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कटनी. हाउसिंग बोर्ड कालोनी निवासी पूर्व आम्र्स डीलर नाजिम खान के घर 26 एवं 27 अगस्त की रात हुई आगजनी का प्रकरण गुरुवार को विधानसभा में गूंजा। विधायक संदीप जायसवाल, विधायक प्रणय पांडे, जबलपुर के विधायक अभिलाष पांडे ने ध्यानाकर्षण में यह मुद्दा उठाया। तीन विधायक सहित विधायक संजय पाठक ने कटनी पुलिस को घेरते हुए गंभीर आरोप लगाकर कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए वहीं आगजनी कांड के पीडि़त नाजिम खान व युवक कांग्रेस के प्रदेश सचिव दिव्यांशु अंशू मिश्रा को घेरा। विधायकों के ध्यानाकर्षण पर संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि यह मामला काफी गंभीर है। इधर भी उत्तेजना है और उधर भी उत्तेजना है। उन्होंने कहा कि हम एक-एक बिंदु पर जांच करा लेंगे और यह सरकार किसी निर्दोष के खिलाफ नहीं है, पर दोषी को दोषी को बक्शा नहीं जाएगा। हालांकि ध्यानाकर्षण का जवाब लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा राज्यमंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने सदन में दिया।
जानकारी के अनुसार विधायकों ने ध्यानाकर्षण सूचना में कहा कि नाजिम खान के घर बाउड्रीवाल की नेमप्लेट में आग लगी थी, जो 20 सेकेंड में बुझ गई। आग से किसी व्यक्ति को चोट नहीं आई। इन सबके बाद भी नाजिम खान द्वारा पुलिस से सांठगांठ कर गैरकानूनी तरीके से संवेदनशील गैरजमानती धारा लगवाकर शुभम त्रिपाठी को जेल भेजा गया। उसके परिजनों को अनावश्यक रूप से पुलिस द्वारा प्रताडि़त किया गया। पुलिस पूछताछ के दौरान नियम विरुद्ध तरीके से नाजिम खान और दिव्यांशु मिश्रा द्वारा थाने जाकर शुभम त्रिपाठी से सवाल जवाब किए गए। कटनी के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति व उनके परिवार के सदस्यों के नाम लेने के लिए दबाव बनाया गया। घटना की निष्पक्ष जांच करते हुए शुभम के ऊपर दर्ज प्रकरण निरस्त किया जाए व दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। यह भी बताया गया कि शुभम और उसके दादा की ब्राम्हण समाज में मान-प्रतिष्ठा स्थापित है। गलत कार्रवाई से ब्राहम्ण समाज व अन्य में आक्रोश व्याप्त है।
राज्यमंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल ने कहा कि प्रकरण में विवेचना में सीसीटीवी फुटेज, अन्य तकनीकि साक्ष्य एवं स्वतंत्र साक्षियों के साक्ष्य विश्लेषण अनुसार शुभम त्रिपाठी, ऋषिकेश उर्फ दद्दा, रितिक चौहान व सौरभ द्विवेदी को विधिवत नामजद किया गया है। विवेचना पर आरोपी शुभम को 20 अक्टूबर को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया था। यह कहना सही नहीं है कि पुलिस ने शुभम और उसके परिवार को अनावश्यक रूप से प्रताडि़त किया गया और पुलिस रिमांड के दौरान शुभम से नाजिम और दिव्यांशु मिश्रा द्वारा थाने में पूछताछ करते हुए किसी का नाम लेने दबाव बनाया गया। पुलिस द्वारा प्रकरण की विवेचना में नियमानुसार कार्रवाई की गई है। यह कहना भी गलत है कि आक्रोश व्याप्त है।
बहोरीबंद विधायक प्रणय पांडे ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज मंगवाकर उसकी और इस केस की निष्पक्ष जांच करा ली जाए। इसपर मंत्री पटेल ने कहा कि निश्चित रूप से थाने में सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध होंगे। उसमें ऑडियो रिकॉर्ड भी होता है। उसकी जांच के लिए हम बोल देते हैं। जबलपुर उत्तर से विधायक अभिलाष पांडे ने कहा कि मुझे तीन-चार पत्र मिले है। घटना की पुन: विधिवत जांच करवा लें।
मुड़वारा विधायक संदीप जायसवाल ने कहा कि घटना के सीसीटीवी फुटेज से घटना की गंभीरता का भान हो सकता है कि यह कितना गंभीर था। ब्राहम्ण समाज ने मुझे ज्ञापन भी दिया था। मुजरिमों में एससी, एसटी और ओबीसी समाज के लोग भी शामिल हैं। यदि यह जांच होती है तो सभी समाज को ध्यान में रखा जाए क्योंकि आरोपी की कोई जाति, धर्म नहीं होता। निर्दोष का भी कोई जाति-धर्म नहीं होता। इसलिए तकनीकि जांच और सीसीटीवी फुटेज का विश£ेषण किया जाए।
विजयराघवगढ़ विधायक संजय पाठक ने कहा कि प्रकरण में जो धारा लगाई गई है वह धारा घर जलाने औरघर के अंदर निवासरत लोगों को जिंदा जलाने के प्रयास की लगाई गई है जबकि मामला घर के बाहर 15-20 फीट दूर नेमप्लेट जलाने का है। घर में आग नहीं लगी। घर के लोगों को जलाने का प्रयास नहीं हुआ तो धाराएं किस तरह से लगाई गई है। उन्होंने कहा कि थाना प्रभारी के कक्ष में पुलिस रिमांड के दौरान नाजिम खान और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव दिव्यांशु मिश्रा ने शुभम को धमकाया कि यदि आप भाजपा के वरिष्ठ नेता का नाम लेते हो तो आपके ऊपर से प्रकरण वापस ले लिया जाएगा।
राज्यमंत्री ने कहा कि यह जो प्रकरण है, उसमें लोग न्यायालय में एंटीसिपेटरी बेल के लिए गए थे। बेल के दौरान न्यायालय ने टिप्पणी में बाउंड्रीवाल को भी उसका हिस्सा बताया है, जहां मानव निवास करते हैं।
आदिवासी जमीन घोटाले के संबंध में आदिवासी समाज के नेता व विधायक हीरालाल अलावा के विधानसभा प्रश्न पर सरकार द्वारा दिए गए जवाब पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव दिव्यांशु मिश्रा ने मीडिया से विस्तृत चर्चा की। विधानसभा सत्र के दौरान खुद व नाजिम खान पर लगाऐ गए आरोपों पर भी अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि संजय पाठक कभी पूज्य साधु-संतों की आड़ में छुपते है, कभी अन्य अनर्गल मुद्दे उछालकर जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास करते है, पर वे कभी आदिवासी, सहारा जमीन घोटाले , एक्सिस माइनिंग, ट्विन्स किचिन जमीन का मुद्दा, जज साहब से संपर्क के संबंध के मामलों पर एक शब्द का बयान नहीं देते, जो इस ओर इशारा करता है कि वे भ्रष्टाचार में पूरी तरह लिप्त है और जनता में अपनी विश्वसनीयता खो चुके है। हम सडक़ से सदन तक भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता की लड़ाई अंत तक लड़ेंगे और जीतेंगे।
Published on:
05 Dec 2025 09:40 pm
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