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सेवा निवृत्त कलेक्टर के आचरण की निंदा, पेंशन फाइल में हाईकोर्ट व जांच रिपोर्ट की कॉपी व्यक्तिगत फाइल में रखी जाएगी

पोस्ट-रिटायरमेंट नियुक्ति पर होगा प्रभाव, कोर्ट के आदेश को रखना होगा ध्यान में

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पोस्ट-रिटायरमेंट नियुक्ति पर होगा प्रभाव, कोर्ट के आदेश को रखना होगा ध्यान में

पोस्ट-रिटायरमेंट नियुक्ति पर होगा प्रभाव, कोर्ट के आदेश को रखना होगा ध्यान में

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत मुख्य सचिव की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया, लेकिन कोर्ट ने ग्वालियर पूर्व (तत्कालीन) कलेक्टर अशोक कुमार वर्मा के आचरण की निंदा की। उनकी व्यक्तिगत फाइल में कोर्ट के आदेश व जांच रिपोर्ट को रखने का आदेश दिया है। पोस्ट रिटायरमेंट के बाद यदि कोई नियुक्ति देने पर विचार चल रहा है तो आदेश को ध्यान में रखा जाए। वहीं दूसरी ओर जिन चार अधिकारियों की विभागीय जांच का फैसला लिया गया है, उसे चार महीने के भीतर पूरा किया जाएगा। इस मामले की सुनवाई 24 मार्च को होगी।

क्या है मामला

दरअसल मामला लश्कर क्षेत्र की 5.19 बीघा जमीन का है। पटवारी हल्का 61 की 5.10 बीघा जमीन का फैसला न्यायिक मजिस्ट्रेट ने योगेश शर्मा अन्य के पक्ष में किया था। इस आदेश के खिलाफ शासन ने अतिरिक्त सत्र न्यायालय में अपील दायर की। 9 अक्टूबर 2003 को अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने अपील को खारिज कर दिया।

- 2006 में द्वितीय अपील हाईकोर्ट में पेश की गई, लेकिन अपील का डिफॉल्ट दूर नहीं किया गया। इस कारण अपील खारिज हो गई। 3 हजार 327 दिन देर से अपील को पुन: सुनवाई में लाने के लिए याचिका दायर की। कोर्ट ने इस संबंध में केस प्रभारी पर कार्रवाई के लिए पूछा था। तत्कालीन कलेक्टर अशोक वर्मा ने 12 अधिकारी जिम्मेदार बताए, लेकिन 2018 के बाद से शासन की याचिका सुनवाई में नहीं आई। फिर से याचिका सुनवाई में आई तो कोर्ट ने कार्रवाई के बारे में पूछा। कलेक्ट्रेट में इस केस की फाइल नहीं थी। इसके चलते कोर्ट ने तत्कालीन कलेक्टर के आचरण की जांच के आदेश दिए।

पेंशन नियमों के अनुसार 4 साल बाद नहीं हो सकती है सुनवाई

मुख्य सचिव की रिपोर्ट के अनुसार, अशोक कुमार वर्मा 31 दिसंबर 2019 को सेवानिवृत्त हो गए थे। सेवानिवृत्ति के चार वर्ष से अधिक समय बीत जाने के कारण पेंशन नियमों के अनुसार अब विभागीय कार्रवाई संभव नहीं है। लेकिन उनकी आचरण संबंधी टिप्पणी तथा जांच रिपोर्ट की प्रति उनकी व्यक्तिगत सेवा फाइल में रखने के निर्देश दिए गए। कोर्ट ने स्पष्टीकरण दिया कि अगर भविष्य में अशोक कुमार वर्मा के पोस्ट-रिटायरमेंट किसी भी नियुक्ति का प्रस्ताव आता है, तो व्यक्तिगत फाइल में रखे दस्तावेजों को ध्यान में रखा जाए।