ स्थापित करने वाले ऐसे पहले आचार्य हैं। जैन मुनि शक्ति संपन्न होते हैं परंतु वह कभी उनका उपयोग नहीं करते।