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सिस्टम की गंभीर चूक… वन भूमि पर तना 400 करोड़ का मेडिकल कॉलेज विवादों में

MP News: मध्य प्रदेश में सरकार सिस्टम की गंभीर लापरवाही उजागर, 6000 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा, 400 करोड़ का अवैध मेडिकल कॉलेज बना, विभाग को पता तक नहीं...दमोह से पुष्पेंद्र तिवारी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट...

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दमोह

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Sanjana Kumar

Nov 20, 2025

mp news

mp news: वन भूमि पर अवैध निर्माण और सोया रहा विभाग। (फोटो: पत्रिका)

MP News: सरकारी सिस्टम की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिला प्रशासन की गड़बड़ी से बरपटी क्षेत्र में करीब 400 करोड़ रुपए से बन रहा मेडिकल कॉलेज विवादों में घिर गया है। प्रशासन ने मेडिकल कॉलेज के लिए जो ३० एकड़ जमीन दी, वह राजस्व के बजाय रिजर्व फॉरेस्ट की निकली। जिम्मेदारों ने इस जमीन पर इमारत खड़ी करने से पहले न तो वन विभाग से एनओसी ली और ही कोई तालमेल ही किया। जिम्मेदारों ने ताबड़तोड़ रिजर्व फॉरेस्ट की जमीन पर विशालकाय बिल्डिंग का करीब 80 प्रतिशत स्ट्रक्चर तान दिया।

वन मंडलाधिकारी भी माने यह भूमि 1974 से वन विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज

रोचक यह है कि वन मंडलाधिकारी ईश्वर जरांडे भी मान रहे हैं कि यह भूमि 1974 से वन विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज है। विभाग ने निर्माण के लिए कोई अनुमति भी नहीं दी है। यानी, सरकार के नुमाइंदों ने वन विभाग की जमीन पर मेडिकल कॉलेज का अवैध ढांचा तैयार कर दिया। अब प्रशासन और वन विभाग इस गलती की भरपाई के रास्ते तलाश रहा है।

केंद्र की अनुमति के बिना अवैध निर्माण

बताते हैं, कॉलेज निर्माण के लिए तत्कालीन कलेक्टर तरुण राठी के कार्यकाल में एसडीएम, तहसीलदार और पटवारी के निरीक्षण के बाद जमीन दी गई थी। 3-4 स्तर पर सत्यापन के बाद भी जिम्मेदारों ने वन भूमि पर निर्माण करवा दिया। नियमानुसार रिजर्व फॉरेस्ट में किसी निर्माण के लिए केंद्र की अनुमति जरूरी होती है। इस मामले में ऐसा नहीं किया।

स्ट्रक्चर तैयार, अब समाधान ढूंढ़ रहे

अफसरों की लापरवाही से जनता के करोड़ों रुपए खर्च हो गए और कॉलेज का भवन तैयार हो गया। मामला खुला तो अफसरों की नींद उड़ गई। अफसर इस जटिल समस्या का कानूनी समाधान ढूंढ़ रहे हैं। बताते हैं, वन विभाग ने मामले में विस्तृत प्रस्ताव केंद्र को भेजा है। केंद्र सरकार से अनुमति के बाद वन भूमि के आवंटन का रास्ता साफ हो सकता है।

जमीन की कीमत करोड़ों में

बरपटी शहर से सटा हुआ है, इसलिए इस भूमि की मौजूदा बाजार कीमत 1 से 1.5 करोड़ रुपए प्रति एकड़ आंकी जा रही है। ऐसे में वन विभाग के सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज करोड़ों की जमीन का बिना अनुमति उपयोग करना गंभीर अनियमितता मानी जा रही है। वन विभाग के सूत्र बताते हैं कि मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग के आसपास भी हाल ही में वन भूमि पर नए अवैध कब्जे दर्ज किए गए हैं।

6000 हेक्टेयर जिले में वन भूमि पर कब्जा

मेडिकल कॉलेज निर्माण स्थल ही वन भूमि पर अवैध कब्जे की नजीर नहीं है। जिले में 6 हजार हेक्टेयर से अधिक वन भूमि पर लोगों के कब्जे हैं। हाल ही में 1200 हेक्टेयर भूमि कब्जा मुक्त कराई गई।

3 साल में 270 वर्ग किमी घटा जंगल

आंकड़े बताते हैं, दमोह जिले में जंगल तेजी से सिमट रहे हैं। 2019 में कुल वन क्षेत्र 2774 वर्ग किमी था। 2021 घटकर 2594 वर्ग किमी बचा। 2023 में और गिरकर 2504 वर्ग किमी रह गया। यानी, 4 साल में ही 270 वर्ग किमी जंगल गायब हो गया।

जिम्मेदारों पर कब होगी कार्रवाई?

हद यह है कि मामला खुला तो कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने यह कह दिया कि मामला सुलझा लिया है। वन विभाग को उतनी ही जमीन दूसरे जगह दे दी गई है। लेकिन सवाल यह है कि इस गलती को करने वाले जिम्मेदारों पर कार्रवाई कब होगी?

वन विभाग नेे कोई अनुमति नहीं दी

मेडिकल कॉलेज वन भूमि पर बनाया है। वन विभाग से कोई अनुमति नहीं दी है। निर्माण जनहित से जुड़ा है, इसलिए वन भूमि आवंटन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है।

- ईश्वर जरांडे, डीएफओ दमोह

जमीन का मामला सुलझ चुका है

मेडिकल कॉलेज वाली जमीन का मामला सुलझा चुके हैं। वन विभाग को उतनी ही जमीन दे दी है। बरपटी में वन भूमि पर और कब्जे थे। दावे पेश न होने पर कई आवंटन रद्द कर वनभूमि मुक्त कराई है।

- सुधीर कुमार कोचर, कलेक्टर