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UPSC की तैयारी छोड़ उठाई कुदाल, आज हैं बिहार के सबसे अमीर किसान

Rich Farmer in Bihar: सुधांशु कुमार की सफलता की यह कहानी हमें प्रेरणा देती है कि यदि हम अपने काम को सही दिशा में और सही तकनीकी दृष्टिकोण से करें तो किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

Rich Farmer in Bihar
बिहार के सबसे अमीर किसान सुधांशु कुमार। फोटो: aankhonkasafar5 on instagram, डिजाइन: पत्रिका

Rich Farmer in Bihar: बिहार में चुनावी माहौल है। नेताओं के लिए जनता इस समय भगवान स्वरूप है, क्योंकि वही उनकी किस्मत का फैसला सुनाएगी। हालांकि, हम यहां चुनावी जोर-आजमाइश की बात नहीं करने वाले। हम बात करेंगे उस व्यक्ति की, जिसे बिहार का सबसे धनवान किसान (Rich Farmer in Bihar) कहा जाता है। समस्तीपुर जिले के नयानगर गांव की महलनुमा हवेली में रहने वाले सुधांशु कुमार बिहार के सबसे अमीर किसान (Richest Farmer in Bihar) हैं। उन्होंने खेती का तौर-तरीका बदल कर उसे घाटे से मुनाफे का सौदा बना दिया है। कुमार ने आधुनिक खेती (Sudhanshu Kumar Farming) को अपनाया और आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से यह सुनिश्चित किया कि खेतों में फसलें हमेशा लहलाहती रहें।

पिता चाहते थे बनें IAS (Modern Agriculture in Bihar)

सुधांशु कुमार के पिता चाहते थे कि उनका बेटा आईएएस अधिकारी बने। पिता ने बेटे को उच्च शिक्षा दिलाई और बेटे ने भी पिता का सपना पूरा करने का प्रयास किया। हालांकि, उनके मन में कुछ और ही चल रहा था। दिल्ली के हंसराज कॉलेज से पढ़ाई करने वाले सुधांशु ने पहले ही प्रयास में यूपीएससी प्रीलिम्स पास कर ली, लेकिन मेन्स में रह गए। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी छोड़ कर किसानी पर फोकस किया। उन्होंने एक डेयरी प्रोजेक्ट भी तैयार किया, ताकि गांव में ही रह कर कुछ कर सकें, मगर उनके पिता को यह पसंद नहीं आया। उन्होंने प्रोजेक्ट रिपोर्ट फाड़ कर फेंक दी। इससे नाराज सुधांशु ने केरल के टाटा टी गार्डन में नौकरी के लिए आवेदन किया और उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलावा भी आ गया। करीब 8 दिनों तक चले इंटरव्यू के बाद उन्हें नौकरी तो मिल गई, लेकिन मन गांव में ही अटका रहा।

लोगों ने उड़ाया मजाक, ऐसे पलटी किस्मत

दरअसल, सुधांशु कुमार के पिता चाहते थे कि उनका बेटे आईएएस अधिकारी बने, उनकी तरह किसान नहीं। मगर सुधांशु भी जिद पर अड़ गए और बेटे की जिद के आगे पिता को झुकना पड़ा। गांव लौटने पर सुधांशु को लोगों के ताने सुनने को मिले। गांव वाले उनका मजाक उड़ाया करते थे कि शहर की नौकरी छोड़ कर गांव में खेती करने लौट आया है। सुधांशु सब कुछ सुनते रहे और एक दिन अचानक उन्हें अपनी किस्मत पलटने का मौका मिल गया। पिताजी ने उन्हें लगभग बंजर हो चुका आम का बगीचा खेती के लिए सौंप दिया। सुधांशु कुमार के पिता को लग रहा था कि बेकार भूमि पर बेटा कुछ खास नहीं कर पाएगा और हार कर वापस शहर लौट जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

एक ही साल में शानदार रिजल्ट

सन 1989 में सुधांशु ने उस जमीन पर खेती शुरू की और परिणाम सबकी सोच से भी ज्यादा शानदार आए। जिस बगीचे से सुधांशु का परिवार 15-16 हजार रुपए सालाना कमा रहा था, उससे सुधांशु ने पहले ही साल में 1 लाख 35 हजार रुपए की इनकम की। इसके लिए उन्होंने स्थानीय कृषि विद्यालय के एक वैज्ञानिक से संपर्क किया, उनकी मदद से खेती की बारीकियां सीखीं। वैज्ञानिक के बताए अनुसार उपाय किए और बंजर आम का बगीचा गुलजार हो गया। यहीं से सुधांशु के पिता की अपने बेटे के बारे में सोच बदली और वह पूरी तरह से खेती में उतार गए। हाल ही में उसी बगीचे से सुधांशु की 35 लाख की कमाई हुई है।

क्या उगाते हैं सुधांशु कुमार ?

सुधांशु कुमार खेती से मोटी कमाई करते हैं। उनका सालाना टर्नओवर साढ़े तीन करोड़ का है। वह खासतौर पर फलों की खेती करते हैं, जिसमें आम, लीची, अमरूद, केला, ड्रैगन फ्रूट्स और नींबू आदि शामिल हैं। उन्होंने खेती का तौर-तरीका पूरी तरह बदल कर रख दिया है। वह खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI का भी इस्तेमाल करते हैं। तकनीकी की मदद से श्रमिकों पर निर्भरता कम हुई है और गलती की गुंजाइश भी बेहद कम हो गई है। उन्होंने अपने खेतों में फाइबर ऑप्टिकल केबल बिछाई है, निगरानी के लिए हर तरफ कैमरे लगे हुए हैं। खेतों में कितना पानी देना है, कब देना है- यह सारे काम वह तकनीक की मदद से बैठे-बैठे कर लेते हैं।

माइक्रो इरिगेशन को अपनाया

जब सुधांशु ने आम के साथ ही लीची पर फोकस किया, तो उन्होंने महसूस किया कि माइक्रो इरिगेशन बेहद जरूरी है। यह एक कुशल सिंचाई प्रणाली है, जिससे फसलों की जड़ों तक सीधे पानी पहुंचाया जाता है। इसमें पानी की बर्बादी भी बहुत कम हो जाती है। इसके बाद वह लगातार प्रयोग करते रहे और नई-नई तकनीक की मदद से खेती को निखारते रहे। आज बिहार ही नहीं, पूरे देश में उन्हें पहचान मिल गई है। वह बिहार के सबसे अमीर किसान हैं, जिनका सालाना टर्नओवर तीन से साढ़े तीन करोड़ रुपए है। राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद भी सुधांशु के खेतों को देखने आते रहते हैं।

युवा किसानों को सलाह

सुधांशु का कहना है कि खेती के लिए ज्ञान बेहद जरूरी है। किसान को पता होना चाहिए कि तकनीक का कैसे लाभ उठाया जा सकता है। वैज्ञानिक खेती ही भविष्य है। उनके अनुसार, पारंपरिक खेती में अब ज्यादा कुछ बचा नहीं है। आधुनिक खेती में कमाई सामान्य खेती से कम से कम 8 गुना अधिक है। युवा किसानों को सुधांशु कुमार की सलाह है कि ज्यादा से ज्यादा पढ़ाई करें, नई-नई तकनीकों को समझें।