
धनुष भंग के साथ श्री रघुवर कोमल कमल नयन को जनकनंदनी ने पहनाई जयमाला। इसके बाद कन्यादान, भांवर, पांव पखराई और सात-पांच वचन के साथ पूरे विधि विधान से विवाह संस्कार हुए। भगवान श्रीराम का जानकीजी के साथ धूमधाम से ब्याह रचाया गया। ऐसे दृश्य शहर के प्रमुख मंदिरों में मंगलवार को देखने को मिले। अगहन शुक्ल पक्ष पंचमी पर भगवान राम का विवाह महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। शहर के बड़ा बाजार स्थित रामबाग मंदिर, देव बांके राघव मंदिर, इतवारा बाजार स्थित देव सिद्धेश्वर हनुमान मंदिर, भीतर बाजार स्थित संकट मोचन मंदिर, काकागंज हनुमान मंदिर, चकराघाट स्थित धनुषधारी मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में प्रभु श्रीराम व सीताजी के विवाह संस्कार हुए। इसके पहले चकराघाट स्थित धनुषधारी मंदिर सहित सभी मंदिरों में भगवान राम व माता जानकी का अभिषेक पूजन कर नए वस्त्रों से विशेष श्रृंगार किया गया।
इतवारा बाजार स्थित देव सिद्धेश्वर हनुमान मंदिर में शाम को बारात का स्वागत सत्कार हुआ। पुजारी ओम मिश्रा ने बताया कि विवाह पंचमी पर सुबह भगवान राम जानकी का अभिषेक पूजन किया गया। दोपहर में 3 बजे माता जानकी को महिला भक्त मंडल द्वारा विवाह के गीतों के साथ हल्दी चढ़ाई गई। शाम को बारात आगमन और द्वारचार की विभिन्न रस्में हुई। रात्रि में मां सीता व प्रभु राम की भाबर हुई। पांव पखराई के बाद महाआरती की गई। इसके बाद प्रसादी वितरण हुआ।
भगवान राम की बारात शोभायात्रा मारुति भवन चमेली चौक से शुरू होकर गाजे-बाजों के साथ देव नागेश्वर मंदिर पहुंची। संतोष सोनी मारुति ने बताया कि मंदिर में भगवान का टीका, धनुष खंडन, वरमाला, पैर पखरई, भाबर एवं कन्यादान सहित सभी वैवाहिक संस्कार पूरे विधि विधान से हुए। इसके बाद भोग महाआरती मंडप के विभिन्न संस्कार नेग के साथ महिलाओं द्वारा विदाई मीत के साथ चुलिया-टिपारा विवाह सामग्री आदि सौंपकर विदा की गई।
रामबाग मंदिर में प्रभु राम व जानकी का विवाह महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। महंत घनश्याम दास महाराज ने बताया कि सुबह 9 बजे मंगला आरती के बाद गणेश पूजन किया गया। सुबह 10 बजे से भगवान राम एवं माता जानकी का अभिषेक पूजन हुआ। दोपहर 12.30 बजे राजभोग आरती एवं सहस्त्रार्चन किया गया। पुजारी हरिशरण उपाध्याय ने बताया कि दोपहर 3 बजे से विवाह संस्कार शुरू हुए जो रात तक चलते रहे। शाम 6 बजे विशेष श्रृंगार के साथ आरती हुई। विवाह संस्कार रात तक चलते रहे। महिलाओं ने बने दूल्हा छवि देखो भगवान की… जैसे अनेक मंगल गीत गाए।
Published on:
26 Nov 2025 05:06 pm

