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Rajasthan: आखिर कहां गायब हो गया 450 लोगों की आबादी और 80 घरों वाला राजस्थान का ये गांव?

Marwar Chowki Village: गांव दो तहसीलों, दो विधानसभा, दो थाना क्षेत्र और दो पंचायत समितियों के बीच लटका है। थोड़ी दूरी चलने पर पंचायत समिति बदल जाती है, कुछ कदम पर तहसील और आगे चलकर थाना क्षेत्र।

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Marwar-Chouki-

फोटो: पत्रिका

Reorganization And Delimitation Of Panchayats: ग्राम पंचायतों के परिसीमन में कई खामियां लगातार सामने आ रही है। गांवों को एक ग्राम पंचायत से तोड़कर दूसरी में मिलाकर नई ग्राम पंचायतों का गठन किया है। कई गांवों की दूरियां बढ़ गई है। सुल्तानपुर क्षेत्र के अंतिम छोर पर बसे मारवाड़ा चौकी गांव को परिसीमन में गायब कर दिया है। ग्रामीण अब प्रशासन के चक्कर लगा रहे हैं।

यह मामला ऊर्जा मंत्री के संज्ञान में भी आ गया है। कहने को यह गांव पहले से ही दो हिस्सों में बंटा था। इसमें आधा मूंडला ग्राम पंचायत (सुल्तानपुर पंचायत समिति) और आधा ताथेड़ ग्राम पंचायत (लाडपुरा पंचायत समिति) में था। हाल ही में पंचायती राज विभाग द्वारा जारी पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन की सूची में मारवाड़ा चौकी का कहीं नाम नहीं है। जबकि मूंडला और ताथेड़ दोनों पंचायतों में फेरबदल हुआ। कई गांव जोड़े-हटाए गए पर इस गांव का कहीं उल्लेख तक नहीं। इससे ग्रामीणों में यह सवाल गंभीर है कि हम अस्तित्व में हैं भी या नहीं।

यह है मारवाड़ा चौकी की वास्तविक स्थिति

करीब 450 की आबादी और 80 घरों का यह गांव आज भी राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। गांव की सबसे बड़ी समस्या है कि यह चारों तरफ से प्रशासनिक सीमाओं के बीच फंसा हुआ है। गांव दो तहसीलों, दो विधानसभा, दो थाना क्षेत्र और दो पंचायत समितियों के बीच लटका है। थोड़ी दूरी चलने पर पंचायत समिति बदल जाती है, कुछ कदम पर तहसील और आगे चलकर थाना क्षेत्र।

ऑनलाइन सरकारी कार्यों में भी गांव का नाम न होने से ग्रामीणों को मूंडला या ताथेड़ के नाम से काम कराना पड़ता है। इससे दस्तावेज़ों में गड़बड़ी और योजनाओं का लाभ पाने में भारी परेशानी होती है। स्टेट हाइवे कोटा-श्योपुर मार्ग पर स्थित इस गांव में शिक्षा के नाम पर सिर्फ दो कमरों का संस्कृत विद्यालय चलता है। बच्चों को मजबूरी में वहीं पढ़ना पड़ता हैं। चिकित्सा सुविधा तो लगभग शून्य है।

ग्रामीणों के दर्द से समझिए समस्या

गांववासी रणजीत सिंह और सुरेन्द्र सिंह बताते हैं किसी भी विकास कार्य या सरकारी प्रक्रिया के लिए हमें कभी दीगोद तो कभी लाडपुरा या सुल्तानपुर के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

हमारा काम कोई पूरा बताता ही नहीं। इसी तरह उदित सिंह, जितेंद्र सिंह हाड़ा, नंदकिशोर, मोहन सिंह, जगन्नाथ सहित कई ग्रामीणों ने बताया कि पट्टे के लिए मूंडला पंचायत जाते हैं तो लाडपुरा भेज दिया जाता है और जब लाडपुरा जाते हैं तो वापस सुल्तानपुर भेज दिया जाता है। हम भटके हुए गांववाले बन गए हैं।

मारवाडा चौकी गांव का नाम पंचायत के गांवों की सूची में नहीं होने का मामला सामने आया है। इसको लेकर सुल्तानपुर पंचायत समिति से तथ्यात्मक रिपोर्ट मंगवाई है। उसी के बाद कुछ बता सकते है, यह गांव किसमें है।

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