
कोर्ट ने कहा—सभी विभाग मिलकर काम करें, ग्वालियर को ‘इंदौर मॉडल’ जैसा बनाना ही होगा
शहर में बढ़ती गंदगी, जगह-जगह कचरे के ढेर और केदारपुर लैंडफिल की भयावह स्थिति पर हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने नगरपालिका निगम ग्वालियर और राज्य सरकार से कहा है कि अब बहाने नहीं, ठोस कार्रवाई चाहिए। कोर्ट ने साफ कहा कि ग्वालियर को इंदौर की तर्ज पर स्वच्छ शहर बनाने के लिए नगर निगम, राज्य शासन, काउंसिल, मेयर-इन-काउंसिल और आम जनता साझेदारी में काम करें। ग्वालियर को स्वच्छ और हरित शहर बनाने के लिए जिला प्रशासन, नगर निगम और पुलिस को मिलकर समन्वित प्रयास करने होंगे। अदालत ने कहा कि यह मुद्दा केवल व्यवस्था का नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता से जुड़ा है।
दरअसल सरता सिंह तोमर ने जनहित याचिका दायर की है। जनहित याचिका में शहर की बदहाल स्वच्छता व्यवस्था, सूखा-गीला कचरा इकट्ठा होने, और खासकर केदारपुर लैंडफिल की हालत पर गंभीर सवाल उठाए गए थे। सुनवाई के दौरान न्यायालय के समक्ष नगर निगम के आयुक्त, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और स्वच्छ भारत मिशन के मिशन डायरेक्टर भी उपस्थित रहे। दूसरी ओर, कोर्ट द्वारा नियुक्त अमिकस क्यूरी ने एक विस्तृत रिपोर्ट रखी, जिसमें सफाई व्यवस्था में मौजूद बड़ी खामियों को चिह्नित किया गया। रिपोर्ट में बताया गया कि 600 वाहनों की जरूरत के मुकाबले निगम के पास सिर्फ 240 वाहन हैं, और यही सबसे बड़ी वजह है कि कचरा समय पर उठ नहीं पाता। कचरा उठाने की टाइमिंग नहीं है। इससे लोगों को निगम की गाड़ी पर भरोसा नहीं है। कभी जल्दी आ जाती है और कभी आती नहीं है। कभी लेट आती है। एक दिन में पूरा कचरा नहीं उठता है। इस कारण कचरे के ढेर पड़े हैं। इन कमियों को दूर नहीं करेंगे, तब तक इंदौर जैसा नहीं बनेगा। इस रिपोर्ट को देखने के बाद कोर्ट ने निगम से तुरंत समाधान मांगा है।
रूट प्लानिंग बेहत कमोजर
कोर्ट ने पाया कि रूट प्लानिंग भी बेहद कमजोर है। किस वार्ड में कौन कर्मचारी काम करेगा, किस मार्ग से कचरा गाड़ी गुजरेगी, किस अधिकारी को निगरानी करनी है। इसकी कोई सुव्यवस्थित व्यवस्था नहीं है।
-रूट न बनने से पर्यवेक्षण भी प्रभावी नहीं हो पा रहा है। कोर्ट ने कहा कि पूरे सिस्टम को नए सिरे से व्यवस्थित करना होगा। सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि संसाधनों की कमी दूर करने के लिए नगर निगम को नए विकल्पों पर तत्काल काम करना होगा।
इस दिशा में करना होगा काम
-कॉर्पोरेट सेक्टर से सीएसआर के तहत वाहन और संसाधन लेना होंगे।
- प्रॉपर्टी टैक्स, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट ड्यूज और अन्य बकाया वसूली तेज करना होगा।
-क्राउडफंडिंग और ग्वालियर प्रवासी समुदाय से सहयोग प्राप्त कर एक विशेष कोष बनाना
-कोर्ट ने कहा कि निगम चाहे तो ऐसे मामलों में जुर्माना लगने पर राशि इसी कोष में जमा कराने का निर्देश दे सकता है।
याचिकाकर्ता की ओर से सुझाव
याचिकाकर्ता की ओर से सुझाव दिया गया कि अमिकस की तैयार रिपोर्ट को शहरी निकाय और राज्य के जिम्मेदार अधिकारियों को सौंपकर तुरंत अमल में लाया जाए और लापरवाह कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। नगर निगम की ओर से अदालत को आश्वासन दिया गया कि सभी सुझावों पर गंभीरता से काम किया जाएगा और जल्द ही एक ठोस कार्ययोजना प्रस्तुत की जाएगी। हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी पक्ष 17 दिसंबर 2025 को अगली सुनवाई पर अद्यतन प्रगति रिपोर्ट सहित उपस्थित हों।
Published on:
03 Dec 2025 11:25 am
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