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बजट घोषणा के 8 माह बाद भी प्रदेश के पहले लहसुन एक्सीलेंस सेंटर का मामला अधर में

बारां जिले के लहसुन उत्पादन में प्रदेश में अग्रणी रहने के चलते मुख्यमंत्री ने बजट में इसकी घोषणा की थी। इसके तहत गुणवत्तापूर्ण लहसुन की खेती को ध्यान में रखते हुए लहसुन एक्सीलेंस सेन्टर की स्थापना की जानी थी।

बारां

Mukesh Gaur

Nov 26, 2025

बारां जिले के लहसुन उत्पादन में प्रदेश में अग्रणी रहने के चलते मुख्यमंत्री ने बजट में इसकी घोषणा की थी। इसके तहत गुणवत्तापूर्ण लहसुन की खेती को ध्यान में रखते हुए लहसुन एक्सीलेंस सेन्टर की स्थापना की जानी थी।
photo source patrika

अटरु के गोविन्दपुरा की भूमि अयोग्य बताए जाने के बाद अटकी प्रक्रिया

बारां. प्रदेश के एक मात्र लहसुन एक्सीलेंस सेन्टर के लिए जिले में बजट घोषणा के करीब आठ माह बाद भी भूमि चयन कर कार्य शुरु करने की प्रक्रिया पटरी पर नहीं आ पा रही है। बारां जिले के लहसुन उत्पादन में प्रदेश में अग्रणी रहने के चलते मुख्यमंत्री ने बजट में इसकी घोषणा की थी। इसके तहत गुणवत्तापूर्ण लहसुन की खेती को ध्यान में रखते हुए लहसुन एक्सीलेंस सेन्टर की स्थापना की जानी थी। घोषणा के एक माह बाद भूमि चयन की कवायद कर प्रक्रिया शुरु की गई थी। इसके लिए कृषि विभाग द्वारा अटरु क्षेत्र के गोविन्दपुरा में 10 हेक्टेयर भूमि का चयन किया गया था। इसके पश्चात भूमि आंवटन प्रक्रिया पूर्ण कर जयपुर फाइल भिजवाई गई थी। इसके बाद जयपुर से आई विभाग के विशेषज्ञ अधिकारियों की टीम ने उक्त चयनित भूमि को सेन्टर के लिए अयोग्य बताते हुए अन्य भूमि चयन के विभाग को निर्देश दे दिए। इसके बाद अन्यत्र भूमि के चयन की प्रक्रिया शुरु की गई। इसके तहत कवाई क्षेत्र में मौजूदा कृषि विभाग की भूमि को चयन प्रक्रिया में लिया गया। लेकिन लम्बे अन्तराल के बाद भी प्रक्रिया अधरझूल में है।

टीम ने चयनित भूमि को बताया अनुपयोगी

लहसुन एक्सीलेंस सेन्टर के लिए अटरु क्षेत्र के गोविन्दपुरा में चयनित की गई करीब 10 हैक्टेयर भूमि की जयपुर से आई विशेषज्ञो की टीम द्वारा जांच पड़ताल के बाद निचली सतह पथरीली होने के कारण सेन्टर के लिए अनुपयोगी बताते हुए अन्य भूमि के चयन के लिए कृषि विभाग को निर्देश दिए थे। टीम ने चयनित भूमि की मिट्टी युक्त गहराई को कम बताया था। टीम ने उक्त भूमि पर डेढ़-दो फीट की गहराई पर ही पथरीली भूमि होना इसके अयोग्य होने का कारण माना था।

कवाई की भूमि का नहीं हुआ आवंटन

गोविन्दपुरा की भूमि को अयोग्य बताए जाने के कारण कृषि विभाग ने कवाई क्षेत्र में स्थित विभाग की भूमि को लहसुन एक्सीलेंस सेन्टर के निर्माण के लिए प्रक्रिया पूर्ण कर विभाग को जयपुर भिजवाया था। जिसे करीब तीन माह से अधिक का समय गुजर गया। लेकिन कृषि विभाग को अभी तक कोई स्पष्ट दिशा निर्देश प्राप्त नही हुए हैं। जयपुर से आई विशेषज्ञों की टीम द्वारा चयनित गोविन्दपुरा की 10 हेक्टेयर भूमि को अयोग्य तो करार दे दिया। लेकिन अभी तक कवाई स्थित भूमि के लिए भी कोई दिशा निर्देश नही मिलने के कारण अभी तक तो गोविन्दपुरा की आवंटित भूमि को भी निरस्त नही किया जा सका है। सेन्टर के लिए पूर्व में बारां क्षेत्र के राजपुरा ग्राम क्षेत्र में भी भूमि देखी गई थी। लेकिन उक्त भूमि पर गड्ढे व खाळ नाले होने के कारण चयनित नहीं हो पाई थी। हालांकि इस क्षेत्र की भूमि का एप्रोच आसन था। एक ही स्थान पर इतने बड़े क्षेत्र में भूमि मिलना आसान नहीं था। इसके बाद गोविन्दपुरा का चयन किया गया था। लेकिन यह भी अनुपयोगी बताई जाने कारण कवाई की भूमि लेने की प्रक्रिया की गई थी। बारां जिला दक्षिण-पूर्वी राजस्थान के भूभाग पर हाड़ौती क्षेत्र में स्थित है। जिला फसल उत्पादन की ²ष्टि से हाड़ौती ही नहीं राजस्थान का एक महत्वपूर्ण जिला है। लहसुन फसल में क्षेत्रफल, उत्पादन और उत्पादकता की ²ष्टि से राजस्थान में प्रथम स्थान रखता है। पिछले सालों में राज्य में लहसुन की औसत 89 हजार 805 हेक्टेयर में बुवाई होकर औसत उत्पादकता 5916 किलोग्राम रही है। इसमें जिले का औसत क्षेत्रफल 30 हजार 714 हैक्टेयर रहा और उत्पादकता 6133 किलोग्राम रही है। लहसुन उत्पादन को लेकर जिले की छीपाबड़ौद व बारां को विशेषत: लहसुन मंडी घोषित किया गया। यहां पिछले तीन साल से औसतन 16 लाख ङ्क्षक्वटल लहसुन पहुंच रहा है।

जिले में लहसुन एक्सीलेंस सेन्टर के लिए बजट घोषणा के बाद से ही कवायद शुरु कर दी गई थी। लेकिन अच्छी भूमि चयन को लेकर परेशानी आती रही। गोविन्दपुरा में भूमि चयन करके आवंटन भी करवा लिया गया था। लेकिन जयपुर से आई विशेषज्ञो की टीम ने उसे अयोग्य बताया। इसके बाद कवाई क्षेत्र स्थित कृषि विभाग की भूमि के चयन के बाद प्रक्रिया शुरु कर दी गई थी। लेकिन अभी तक कोई जयपुर से कोई दिशा निर्देश नहीं मिलने के कारण प्रक्रिया अटकी हुई है। उच्चाधिकारियों को मामले से अवगत करवाते हुए, शीघ्र ही प्रक्रिया पुन: शुरु होने की उम्मीद है।

धनराज मीणा, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग, बारां