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Inspirational: घर बैठे मिल रहा रोजगार, 38 साल की उपासना ने बदल दी महिलाओं की जिंदगी, उदयपुर से उत्तराखंड तक पहुंचा काम

Real Life Motivational Story: 38 साल की उपासना श्रीमाली ने महिलाओं को घर बैठे रोजगार देने का सपना देखा और उसे साकार किया। अपने इस मिशन के तहत उन्होंने ग्रामीण और आदिवासी इलाकों की महिलाओं को क्रोशे की ट्रेनिंग देकर उनकी जिंदगी बदल दी।

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फोटो: पत्रिका

Who Is Upasana Shrimali: 38 साल की उपासना श्रीमाली ने ऐसी शुरूआत की, जिसकी जरूरत सैकड़ों महिलाओं को थी। जब उन्होंने नौकरी छोड़कर अपना काम शुरू करने की ठानी, तो एक ही बात मन में थी कि ऐसा काम करना है, जिससे महिलाओं को घर बैठे रोजगार मिल सके।

उपासना ने उन महिलाओं को मौका दिया, जिन्हें बस एक भरोसा और एक शुरुआत चाहिए थी। आज गांवों व आदिवासी इलाकों की महिलाएं घर बैठे बुनाई के सुंदर उत्पाद बनाती हैं और अपनी कमाई खुद करती हैं। यह सब एक बहुत ही साधारण सोच से शुरू हुआ कि अगर महिलाएं सीखेंगी, तो उनकी जिंदगी जरूर बदलेगी।

उदयपुर शहर की रहने वाली उपासना के साथ 350 से ज्यादा महिलाएं नियमित रूप से काम कर रही हैं और घर बैठे कमाई कर रही हैं। अब तक उनकी टीम 1500 से अधिक महिलाओं को क्रोशे का प्रशिक्षण दे चुकी है, इनमें वे महिलाएं भी शामिल हैं, जिन्हें पहले कभी सीखने या काम करने का मौका नहीं मिला था।

पहले जो महिलाएं घर से बाहर नहीं जा पाती थीं, वे अब घर बैठे सुंदर क्रोशे उत्पाद बनाकर अपनी कमाई कर रही हैं। महिलाओं को ट्रेनिंग, धागा, हुक, बटन, डिज़ाइन सब कुछ मुत दिया जाता है। महिलाएं घर बैठे काम करती हैं और जब तैयार सामान जमा करती हैं, तो भुगतान मिल जाता है।

अब अनुभवी टीम देती है ट्रेनिंग

उपासना के साथ जुड़ी अनुभवी टीम महिलाओं को सरल भाषा में काम सिखाती है। अनुभवी ट्रेनर्स, आधुनिक डिज़ाइन एक्सपर्ट्स और फिनिशिंग टीम प्रोफेशनल लेवल तक तैयार करती है। उपासना खुद भी महिलाओं को काम की प्रक्रिया, समय और पेमेंट का सिस्टम समझाती हैं, ताकि हर महिला आत्मविश्वास हो सके।

समझी महिलाओं की ताकत

गांवों और आदिवासी इलाकों में उपासना ने देखा कि महिलाएं बहुत मेहनती हैं, उनमें धैर्य है, हुनर है और सीखने की क्षमता भी है। लेकिन, उनके पास न तो बाज़ार तक पहुंच है, न ट्रेनिंग, न ही कोई ऐसा सहारा, जो उन्हें आगे बढ़ने का मौका दे सके। यही वजह थी कि उपासना ने खुद आगे बढ़कर यह जिम्मेदारी उठाई।

माइक्रो प्रोडक्शन हब बनाने का सपना

उपासना चाहती हैं कि हर गांव और हर घर एक छोटे प्रोडक्शन यूनिट की तरह बन जाए, जहां महिलाएं अपने समय पर काम करके सम्मानजनक आय कमा सकें। उनका मानना है जब एक महिला कमाती है, तो पूरा घर बदलता है, और जब कई महिलाएं कमाती हैं, तो पूरा समाज बदल जाता है।

उदयपुर से उत्तराखंड तक पहुंचा काम

आज उपासना का काम उदयपुर और आसपास के कई गांव के साथ ही खेरवाड़ा, ऋषभदेव, पनरवा, झाड़ोल, वर्डा, कलड़वास, अबेरी और उदयपुर शहर में चल रहा है। राजस्थान से आगे बढ़ते हुए उनका काम अब उत्तराखंड के रुद्रपुर तक पहुंचा है, जहां भी महिलाएं घर बैठे सीखकर कमाई कर रही हैं।

घर से शुरू हुई ट्रेनिंग ने बदल दी तस्वीर

उपासना ने अपने घर में कुछ महिलाओं को बुलाया और उन्हें क्रोशे की आसान तकनीकें सिखाना शुरू किया। जब इन महिलाओं ने पहली बार अपने हाथों से बनाए सामान को बेचकर पैसे कमाए, तो उनकी खुशी देखने लायक थी। उपासना को लगा कि यह काम और भी कई महिलाओं तक पहुंचाना चाहिए।


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