MelaDashera:पशु मेला भले न भरे, साज-सज्जा के उत्पाद अब भी मौजूद हैं..
कोटा पत्रिका. दशहरा मेले की शान कहलाने वाला पशु मेला भले ही अब इस आयोजन से गायब हो गया हो, लेकिन पशुओं की साज-सज्जा और ग्रामीणों की घरेलू जरूरतों से जुड़े उत्पाद आज भी मेले में आते हैं। मध्यप्रदेश के उज्जैन से मेले में लट्ठ (लकड़ी के डंडे) बेचने आए एक दुकानदार ने बताया कि हमारे परिवार की यह चौथी पीढ़ी है जो यहां व्यापार कर रही है। हम वर्ष 1985 से इस मेले में आ रहे हैं, लेकिन अब पहले जैसी बात नहीं रही। पहले जितना माल लाते थे, वह पूरा बिक जाता था, पर अब तो दिनभर में गिनती के ही खरीदार लट्ठ खरीदने आते हैं। इसी तरह, पशुओं की साज-सज्जा के सामान बेचने वाले एक अन्य दुकानदार ने बताया कि जब से पशु मेला बंद हुआ है, किसान भी मेले में नहीं आ रहे। ऐसे में इक्का-दुक्का लोग ही भूले-भटके यहां खरीदारी करने पहुंचते हैं।