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video दोहरी आवाज निकालने मैंने संगीत की गरिमा का रखा ध्यान, बचपन से था मुझे गाने का शौक

सागर. साईंराम अय्यर की दोहरी आवाज के जादू के लोग दीवाने हैं। उनकी संगीत प्रस्तुतियां स्त्री और पुरुष की आवाज म पर केंद्रित हैं, जिसमें वे एक ही समय में पुरुष और महिला स्वरों में गाते हैं। रविवार को भी सागर के पद्माकर सभागार में प्रस्तुति देंगे।

सागर

Reshu Jain

Sep 14, 2025

दोहरी आवाज के कलाकार साईंराम अय्यर से खास बातचीत

सागर. साईंराम अय्यर की दोहरी आवाज के जादू के लोग दीवाने हैं। उनकी संगीत प्रस्तुतियां स्त्री और पुरुष की आवाज म पर केंद्रित हैं, जिसमें वे एक ही समय में पुरुष और महिला स्वरों में गाते हैं। रविवार को भी सागर के पद्माकर सभागार में प्रस्तुति देंगे। स्वर्गीय विट्ठल भाई पटेल की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में वे विट्ठल भाई की गानों खास प्रस्तुतियां देने जा रहे हैं। इससे पहले शनिवार को पत्रिका ने उनसे खास मुलाकात की। इस बातचीत की कुछ अंश

प्रश्न – आपकी आवाज में दो अलग-अलग सुर (पुरुष और स्त्री स्वर) निकालने की प्रेरणा आपको कहां से मिली ?

जवाब – सबसे पहले में सागर वासियों का शुक्रिया करना चाहूंगा कि आपने हम सबको विट्ठल भाई पटेल जैसा अस्तित्व दिया है, हालांकि मुझे उनसे मिलने का मौका नहीं मिला लेकिन उन्हें मैं हमेशा याद करता हूं। बचपन में मैं बच्चों की तरह ही आवाज निकालता था, लेकिन भगवान की दया से में धीरे धीरे स्त्री और पुरुष दोनों आवाज निकालने लगा। मैंने ऊपर वाले से प्रार्थना की और दोनों आवाज पर मेरी कमांड हो गई।

प्रश्न – बचपन से ही आपको संगीत का शौक था या बाद में रुचि विकसित हुई ?

जवाब – संगीत का शौक मुझे बचपन से रहा है। मेरे माता-पिता भी म्यूजिक सुनते थे। अपने परिवार से मिली प्रेरणा के बाद मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूं। अच्छा गाना सुनकर के ही मैं संगीत सीखने लगा। उसके बाद शास्त्रीय संगीत की ट्रेनिंग ली। बचपन में जो हम सुनते हैं वह कभी भूलते नहीं है।

प्रश्न – आपके गुरु या आदर्श कौन रहे हैं ?

जवाब – मेरी सबसे बड़ी आदर्श भारत रत्न लता मंगेशकर हैं। उन्हीं को मैं अपनी गुरु मां मानता हूं। उसके बाद रफी साहब, किशोर दा और आशा भोसले सभी मेरे गुरु हैं। यह सभी गायक कलाकार हमारे हिंदुस्तान के संगीत जगत के स्तंभ हैं।

प्रश्न – दोहरी आवाज निकालना शारीरिक और तकनीकी रूप से कितना कठिन होता है?

जवाब : यदि मैं केवल स्त्री की आवाज निकालता तो वह मिमिक्री लगता है, लेकिन मुझे संगीत में आवाज निकलनी थी । अपने गुरुओं के सामने मुझे संगीत की गंभीरता को समझ कर गाना पड़ता है। इसके लिए मैंने शारीरिक और मानसिक तौर पर अथक परिश्रम किया है।

प्रश्न – . क्या इसके लिए विशेष रियाज़ या वोकल ट्रेनिंग करनी पड़ती है?

जवाब – रियाज का मतलब परिश्रम से है। अभ्यास का कोई वक्त नहीं होता। जब हमारा शो होता है तब पता नहीं चलता कि कब पूरी रात निकल गई। जब समय मिलता है तब मैं रियाज़ करता हूं।

प्रश्न – आपकी परफॉर्मेंस में दर्शकों की पहली प्रतिक्रिया कैसी रहती है ?

जवाब – जब मैं पहले परफॉर्मेंस दी तब मैं 11 वीं क्लास में पढ़ता था। मुंबई के बड़े ऑडिटोरियम में मुझे गाने का अवसर मिला तो लोगों ने उसे बहुत प्यार दिया। मैंने मिस्टर इंडिया फिल्म का गाना गया था। उसके बाद मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

प्रश्न – क्या आपको कभी यह कला विकसित करने में कठिनाई या आलोचना का सामना करना पड़ा?

जवाब – मुझे बहुत सारी आलोचना का शिकार होना पड़ा, क्योंकि आप नदी के साथ चाहते हैं तो आपको कोई परेशानी नहीं होती लेकिन आप जब समाज में कुछ हटकर करते हैं तो कुछ लोग उसकी आलोचना भी करते हैं लेकिन मेरे ऊपर गुरुओं का आशीर्वाद था कि उन्होंने कहा कि तुम आगे बढ़ो। ऊपर वाले की देन है तुम रूको नहीं। सागर के लोगों से मैं कहना चाहूंगा कि आज प्रोग्राम में आकर संगीत भरी शाम का आनंद लीजिए। जो लोग ऑडिटोरियम तक नहीं आ पा रहे हैं वह ऑनलाइन भी कार्यक्रम को देख सकते हैं।