
गोल्ड ETF या गोल्ड MF दोनों ही विकल्प आपकी रिस्क क्षमता और लक्ष्य पर निर्भर करते हैं. (PC: Canva)
सोने की कीमतों में गिरावट आते ही अब ज्यादातर लोग निवेश के मौके तलाश रहे हैं. सोना खरीदना भारत में हमेशा से ही एक भावनात्मक पहलू रहा है. लोग बुरे वक्त के लिए, बच्चों की शादी के लिए, त्योहारों के लिए सोना खरीदकर रखते हैं, लेकिन वक्त के साथ टेक्नोलॉजी बदली, लोगों ने फिजिकल सोना खरीदने के जोखिमों से बचने के लिए दूसरे तरीके आजमाए, जिससे सोने को खरीदकर रखने और उसकी सुरक्षा जैसे तनावों से मुक्ति मिली. सोने में निवेश के वैसे तो कई तरीके विकल्प हैं, जिसमें गोल्ड ETF और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स कुछ बेहतरीन विकल्पों में से एक हैं, लेकिन इनमें से कौन सा विकल्प आपको चुनना चाहिए.
ये फैसला करने से पहले हम गोल्डETF और गोल्ड म्यूचुअल फंड के बीच के मुख्य अंतर को समझेंगे. हम उनके कॉस्ट स्ट्रक्चर को जानेंगे, दोनों पर टैक्स कैसे लगता है और यह भी देखेंगे कि वास्तव में कौन बेहतर रिटर्न देता है। जिससे आप अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर सही फैसला ले सकें.
गोल्ड ETF क्या होता है
गोल्ड ETF या यानी गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड. ETF एक फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट होता है जो कि अपने अंडरलाइंग एसेट के प्रदर्शन को ट्रैक करता है. गोल्ड ETF के लिए उसका अंडर लाइंग एसेट गोल्ड होता है, इसलिए गोल्ड ETF गोल्ड की कीमतों के उतार-चढ़ाव के हिसाब से चलता है. गोल्ड ETF की ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज पर होती है. ये सोने के बुलियन या फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के जरिए गोल्ड में निवेश करते हैं. गोल्ड ETF सोने के प्रदर्शन को ट्रैक करता है. इसलिए गोल्ड ETF का प्रदर्शन बिल्कुल सोने के प्रदर्शन के ग्राफ पर ही चलता है. यानी सोना चढ़ा तो गोल्ड ETF भी ज्यादा रिटर्न देगा.
ये पैसिवली मैनेज्ड फंड्स होते हैं, यानी फंड मैनेजर सिर्फ छोटे मोटे बदलाव करता है और सिर्फ ये देखता है कि ये सोने की कीमतों के हिसाब से चलता रहे. यानी फंड मैनेजर को इसमें अपना ज्यादा दिमाग नहीं लगाना पड़ता. इसलिए इनका एक्सपेंस रेश्यो भी कम होता है, जो कि निवेशकों के लिए अच्छी बात है. इस फंड के हर एक यूनिट 1 ग्राम 99.5% शुद्ध सोने के बराबर होता है.
गोल्ड ETF में निवेश कैसे करें
गोल्ड ETF में निवेश करने के लिए, आपको एक डीमैट खाता चाहिए, क्योंकि ETF की यूनिट्स स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेड होती हैं. इसलिए शेयरों की कीमत पूरे दिन ऊपर और नीचे होती रहती है. मसलन अगर सोना 2% तक टूट गया तो ETF का भाव भी इतना गिर जाएगा. गोल्ड ETF को खरीदना और बेचना बहुत आसान होता है क्योंकि ये शेयर मार्केट में ट्रेड होता है. जैसे शेयरों की खरीद बिक्री होती है, वैसे ही इनकी भी होती है.
टैक्स और लागत
हालांकि गोल्ड ETF पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) टैक्स लगता है. अगर आप गोल्ड ETF को 12 महीने से ज्यादा समय तक होल्ड करके रखते हैं, तो LTCG माना जाएगा जिस पर आपको बिना इंडेक्सेशन के 12.5% की दर से टैक्स देना होगा. अगर इसे 12 महीने या उससे कम समय के लिए रखा जाता है, तो लाभ को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (STCG) माना जाएगा, इस पर आपकी टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स वसूला जाएगा, जो कि 30% तक हो सकता है. इसमें कोई एक्जिड लोड नहीं होता है, मतलब जब आप इसको रिडीम करेंगे तो आपको कोई फीस नहीं देनी होती है.
गोल्ड म्यूचुअल फंड क्या होता है?
अगर आप अभी अभी सोने में निवेश की शुरुआत करना चाहते हैं तो आप जैसों के लिए गोल्ड म्यूचुअल फंड्स बढ़िया विकल्प होता है,क्योंकि इसके जरिए सोने में निवेश करना ज्यादा आसान होता है.
जैसे गोल्ड ETF में शुद्ध गोल्ड में निवेश किया जाता है, गोल्ड म्यूचुअल फंड्स गोल्ड ETF में निवेश करते हैं. इसमें डीमैट खाता खोलने की जरूरत नहीं होती है. जैसे आप किसी भी म्यूचुअल फंड में SIP के जरिए निवेश करते हैं, ठीक वैसे ही आप SIP के जरिए गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू कर सकते हैं, लेकिन आप में गोल्ड ETF में ऐसा नहीं कर सकते हैं, उसके लिए आपको एकमुश्त रकम लगती है.
गोल्ड म्यूचुअल फंड में आपको अपनी फ्लेक्सिबिलिटी के हिसाब से निवेश विकल्प चुनने का मौका मिलता है, आप चाहें तो सिर्फ 500 रुपये से भी अपने निवेश की शुरुआत कर सकते हैं, जबकि फिजिकल गोल्ड खरीदने के लिए आपको मोटी रकम की जरूरत होती है. इनको खरीदना और बेचना बहुत आसान होता है, क्योंकि ये बहुत ज्यादा लिक्विड होते हैं. यानी जब भी आपको पैसों की जरूरत महसूस हो, मार्केट खुलते ही आप रिडीम कर सकते हैं, पैसे सीधे आपके बैंक अकाउंट में आ जाते हैं.
टैक्स और लागत
ये फंड्स मार्केट रेगुलेटर सेबी की ओर से रेगुलेट किए जाते हैं, इसलिए इन्वेस्टमेंट रिस्क कम होता है. गोल्ड म्यूचुअल फंड्स की लागत गोल्ड ETF के मुकाबले ज्यादा होती है. क्योंकि एग्जिट लोड लगता है साथ ही एक्सपेंस रेश्यो भी ज्यादा होता है. यानी देखा जाए तो इस मामले में गोल्ड ETF बेहतर साबित होता है.
इसमें शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस (STCG) टैक्स और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) टैक्स वैसे ही लगते हैं जैसे कि गोल्ड ETF में लगते हैं. यानी 12 महीने से कम होल्डिंग है तो टैक्स स्लैब के हिसाब से STCG टैक्स लगेगा और 12 महीने से ज्यादा होल्डिंग है तो फ्लैट 12.5% के हिसाब से LTCG लगेगा.
Published on:
05 Dec 2025 12:50 pm
बड़ी खबरें
View Allसमाचार
ट्रेंडिंग
