
-टूटे झूले, सूखता पार्क, बदहाल बेंचें, गायब फव्वारा
नागौर. नगरपरिषद का सबसे पुराना ग्रीन जोन गुम हो गया है। शहर के प्रमुख पार्कों में शुमार नेहरू उद्यान को नगरपरिषद बिलकुल भूल गया। जबकि यह नगरपरिषद कार्यालय परिसर से बिलकुल सटा हुआ है। टूटे झूले, जंग लगी ट्रेन की पटरियां, खुला स्विच बोर्ड, टूटी दीवारें और कूड़े से अटी आरोग्य वाटिका ही नेहरू उद्यान की पहचान बन गए हैं। स्थिति यह हो गई है कि नगरपरिषद की लापरवाही ने इस उद्यान को बर्बादी की कगार पर ला खड़ा किया है। जहां एक ओर इस उद्यान को सुधारने की कोई कोशिश नहीं की गई, वहीं दूसरी ओर टूटी फूटी बेंचें, झूलों का टूटना, खुला स्विच बोर्ड और गंदगी ने पार्क की स्थिति को बदतर बना दिया है।
झूलों की स्थिति: बच्चों के लिए नहीं, अब वयस्कों के लिए भी खतरे का सामान
नेहरू उद्यान में दाखिल होते ही सबसे पहले झूलों का पार्क नजर आता है, जो अब पूरी तरह से नष्ट हो चुका है। कई झूले टूटकर बिखरे पड़े हैं और बाकी के भी जल्द ही टूटने की कगार पर हैं। खास बात यह है कि इन झूलों की देखरेख का कोई इंतजाम नहीं है और कई बार बच्चों के बजाय बड़े लोग इन झूलों का इस्तेमाल करते हुए देखे गए हैं, जिससे हादसों का खतरा और बढ़ जाता है।
गंदगी का साम्राज्य और टूटे हुए फव्वारे
पार्क की दूसरी सबसे बड़ी समस्या गंदगी है। पहले पार्क में लगा पानी का फव्वारा अब पूरी तरह से गायब है, और उसके आस-पास फैली गंदगी यहां के अव्यवस्थित रखरखाव की गवाही देती है। इसके अलावा, पार्क के आरोग्य वाटिका में भी स्थिति बेहद खराब है। यहां पहले कबूतर, एमू और अन्य पक्षी रहते थे, लेकिन अब इनकी जगह सिर्फ कचरा और बिखरी गंदगी ही देखने को मिलती है।
स्विच बोर्ड और सुरक्षा के अभाव में खतरे की आहट
पार्क में सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा, पार्क के एक कोने में बिजली सप्लाई के लिए लगे स्विच बोर्ड और खुले प्लग हमेशा खतरनाक स्थिति में रहते हैं। यहां तक कि नगरपरिषद ने इन खुली तारों और स्विच बोर्ड की मरम्मत करने की भी कोई कोशिश नहीं की है, जिससे हादसे की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
नष्ट होती दीवार और नगरपरिषद की उपेक्षा
नेहरू उद्यान के एक हिस्से की दीवार भी पूरी तरह से टूटी हुई है, जो पहले यहां रहने वाले हरिणों के लिए सुरक्षित स्थान हुआ करता था। अब वह स्थान सिर्फ गंदगी और अव्यवस्थाओं से भर चुका है। इसके बावजूद नगरपरिषद इस दीवार की मरम्मत और सफाई करने में भी लापरवाह नजर आ रहा है।
अब तो बीता समय बन गया यह पार्क
नेहरू उद्यान में मिले सुनील खत्री, ममता देवी, कृष्णा प्रजापत, रमेश गुर्जर ने से बातचीत हुई तो कहा कि टूटे झूले देखकर लगता है कि नगरपरिषद खुद नहीं चाहता कि लोग यहां पर आएं। इनका कहना था कि आरोग्य वाटिका इस शहर की शान हुआ करती थी। अब हालात बिलकुल अलग हैं।
जल्द ही उठाएंगे जरूरी कदम
नगरपरिषद के आयुक्त गोविंद सिंह भींचर का कहना है कि पार्क की स्थिति की जांच कर आवश्यक कदम जल्द उठाए जाएंगे, लेकिन यह स्थिति लंबे समय से जस की तस बनी हुई है और कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
Published on:
23 Nov 2025 10:22 pm
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