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उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने कहा कि मनुष्य को सफल जीवन के लिए ५ मूल मंत्र अपनाने चाहिए। पहला माता जिसने जन्म दिया, दूसरा मातृभूमि जहां जन्म हुआ, तीसरा मातृभाषा जिससे बोलना सीखा, चौथा मातृपरिवेश जो सांस्कृतिक पहनावा है और पांचवां गुरु जिन्होंने मुकाम तक पहुंचने की शिक्षा दी।
उपराष्ट्रपति बुधवार को यहां सांगानेर में सायपुरा स्थित होम्योपैथी विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। नायडू ने कहा, इन मूल मंत्र को अपनाकर गर्व का अनुभव होना चाहिए। अंग्रेजी में कोई बुराई नहीं है लेकिन अंग्रेजी मानसिकता खराब है। कहा, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति को एलोपैथिक पद्धति के विकल्प के रूप में प्रयोग किया जा रहा है। इसमें साइड इफेक्ट नहीं है, यह रोग को जड़ से मिटाती है।
इस मौके पर राज्य में होम्योपैथी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले होम्योपैथी विवि के चेयरपर्सन डॉ. गिरेन्द्रपाल को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड प्रदान किया गया। उनके नाम पर होम्योपैथी अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र का लोकार्पण भी किया गया। विशिष्ट अतिथि चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ, सांसद एवं प्रायोजक संस्था के अध्यक्ष मनोज राजोरिया आदि भी मौजूद थे।
स्कूलों में क्यों नहीं दी जा रही चित्रकला व संगीत की शिक्षा?
हाईकोर्ट ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम में स्कूलों में शारीरिक शिक्षा की तरह चित्रकला व संगीत विषयों की शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने पर मुख्य सचिव, प्रमुख शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक व माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से ६ सप्ताह में जवाब तलब किया है।
मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नन्द्राजोग व न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने विमल शर्मा की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया। प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कोर्ट को बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम में कला विषय के तहत चित्रकला व संगीत विषयों की शिक्षा अनिवार्य है, लेकिन स्कूलों में इसकी शिक्षा नहीं दी जा रही है।
Published on:
27 Sept 2018 10:25 am
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