
इस्तीफे के बाद जश्न मनाते एबीवीपी के कार्यकर्ता (फोटो-पत्रिका)
उदयपुर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय की कुलगुरु प्रोफेसर सुनीता मिश्रा को उनके विवादित औरंगजेब वाले बयान के कारण पद छोड़ना पड़ा है। दो माह के अवकाश के बाद आखिरकार राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लिया। मिश्रा पर लगाए गए आरोपों की जांच संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति कर रही थी। वर्तमान में विश्वविद्यालय के कुलगुरु का अतिरिक्त कार्यभार डॉ. बीपी सारस्वत के पास है।
प्रो. सुनीता मिश्रा ने हाल ही में एक विश्वविद्यालय कार्यक्रम में मुगल सम्राट औरंगजेब को कुशल प्रशासक बताते हुए उसका महिमामंडन किया था। इस बयान ने पूरे विश्वविद्यालय और उदयपुर शहर में तीव्र विवाद खड़ा कर दिया। छात्र संगठनों, राजनीतिक दलों और समाज के विभिन्न वर्गों ने उनके इस बयान की कड़ी निंदा की। सोशल मीडिया पर भी मिश्रा के खिलाफ भारी प्रतिक्रियाएं आईं और उन्हें तुरंत पद से हटाने की मांग जोर पकड़ने लगी।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) समेत कई छात्र संगठन इस मामले में सक्रिय हुए और विश्वविद्यालय परिसर में धरना-प्रदर्शन किया। जनप्रतिनिधियों ने भी मिश्रा के बयान को आपत्तिजनक बताया और विश्वविद्यालय प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की। इस दबाव में मिश्रा को अवकाश पर भेज दिया गया था, साथ ही उनके त्यागपत्र के लिए भी लगातार दबाव जारी था।
यह पहला मौका नहीं है जब मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलगुरु विवादों में फंसे हों। लगभग दो साल पहले भी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरु अमेरिका सिंह को विवादित मामलों के चलते समय से पूर्व त्यागपत्र देना पड़ा था।
राज्यपाल सचिवालय से त्यागपत्र स्वीकार होने के आदेश के बाद एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय के प्रकाश द्वार पर जोरदार जश्न मनाया। आतिशबाजी और मिठाई वितरण के बीच यह उत्सव मनाया गया। एबीवीपी इकाई अध्यक्ष प्रवीण टांक ने कहा कि यह निर्णय न केवल विश्वविद्यालय की शुचिता के लिए सही है, बल्कि यह मेवाड़ की गौरवशाली परंपरा और महाराणा प्रताप के इतिहास का भी सम्मान करता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कदम समाज में सही सोच और सम्मान की भावना को बढ़ावा देते हैं।
Updated on:
27 Nov 2025 09:07 pm
Published on:
27 Nov 2025 08:39 pm
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