
दीपांशा सिंह
बाल दिवस पर विशेष
सागर . शहर के नन्हें सितारे राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चमक रहे हैं। किसी ने 6 साल की उम्र में ही खेल में राष्ट्रीय स्तर पर मुकाम हासिल कर लिया, तो किसी ने अपने कला का जादू कैनवास पर बिखेर दिया है। नन्हें बच्चे सफलता प्राप्त कर शहर का नाम रोशन कर रहे हैं। पत्रिका के साथ जानिए ऐसे ही होनहार बच्चों की कहानी, जिनसे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।
पिस्टल शूटर प्रतिभा सिंह की बेटी दीपांशा सिंह ने 6 साल की उम्र में ही कमाल कर रही हैं। उन्होंने पिछले 2 सालों से सागर जिला स्तरीय एवं मध्यप्रदेश राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में लगातार गोल्ड मेडल जीते हैं। इसके अलावा उन्होंने 2024 में 16 वें कूडो नेशनल टूर्नामेंट में रजत पदक और 16 वें अक्षय कुमार इंटरनेशनल टूर्नामेंट 2024 में भी रजत पदक प्राप्त किया। दीपांशा ने हाल ही में सूरत में आयोजित 17 वें कूडो नेशनल टूर्नामेंट में कांस्य पदक प्राप्त किया है।
तीसरी क्लास में पढ़ाई कर रही आद्या कोरी कैनवास पर रंग भरी हैं। आद्या को बचपन से प्रकृति के प्रति गहरा लगाव है। उनके चित्र भी प्रकृति पर ही केंद्रित रहते हैं। क्लास तीसरी में पढ़ाई कर रही आद्या ने बताया कि वे पिछले 4 वर्षों से पेंटिंग बनाना सीख रही हैं। मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मप्र शासन के सहयोग से सागर में हुई पेंटिंग प्रतियोगिता में आद्या को पुरस्कार मिले हैं। शहर में भी विभिन्न चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लिया है।
जिनके हौसले बुलंद होते हैं तो स्थिति कोई भी हो, मंजिल को पा ही लेते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण है शासकीय माध्यमिक शाला धर्मश्री के छात्र डेलन लोधी हैं, जिन्होंने आंखें न होने के बाद भी राज्य स्तर पर अपनी प्रस्तुति देखकर गायन एवं वादन कला में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। डेलन आंखों से देख नहीं पाते हैं, लेकिन उन्हें संगीत के क्षेत्र में रूचि है। उन्होंने जिला स्तर से लेकर संभाग स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
पं. रविशंकर स्कूल की छात्रा लक्ष्मी सेन ने बुंदेली गायन में अपनी पहचान बना रही है। बुंदेली लोक संगीत की प्रस्तुति लक्ष्मी ने कई मंचों पर दी है। राष्ट्रीय स्तर कला उत्सव मैं भी लक्ष्मी ने प्रस्तुति दी। लक्ष्मी बताती हैं कि वे संगीत विद्या मैं अपने परिवार एवं देश का नाम रोशन करना चाहती हैं। बुंदेली भाषा को अपनाने का संदेश देती हैं। प्राचार्य डॉक्टर महेंद्र प्रताप तिवारी विद्यालय में मुझे ऐसा माहौल उपलब्ध कराया और सभी सुविधाएं दीं। मार्गदर्शक शिक्षक सांस्कृतिक प्रभारी शुभा मिश्र व संगीत शिक्षक जयंत विश्वकर्मा का मेरी सफलता में सहयोग रहा।
Published on:
14 Nov 2025 09:35 pm
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