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Nagaur patrika…मन की शुद्ध भावना से जन्म-जन्मांतर का भाग्य बदल सकता है…VIDEO

नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में चल रहे प्रवचन में जैन समणी सुयशनिधि ने कहा कि मन की शुद्ध भावना से ही जन्म-जन्मांतर का भाग्य बदल सकता है। उन्होंने सेठ की प्रेरक कथा का उल्लेख करते हुए समझाया कि कैसे उन्होंने निर्धन होते हुए भी प्रभु के प्रति अटूट श्रद्धा रखी, और अपनी पवित्र भावना से […]

नागौर. जयमल जैन पौषधशाला में चल रहे प्रवचन में जैन समणी सुयशनिधि ने कहा कि मन की शुद्ध भावना से ही जन्म-जन्मांतर का भाग्य बदल सकता है। उन्होंने सेठ की प्रेरक कथा का उल्लेख करते हुए समझाया कि कैसे उन्होंने निर्धन होते हुए भी प्रभु के प्रति अटूट श्रद्धा रखी, और अपनी पवित्र भावना से आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त किया। पूर्ण सेठ की ओर से भगवान महावीर को पारणा कराने का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि सेवा, समर्पण और सकारात्मक सोच ही वास्तविक समृद्धि का आधार है। पूर्ण सेठ के अहंकार भरे असत्य वचनों के कारण कोई आध्यात्मिक लाभ नहीं हुआ, केवल द्रव्य लाभ की प्राप्ति हुई। उन्होंने कहा कि बाहरी भौतिक संपन्नता नहीं, बल्कि आंतरिक भावना की शुद्धता ही जीवन को अर्थपूर्ण बनाती है। जब व्यक्ति के हृदय में करुणा, विनम्रता और सत्कर्मों की प्रेरणा होती है तो तब उसके कर्म बंधन ढीले पडऩे के साथ ही आत्मा का प्रकाश प्रकट होता है। इस दौरान प्रवचन में पूछे गए प्रश्नो के सही उत्तर देने पर पिंकी नाहटा, हेमा चौरडिय़ा को रजत मेडल से सम्मानित किया गया। बोनस प्रश्नो के सही उत्तर जागृति चौरडिय़ा, दिक्षा चौरडिय़ा को भी सम्मानित किया। इस मौके पर महावीरचंद भूरट, प्रकाशचंद बोहरा, नरपतचंद ललवाणी, प्रकाशचंद सुराणा, मनोज ललवाणी, प्रकाशचंद ललवाणी, मूलचंद ललवाणी, चपांलाल जागिड़, भीकमचंद ललवाणी आदि मौजूद थे।