
dream big
एक्टर, कॉमेडियन सुनील ग्रोवर बता रहे हैं अपने जीवन के सफर के बारे में -
लोग मुझसे मुंबई तक आने वाले मेरे संघर्ष के बारे में पूछते हैं और मैं कहता हूं कि मजे-मजे में कट गया। हरियाणा के सिरसा में डबवाली की मंडी में हमारा छोटा-सा घर था बल्कि आज भी है, वहां चाचा रहते हैं हमारे। यहीं से पढ़ाई-लिखाई की और चंडीगढ़ से थिएटर में मास्टर डिग्री ली। कॉमेडी के सरताज जसपाल भट्टी साहब की नजर पड़ी तो उन्होंने डीडी नेशनल के अपने शो ‘फुल टैंशन’ में ले लिया। तो भारत का पहला मूक कॉमेडी शो ‘गुटर गूं’ भी किया। एक्टिंग की दुनिया में मैं बाकायदा ‘पढ़ा-लिखा’ एक्टर हूं! मैंने जल्दबाजी नहीं की। धीरे-धीरे खुद को संवारा है। यह लोगों का ही प्यार है, जो मुझे इतना काम मिल रहा है और पसंद किया जा रहा है।
अतीत एक ऐसी आरामगाह होती है, जहां पुराने दिन होते हैं, पुरानी स्मृतियां और पुराने लोग होते हैं... वह सब कुछ जो बीत चुका है। वह सब, जिसे आप बयान कर सकते हैं। यहां तक तो ठीक है लेकिन मैं कहूंगा कि लगातार पीछे की तरफ मत जाइए, भविष्य का एक शिशु आपके पांवों से चिपटा है, जिसका आप वर्तमान हैं और जिसे आगे जाना है। यह मत भूलिए कि समय चीजों को पुराना ही नहीं करता, बल्कि वह नया भी करता चलता है। इसलिए हमेशा आगे की ओर देखते रहिए।
लोग मुझे कम, जबकि ‘गुत्थी’ और ‘प्रो. मशहूर गुलाटी’ के किरदारों को अधिक पहचानते हैं। शाहरुख की मिमिक्री ऐसी करता हूं कि खुद शाहरुख भी गच्चा खा जाएं। मैंने खुद से ज्यादा अपने काम को मान दिया है। मैं मानता हूं कि अगर आप सब्जी बेचने जैसा कोई धंधा भी करते हैं तो खरीदने वालों को पहले सब्जी याद आए और बाद में आपका चेहरा!
खुदा होने का भ्रम न पालें
मैं उन लोगों पर खूब हंसता हूं जो खुद को भगवान मानने का भ्रम पाले हुए हैं। आपका नियंत्रण अपने काम तक होता है, आप परिणामों को नियंत्रित नहीं कर सकते, वह काम ईश्वर का होता है। आप ईश्वर को अपना काम करने दें।
किसे कहते हैं सफलता
लोकल ट्रेन पकडऩा भी एक सफलता है और कार खरीदना भी। किताब का एक पाठ पढ़ लेना सफलता है और एक पूरी किताब लिख डालना भी। सफलता के मूल में संतुष्टि का भाव निहित होता है।
Published on:
29 Sept 2018 09:51 am
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