नागौर. नगरपरिषद में बुधवार को शहरी सेवा शिविर की शुरुआत हुई। पहले दिन का शिविर वार्ड 1 से 3 तक के लिए आयोजित किया गया था। पहले दिन शिविर में कुल 52 आवेदन पत्र प्राप्त हुए। इनमें जन्म प्रमाण पत्र के 10, मृत्यु प्रमाण पत्र का 1, विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र का 1, जन आधार के 12, कृषि भूमि रूपांतरण के 11, 69-ए के 2, नकल बिक्री के 2, खाद्य भूमि आवंटन के 5, मकान नक्शा का 1, नामांतरण के 2 और सफाई संबंधी 5 आवेदन शामिल रहे। इनमें से जन्म, मृत्यु, विवाह पंजीयन और सफाई से जुड़े आवेदनों का मौके पर ही निस्तारण कर दिया गया। शिविर में समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास, राजस्व, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण, ऊर्जा, चिकित्सा और नगर विकास सहित कई विभाग शामिल हुए। विभागीय अधिकारियों ने लोगों की समस्याएं सुनीं, और आवश्यक कार्यवाही की। शिविर में आयुक्त गोविंद सिंह भींचर सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
शिविर में दिया ज्ञापन, समाधान होना चाहिए
वार्ड 1 के पार्षद गोविन्द कड़वा ने शिविर में मौजूद आयुक्त गोविन्द सिंह भींचर को ज्ञापन सौंपकर क्षेत्र की मूलभूत समस्याओं के समाधान की मांग की। ज्ञापन में श्रीराम कॉलोनी, न्यू श्रीराम कॉलोनी, पुष्करणा कॉलोनी, स्वामी कॉलोनी सहित कई बस्तियों में सीवरेज जाम, टूटी सडक़ों, जगह-जगह कचरे के ढेर, पेयजल सप्लाई में अव्यवस्था और सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने की जरूरत बताई गई। साथ ही अंधेरे में पड़ी गलियों और बंद पड़ी स्ट्रीट लाइटों को दुरुस्त करने की भी मांग की गई। पार्षद ने कहा कि इन समस्याओं से वार्डवासी लंबे समय से जूझ रहे हैं, इसलिए नगर परिषद को शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए। कड़वा ने कहा कि शिविर का मतलब समाधान करना है, यह तो केवल खानापूर्ति हो रही है।
संबंधित क्षेत्रों में होता बेहतर रहता: जनता की जुबानी
शिविर में आए केशव गहलोत ने बताया कि वार्डवार शिविर है तो संबंधित क्षेत्रों के केन्द्र में इसका आयोजन होना चाहिए था। इससे संबंधित वार्डों के लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचते।
शहरी सेवा शिविर का आयोजन हुआ जरूर, लेकिन यह एक औपचारिक शिविर बनकर रह गया। इसमें कोई समाधान ही नहीं हो रहा है। शिविर आयोजन का उद़देश्य समाधान है, लेकिन यहां तो खानापूर्ति की जा रही है।
गोविंद कड़वा, पार्षद, वार्ड-एक
शिविर का आयोजन तो हुआ, लेकिन समस्याओं का समाधान तो हो नहीं रहा। शिविर का मतलब है समस्याओं का समाधान होना। संबंधित विभागों में आवेदन भेजने का कोई मतलब नहीं होता है।
एजाज अहमद, कुम्हारवाड़ा
शिविर को पूरी तरह से व्यवस्थित होना चाहिए था। शिविर में संबंधित क्षेत्रों के अपने परिचितों के साथ आया था, लेकिन इसमें सभी विभागों के जिम्मेदार अधिकारी बैठने चाहिए थे। ताकि त्वरित समाधान हो सके।
गिरिराज पारिक, जालानियों की गली