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Interview…Painter Babita Das : स्कूलों में कला को अनिवार्य विषय बना दिया जाए तो तनाव घटेगा

आज हम लंबे समय तक काम करते हैं, यात्राएं करते हैं और मानसिक थकान झेलते हैं। इसका नतीजा है तनाव, शुगर, बीपी जैसी बीमारियां। कला एक ऐसी साधना है जो मन को शांत करती है और व्यक्ति को सकारात्मकता के साथ जीने की प्रेरणा देती है।

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प्रतिस्पर्धी माहौल में स्कूलों में कॅरियर निर्माण को लेकर विद्यार्थियों पर तनाव बढ़ता जा रहा है। कई बार छोटी-छोटी बातों पर छात्रों के बीच झगड़े भी हो रहे हैं, जो चिंता का विषय है। अगर स्कूलों में कला को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया जाए तो इस तनाव में काफी कमी आ सकती है। यह कहना है अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चित्रकार बबीता दास का। कोलकाता में निवासरत बबीता दास पिलानी में आयोजित अंतरराष्ट्रीय आर्ट मीट में भाग लेने आई थी। पेश हैं उनसे बातचीत के अंश...

कला को पहचानने की जरूरत

बबीता ने कहा कि कला को बढ़ावा देने के लिए किसी विशेष प्रयास की जरूरत नहीं। हर व्यक्ति में किसी न किसी रूप में कला मौजूद है। जरूरत है उसे पहचानने और प्रोत्साहन देने की। लेकिन आज अभिभावक कला को ‘फालतूविषय’ मानते हैं। विद्यालयों में न तो नियमित कला शिक्षण हो रहा है और न ही आर्ट टीचर हैं। यदि कला को अनिवार्य विषय बनाया जाए तो बच्चों का मानसिक विकास बेहतर होगा।

भारत कला का गढ़

बबीतादास ने कहा कि भारत कला का गढ़ रहा है। यहां कला के विविध रूप हैं और भारतीय कला को आज भी कई देशों में समान मिलता है। क्रोशिया, जर्मनी, सर्बिया, पोलैंड जैसे देशों में कलाकारों को सरकारी मदद मिलती है, जिससे वे पूरी तरह सृजन में लग पाते हैं। हमारे यहां कलाकारों को अपनी कलाकृतियां बेचकर जीवन यापन करना पड़ता है। सरकारों को कलाकारों की आर्थिक मदद करनी चाहिए। कलाकारों की कमी नहीं है, अवसरों की कमी है। छोटे कस्बों और गांवों के कलाकारों को मंच नहीं मिल पाता। हालांकि अब हालात बदल रहे हैं। राजस्थान सहित कई राज्यों में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कला शिक्षकों की नियुक्तियां हुई हैं, जिससे कला के क्षेत्र में नया उत्साह आया है।

मन को शांत करती है कला

उन्होंने कहा कि आज हम लंबे समय तक काम करते हैं, यात्राएं करते हैं और मानसिक थकान झेलते हैं। इसका नतीजा है तनाव, शुगर, बीपी जैसी बीमारियां। कला एक ऐसी साधना है जो मन को शांत करती है और व्यक्ति को सकारात्मकता के साथ जीने की प्रेरणा देती है।

कला का जीवन में बहुत महत्व

उन्होंने कहा कि आज के आर्थिक युग में हम खुद से दूर होते जा रहे हैं, जबकि कला हमें प्रकृति से जोड़ती है। इससे मन को शांति मिलती है और जीवन के प्रति सकारात्मकता आती है। मैंने कोलकाता की जेलों में कैदियों से चित्र बनवाकर उनके व्यवहार में बदलाव देखा है। एक कैदी तो वहीं रहते-रहते नृत्य सीखकर बंगाली फिल्मों में काम करने लगा।