
फाइल फोटो: पत्रिका
Rajasthan Cyber Crime : राजस्थान हाईकोर्ट ने साइबर अपराधों को लेकर कहा कि कहा कि सभी बैंक खातों का केवाइसी व हर गिग वर्कर का पंजीयन अनिवार्य हो, वहीं किसी को 3 से अधिक सिम जारी नहीं हो, 50 हजार से कम सालाना लेन-देन वालों को इंटरनेट बैंकिंग सुविधा नहीं दें। इसके अलावा साइबर अपराध रोकने के लिए राज्य सरकार अलग से केंद्र जैसा ढांचा खड़ा करे, अलग टोल फ्री नंबर जारी करने, जांच के लिए एक्रिडेटेड लैब बनाए।
न्यायाधीश रवि चिरानिया ने साइबर अपराधों पर चिंता जताते हुए दो आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। कोर्ट ने न्याय मित्र अधिवक्ता निशिथ दीक्षित व अन्य विशेषज्ञों को सुनने के बाद कहा कि प्रदेश में साइबर विंग मजबूत करने के प्रयास हुए, लेकिन ढांचा व विशेषज्ञता अपर्याप्त है। कोर्ट ने कहा कि साइबर अपराधों में ट्रेंड लगभग एक जैसा होता है।
1- केंद्र की तर्ज पर राजस्थान में साइबर अपराध नियंत्रण केंद्र (आर4सी) की स्थापना हो
2- राज्य में अलग टोल-फ्री नंबर, जहां एक फरवरी 2026 से एफआईआर दर्ज कर साइबर थाना भेजी जाए।
3- साइबर अपराध जांच के लिए आइटी एक्सपर्ट निरीक्षकों की नियुक्ति; भर्ती नियमों में संशोधन हो।
4- एआई के जरिए अनधिकृत लेनदेन और म्यूल खातों का पता लगाएं।
5- डिजिटल उपकरण बिक्री-खरीद का अनिवार्य पंजीकरण,एक फरवरी 2026 से जानकारी अपलोड करें।
6- कॉल सेंटर, बीपीओ और डिजिटल सेवा प्रदाताओं का पंजीकरण अनिवार्य, शपथ पत्र देना अनिवार्य।
7- ई-कॉमर्स डिलीवरी कर्मियों व गिग वर्कर्स का पुलिस सत्यापन हो, एक फरवरी 2026 से यूनिफॉर्म, पहचान पत्र अनिवार्य।
8- वरिष्ठ नागरिकों के अचानक बड़े लेन-देन करने पर बैंक 48 घंटों के भीतर घर जाकर सत्यापन करे।
9- स्कूली बच्चों के मोबाइल उपयोग को लेकर चार महीनों में दिशानिर्देश जारी हों।
10- डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम का प्रभावी अनुपालन हो।
Updated on:
29 Nov 2025 10:29 am
Published on:
29 Nov 2025 09:04 am
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