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कृषि शिक्षा में बढ़ती भागीदारी: मिट्टी से जुडकऱ नई उड़ान भर रहीं बेटियां

-सरकारी प्रोत्साहन योजनाओं से बढ़ा आत्मविश्वास -श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ में बेटियों का रुझान कृषि अध्ययन की ओर तेजी से बढ़ा पत्रिका एक्सक्लूसिव--कृष्ण चौहान

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  • श्रीगंगानगर.कभी खेतों में पिता के साथ मेड़ पर हाथ बंटाने वाली बेटियां अब कृषि शिक्षा के माध्यम से अपने भविष्य को नई दिशा दे रही हैं। राजस्थान के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में कृषि विषय में छात्राओं की बढ़ती भागीदारी ने न केवल शिक्षा जगत में नई धारा पैदा की है, बल्कि ग्रामीण समाज की सोच में भी बड़ा परिवर्तन लाया है। जहां पहले बेटियों की पसंद कला, वाणिज्य या विज्ञान संकाय तक सीमित रहती थी, वहीं अब वे कृषि शिक्षा में नए रिकॉर्ड बना रही हैं।

कृषि क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई

  • राज्य सरकार की कृषि शिक्षा प्रोत्साहन योजनाओं ने इस बदलाव को गहरी मजबूती दी है। 11वीं-12वीं की छात्राओं को 15 हजार, कॉलेज स्तर पर 25 हजार और शोध व उच्च शिक्षा स्तर पर 40 हजार रुपए वार्षिक सहायता मिलने से पढ़ाई का बोझ कम हुआ और बेटियों में आत्मविश्वास बढ़ा। श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ के हजारों विद्यार्थियों विशेषकर बालिकाओं ने इसका लाभ लेकर कृषि क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है।

बेटियों के लिए नए रास्ते

  • कृषि शिक्षा अब सिर्फ खेती तक सीमित नहीं है। एग्री-प्रोसेसिंग, खाद्य उद्योग, एग्री-स्टार्टअप,बैंकिंग, जैविक खेती, कृषि उपकरण निर्माण, रसायन उद्योग और सरकारी नौकरियों में अवसरों ने बेटियों के लिए नए रास्ते खोले हैं। कृषि पर्यवेक्षक से लेकर कृषि अधिकारी और शोध संस्थानों तक, कई महत्वपूर्ण पदों पर बेटियां अपनी जगह बना रही हैं। राज्य सरकार द्वारा माध्यमिक स्तर पर कृषि संकाय के विद्यालयों की संख्या बढऩे से पहुंच भी आसान हुई है। श्रीगंगानगर का सरकारी कृषि महाविद्यालय ग्रामीण पृष्ठभूमि की लड़कियों के लिए नई उम्मीद बना है। जहां पहले इस विषय को चुनने वाली छात्राओं की संख्या बेहद कम थी,वहीं अब उनमें उत्साह और विश्वास लगातार बढ़ रहा है।

खेतों से निकलकर सफलता की राह पर बेटियां

  • स्तर — प्रोत्साहन राशि (वार्षिक)
  • 11 वीं-12वीं — 15,000 रु.
  • कॉलेज स्तर — 25,000 रु.
  • शोध व उच्च शिक्षा — 40,000 रु.
  • लाभार्थी जिले —श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ सहित राज्यभर

इन बेटियों को मिला लाभ

  • 2023-24 — 1335 छात्राएं — 2 करोड़ 46 लाख रु.
  • 2024-25 — 1273 छात्राएं — 2 करोड़ 44 लाख रु.
  • 2025-26 — 1609 छात्राएं — 2 करोड़ 92 लाख रु.

इनका कहना है

  • जिले में कृषि संकाय के विस्तार से बेटियों में कृषि शिक्षा के प्रति जागरूकता तेजी से बढ़ी है। पहले इस विषय में उनकी भागीदारी कम थी, अब वे सक्रिय रूप से कृषि विज्ञान, शोध व तकनीक क्षेत्रों में आगे आ रही हैं। सरकारी प्रोत्साहन राशि ने आर्थिक बोझ घटाया है और रोजगार व स्टार्टअप अवसरों ने आत्मविश्वास मजबूत किया है।
  • -विकास भादू, कृषि अधिकारी, संयुक्त निदेशक कार्यालय, श्रीगंगानगर।

सोच सकारात्मक रूप से बदली

  • ग्रामीण समाज में बेटियों को लेकर सोच सकारात्मक रूप से बदली है। अब परिवार कृषि शिक्षा को कैरियर के रूप में स्वीकार रहे हैं। बेटियां विभिन्न कृषि पदों पर सफलतापूर्वक कार्य कर रही हैं, जो महिला सशक्तिकरण का उदाहरण है। सरकारी योजनाओं ने उन्हें आगे बढऩे का हौसला दिया है।
  • -गिरजेशकांत शर्मा, सीडीइओ, शिक्षा विभाग, श्रीगंगानगर।