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दवा नहीं छूटे, इलाज न रुकेः बीकानेर में डॉक्टरों ने ऐसे थामा मानवता का हाथ कि बन गई मिसाल

अक्सर घरों में बची रह जाती दवाएं बेकार चली जाती हैं, लेकिन अब यही दवाएं किसी जरूरतमंद का जीवन बचा सकती हैं।

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बीकानेर में पहली बार डॉक्टरों ने खुद आगे बढ़कर समाज सेवा का एक अनोखा रास्ता चुना है, दवा दान का। नेशनल मेडिकल ऑर्गनाइजेशन (एनएमओ) की बीकानेर इकाई ने ‘दवादान–जीवनदान’ अभियान शुरू किया है, ताकि गरीब मरीज सिर्फ इसलिए दम न तोड़ें कि उनके पास दवा खरीदने के पैसे नहीं हैं। अक्सर घरों में बची रह जाती दवाएं बेकार चली जाती हैं, लेकिन अब यही दवाएं किसी जरूरतमंद का जीवन बचा सकती हैं।

इसलिए पड़ी जरूरत

बीकानेर के सरकारी अस्पतालों में रोज़ाना ऐसे मरीज आते हैं, जिनका दर्द बढ़ता है, लेकिन जेब में दवा तक खरीदने के लिए रुपए नहीं। डॉक्टरों ने यह पीड़ा नजदीक से देखी और इलाज को सिर्फ कागज़ पर नहीं, जमीन पर उतारने का फैसला लिया। एनएमओ के मंच से जुड़े चिकित्सकों का मानना है कि दवा किसी भी मरीज का पहला हक है और इसी सोच ने इस अभियान को जन्म दिया।

यहां रखी हैं दवा दान पेटियां

एनएमओ अध्यक्ष डॉ. बीके बिनावरा ने अपील की है कि लोग घरों में पड़ी अनुपयोगी, सुरक्षित और अवधि-मान्य दवाओं को इन पेटियों में डालकर किसी का सहायक बनें। पेटियां शहर के इन प्रमुख स्थानों जैसे स्टेशन रोड सब्जी मंडी, लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर, जिला अस्पताल, सेटेलाइट हॉस्पिटल, गंगाशहर सेटेलाइट हॉस्पिटल, वरिष्ठ नागरिक भ्रमण पथ पर रखी गई हैं। इन पेटियों को समय-समय पर खोलकर दवाएं छांटी जाएंगी और स्वास्थ्य शिविरों तथा जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाई जाएंगी।

चिकित्सकों की टीम संभालेगी अभियान

अभियान में डॉ. बीके बिनावरा के साथ डॉ. जितेंद्र फलोदिया, डॉ. मनोज माली, डॉ. सिद्धार्थ असवाल और डॉ. अभिषेक कौशिक सहित संगठन के कई सदस्य लगातार जुड़े रहेंगे। लक्ष्य सिर्फ एक है। कोई भी मरीज दवा के अभाव में पीड़ा न झेले।