
Traffic problem of Katni city
कटनी. शहर की अराजक यातायात व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है। सडक़ें जाम, बेतरतीब पार्किंग, नो-पार्किंग जोन में खड़े वाहन, फुटपाथ और मुख्य मार्गों पर सजते शोरूम, इन सबके बीच सबसे बड़ी भूमिका निभा रहे हैं ऑटो व ई-रिक्शा। शहर में 5200 से अधिक ऑटो और 3642 ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं, जो क्षमता से कहीं अधिक हैं। हैरानी की बात यह है कि न तो चालक यातायात सुधार में सहयोग दे रहे हैं और न ही संबंधित विभाग नियमों का पालन कराने में गंभीर दिखाई देते हैं। यातायात पुलिस, परिवहन विभाग, नगर निगम और थाना पुलिस का तालमेल पूरी तरह कमजोर है, जिसका परिणाम शहर रोजाना भुगत रहा है।
कई वर्ष पहले शहर में ऑटो संचालन को व्यवस्थित करने कलर कोडेड रूट, ड्रेस कोड, नेम प्लेट, और दाहिनी ओर सुरक्षा जाली अनिवार्य की गई थी, लेकिन समय के साथ सब बेपटरी हो चली है। शहर की सडक़ों पर इन दिनों अराजकता, अव्यवस्था और यातायात को लेकर भारी अव्यवस्थित स्थिति बनी हुई है। मुख्य मार्ग हों, बाजार हों या चौक-चौराहे—हर तरफ जाम मा जाम है और आवाम परेशान है। शहर की यातायात प्रणाली लगभग बिना नियंत्रण के स्वत: संचालित चल रही है। इसका सबसे बड़ा कारण शहर में ऑटो और ई-रिक्शा की अनियंत्रित बाढ़ है।
शहर के भीतर वर्तमान में 5200 से अधिक ऑटो, 3642 ई-रिक्शा पंजीकृत, अपंजीकृत स्थिति में सडक़ों पर दौड़ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार की सडक़ संरचना और क्षमता अधिकतम ऑटो को ही समायोजित कर सकती है। लेकिन वास्तविकता यह है कि इससे लगभग दुगुना वाहन नगर सीमा में चल रहे हैं, जो यातायात दबाव का मुख्य कारण है।
कुछ वर्ष पहले कटनी में ऑटो चालकों के लिए एक सुव्यवस्थित सिस्टम लागू किया गया था। अलग-अलग मार्गों के लिए कलर कोडेड रूट, चालकों के लिए ड्रेस कोडख् हर वाहन पर नेम प्लेट, दाहिनी ओर सुरक्षा जाली, वाहन के भीतर चालक का नाम, मोबाइल और हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित करना अनिवार्य था। लेकिन आज की स्थिति में कोई भी नियम लागू नहीं है। यातायात विभाग में भी इन नियमों की मॉनिटरिंग लगभग शून्य हो चुकी है।
शहर के दोनों स्टेशन के बाहर, कोतवाली क्षेत्र, दुर्गाचौक क्षेत्र, बस स्टैंड क्षेत्र में सबसे अधिक जाम तब लगता है जब चालक बीच सडक़ ऑटो खड़ा करते हैं। मनमानी जगहों पर अवैध स्टैंड बनाते हैं, दूसरी और तीसरी लाइन में वाहन पार्क कर देते हैं, सवारियां लोडिंग-अनलोडिंग करने में कई मिनट लगा देते हैं, रूट का कोई पालन नहीं, ना ही यातायात पुलिस का सक्रिय नियंत्रण है।
ऑटो व ई-रिक्शा चालक शहरी व नगरीय सीमा से 20, 30 और 50 किमी दूर तक ओवरलोड सवारी, बोरी, सब्जी, डिब्बा, और व्यवसायिक का सामान ढोते हुए दिख जाते हैं। एक ऑटो में 10 से 15 से अधिक सवारियां और ई-रिक्शा में 10 से अधिक लोगों का बैठना आम बात हो चुकी है। यह न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि हादसों की बड़ी वजह भी।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि अधिकांश ऑटो व ई-रिक्शा चालकों का रिकॉर्ड पुलिस के पास उपलब्ध नहीं न पुलिस वेरीफिकेशन, न पहचान पत्र, न ही स्थायी पता अंकित है ऐसे में किसी आपराधिक वारदात या दुर्घटना के बाद दोषी चालक का पता लगाना भी चुनौती बन जाता है। कई सामाजिक संगठनों ने कई बार इसका मुद्दा उठाया, पर सत्यापन प्रक्रिया आज तक शुरू नहीं हुई।
शहर के कई हिस्सों में नशे की हालत में वाहन चलाने की घटनाएं सामने आई हैं। लेकिन नशे की जांच, ब्रेथ एनालाइजर चेक, मेडिकल टीम, यातायात निरीक्षण अभियान बेहद औपचारिक रूप से ही संचालित हो रहे हैं। इसके कारण दुर्घटनाओं का खतरा लगातार बढ़ रहा है। यातायात व्यवस्था संभालने वाले विभाग यातायात पुलिस, परिवहन विभाग, नगर निगम, थाना पुलिस इनके बीच तालमेल बेहद कमजोर है। किसी भी विभाग के पास स्पष्ट योजना, नियमित अभियान, या सख्त दंडात्मक कार्रवाई नजर नहीं आती।
वर्जन
शहर में यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। नियमों का पालन कराया जाएगा, ताकि जाम की समस्या न हो। मनमानी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अभिनय विश्वकर्मा, एसपी।
Published on:
05 Dec 2025 09:34 pm
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