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फॉरेस्ट रिसर्च में शोधार्थियों का रुझान बढ़ा, वनों पर सौ से भी अधिक शोध कर रहे युवा, सामाजिक बदलाव के विषय पर भी नजर

महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में इस सत्र करीब 100 से अधिक शोधार्थियों ने फॉरेस्ट रिसर्च में रुचि दिखाई है। वे वनों के विकास और उपयोग की श्रेणी में अपने शोध कर रहे हैं। वहीं विवि में इस बार 272 शोध में छात्रों ने दाखिला लिया है।

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महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय

समय के साथ प्रकृति के क्रमबद्ध ज्ञान को समझने के लिए युवाओं का रुझान नेचुरल विषयों पर ज्यादा हो रहा है। वे प्रकृति की बारीकियां और उनका मानव जीवन में किस प्रकार लाभ लिया जा सके, इसको देखते हुए इस दिशा में नवाचार कर रहे हैं। महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में इस सत्र करीब 100 से अधिक शोधार्थियों ने फॉरेस्ट रिसर्च में रुचि दिखाई है। वे वनों के विकास और उपयोग की श्रेणी में अपने शोध कर रहे हैं। वहीं विवि में इस बार 272 शोध में छात्रों ने दाखिला लिया है। विवि में होने वाले शोध में सोशल चेंज और क्लाइमेट से जुड़े शोधार्थी भी शामिल हैं। इसके अलावा कृषि, इकोनॉमी और मेडिकल इंडस्ट्री से पीएचडी करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है।

सामाजिक विषयों पर भी पकड़

विश्वविद्यालय में वनों के अलावा सामाजिक विषयों पर भी शोध किए जा रहे हैं। इसमें कुरीतियां, मानसिक विचारधारा और रूढ़िवादी प्रथाएं, जो अमूमन बुंदेलखंड में देखने को मिलती हैं, उन पर रिसर्च हो रहा है। शोधार्थियों का कहना है कि प्रोफेशनल सब्जेक्ट में शोध करने वालों की संख्या अधिक होती है, लेकिन हम जिस क्षेत्र के रहने वाले हैं और वहां के वातावरण को यदि शिक्षा के माध्यम से नहीं बदल सके, तो हमारा पढ़ने का लक्ष्य पूर्ण नहीं हो सकता। विवि में 70 से अधिक शोध सामाजिक व्यवस्था को लेकर किए जा रहे हैं।

4 वर्षों में 1081 शोध जारी

छात्र कल्याण अधिष्ठाता रामवीर सिंह सिसोदिया का कहना है कि वर्ष 2021 से जबसे विश्वविद्यालय बना है, तबसे अब तक 1081 शोध चल रहे हैं। कुछ शोधार्थियों का रिसर्च जारी है तो कुछ पूर्ण होने की दिशा में हैं। इस बार वनों पर शोध करने में छात्रों ने विशेष रुचि दिखाई है। विवि में सौ से अधिक छात्र वनों पर रिसर्च कर रहे हैं। इसमें इस बात पर अध्ययन किया जा रहा है कि वनों को और किस प्रकार लाभकारी बनाया जा सके। वहीं विषाक्त पदार्थों से बचने के लिए भी कई शोध किए जा रहे हैं। शोधार्थियों का कहना है कि आज हर चीज में केमिकल की मात्रा बढ़ रही है, इसलिए इस क्षेत्र में शोध बहुत आवश्यक है।

वर्षवार शोधार्थी संख्या

2022-23 – 314

2023-24 – 221

2024-25 – 274

2025-26 – 272

इनका कहना है

वनों पर रिसर्च करने वाले शोधार्थियों की संख्या इस बार अधिक देखी गई है। वहीं संस्थान में हजार से अधिक शोध जारी हैं। चार वर्षों में विवि में शोधार्थियों की बढ़ती संख्या से निश्चित ही हम शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे रिसर्चर तैयार कर रहे हैं।

रामवीर सिंह सिसोदिया, छात्र कल्याण अधिष्ठाता