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सर्दी-खांसी में चाय पीते हैं, तो ये ही है सबसे बड़ी गलती, डायटिशियन ने बताया काम का नुस्खा

Health Tips: बदलता मौसम और बढ़ता प्रदूषण लोगों की सेहत पर भारी पड़ रहा है। ऐसे में कुछ जरूरी कदम उठाकर खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है।

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Delhi pollution and health

डाइट में बदलाव करके बीमार पड़ने के खतरे को कम किया जा सकता है। (PC: AI/dr renuka dang)

दिल्ली में प्रदूषण एक बड़ी और गंभीर समस्या है। प्रदूषण के चलते लोगों की सेहत भी प्रभावित हो रही है। प्रदूषण से बचने के लिए हम खुद को घर में कैद तो नहीं कर सकते, लेकिन ऐसे कुछ उपाय जरूर हैं जिनकी मदद से नुकसान को कम कर सकते हैं। मशहूर डायटीशियन डॉ. रेणुका डंग ऐसे ही कुछ उपायों के बारे में बता रही हैं।

आम है वायरल इन्फेक्शन

डॉ. रेणुका डंग का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण से सभी को खतरा है, लेकिन जिन लोगों की इम्यूनिटी कम है उनके बीमार बढ़ने की आशंका ज्यादा रहती है। प्रदूषण की वजह से आजकल हर घर में वायरल इन्फेक्शन, जुखाम और खांसी से कोई न कोई पीड़ित मिल जाएगा। ऐसी स्थिति में डेयरी उत्पादों का सेवन बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूध या फिर कोई भी डेयरी उत्पाद कफ या बलगम की वजह बनता है। इसलिए जब जुखाम या खांसी से पीड़ित कोई व्यक्ति इसका सेवन करता है, तो दिक्कत बढ़ जाती है।

यह है सबसे बड़ी गलती

डॉ. डंग के अनुसार, अधिकांश लोग जो सबसे बड़ी गलती करते हैं, वो है सर्दी-जुखाम में चाय पीना। उन्होंने कहा, लोगों को लगता है कि तुलसी-लौंग वाली चाय दिन में कई बार पीने से उनकी समस्या खत्म हो जाएगी। जबकि हकीकत में ऐसा नहीं होता। डेयरी प्रोडक्ट स्थिति और खराब कर देते हैं। इसलिए यदि तुलसी-लौंग का सेवन करना ही है, तो पीने में उबालकर पीना बेहतर है। उन्होंने कहा कि तुलसी-लौंग आदि को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार करें और उसका सेवन करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि वायरल इन्फेक्शन, जुखाम और खांसी से पीड़ित बच्चों को दूध नहीं देना चाहिए।

घबराने नहीं, सावधान रहने की जरूरत

मशहूर डायटीशियन डॉ. रेणुका डंग ने कहा कि मौसम में तेजी से बदलाव अब आम हो गए हैं। इसके अलावा प्रदूषण की बढ़ती समस्या ने भी वायरल इन्फेक्शन को तेजी से फैलने का मौका दिया है। हालांकि, इससे घबराने की नहीं बल्कि सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जो लोग वीगन (डेयरी उत्पाद इस्तेमाल नहीं करने वाले) हैं, उन्हें कफ या बलगम जैसी समस्या का सामना अपेक्षाकृत कम करना पड़ता है। प्लांट बेस्ड डाइट, डेयरी उत्पादों से बिल्कुल अलग होती है।

बस एक महीने यह करके देखें

डॉ. डंग ने कहा कि वीगन बनना या न बनना, लोगों का व्यक्तिगत फैसला है। लेकिन अगर आपको लगता है कि आपकी इम्यूनिटी कम है और बार-बार बीमार पड़ते हैं, तो एक महीने के लिए डेयरी उत्पाद छोड़कर प्लांट बेस्ड डाइट अपनाएं, फायदा जरूर होगा। उन्होंने यह भी कहा कि बदलते मौसम में वायरल इन्फेक्शन की समस्या अक्सर बढ़ जाती है। प्रदूषण इसकी रफ्तार को तेज कर देता है। इसलिए सुरक्षा के उपाय करना जरूरी है।