
इस खेत तालाब के नाम पर हुआ खेल
जनपद पंचायत लवकुशनगर की ग्राम पंचायत बम्हौरी पुरवा में हुए खेत-तालाब घोटाले ने यह साफ कर दिया है कि भ्रष्ट कर्मचारियों और जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई न होने से घोटाले लगातार बढ़ते रहते हैं। पंचायत स्तर पर धांधली करने वालों को सजा नहीं मिलने के कारण कर्मचारी नियमों की अनदेखी करने और सरकारी राशि हड़पने में कोई डर महसूस नहीं करते।
पांच वर्ष पहले ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों ने बम्हौरी पुरवा निवासी रिटायर्ड तहसीलदार दयाराम वंशकार के पुत्र और भोपाल में पदस्थ डिप्टी कलेक्टर विजय वंशकार के नाम पर नियम विरुद्ध खेत-तालाब स्वीकृत कर दिया। स्वीकृति मिलने के बाद मस्टर रोल के माध्यम से 2 लाख 27 हजार रुपए निकालकर हड़प लिए गए। सरपंच, सचिव और मनरेगा अमले ने मिलकर गैर-योग्य हितग्राही के नाम यह निर्माण कार्य स्वीकृत कराया। एसडीओ मनरेगा और एपीओ मनरेगा की मिलीभगत से तकनीकी स्वीकृति भी जारी करवा ली गई। कागजों में तालाब का काम पूर्ण दिखा दिया गया, जबकि वास्तविक स्थिति यह थी कि तालाब उपयोग लायक नहीं था और काम अधूरा या नाम मात्र का था। मामला उजागर होने पर 2 जून 2020 को जिला पंचायत सीईओ ने जनपद पंचायत को स्पष्ट निर्देश दिए कि सरपंच-सचिव सहित संबंधित दोषियों पर एफआईआर कराई जाए।
जांच के बाद मामला जुझारनगर थाना पहुंचा, लेकिन यहां गड़बड़ी और बढ़ गई। पुलिस को भेजी गई दो रिपोर्टों में एक में 7 और दूसरी में 4 आरोपियों के नाम थे। इस विरोधाभास के कारण पुलिस कार्रवाई को लेकर उलझी रही और मामला आगे नहीं बढ़ सका। आरोपी इस दौरान राहत में आ गए, सरपंच और सचिव ने कोर्ट से स्टे ले लिया और जेल जाने से बच गए।
औपचारिक कार्रवाई, लेकिन असली दोषी बच गए
बड़ी कार्रवाई की बजाय विभाग ने केवल औपचारिक कदम उठाए।
- रोजगार सहायक संगीता शिवहरे की सेवाएं समाप्त- सचिव को कागजों में निलंबित दिखाकर बाद में नई पंचायत का काम दे दिया
- उपयंत्री का बड़ामलहरा तबादला कर दिया- सरपंच पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुईस्थानीय लोगों का कहना है कि असली जिम्मेदार बिल पास करने वाले, तकनीकी अनुमोदन देने वाले और निर्माण की मॉनिटरिंग करने वाले बच गए।
गांव के निवासियों का कहना है कि जब तक बड़े पदों पर बैठे जिम्मेदार अधिकारियों और अनुमोदन देने वाले कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, पंचायतों में भ्रष्टाचार पर रोक संभव नहीं है। लोग बताते हैं कि नियम विरुद्ध कार्य कराने वाले और फर्जी भुगतान निकालने वाले अधिकारी सिर्फ तबादलों और औपचारिक निलंबन से बच जाते हैं, जिससे घोटाले करने का साहस और बढ़ता है।
मामला मेरे समय का नहीं है। मैं पूरी जानकारी लेकर जांच कराऊंगा। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ प्राथमिकता से कार्रवाई की जाएगी।
हरीश केशरवानी, सीईओ जनपद पंचायत लवकुशनगर
Published on:
27 Nov 2025 10:41 am
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