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खिजूरीबास टपूकड़ा सडक़ चौड़ीकरण बजट नहीं मिलने से अटका

पूर्व में भी एक बार फंड नहीं मिलने से निरस्त हुआ टेंडर

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भिवाड़ी. खिजूरीबास टोल से टपूकड़ा तक साढ़े आठ किमी में 74 करोड़ से सडक़ चौड़ीकरण एवं सौंदर्यीकरण होना है। रिडकोर ने सितंबर में टेंडर लगाया था। अक्टूबर में टेंडर खुला। तकनीकि और वित्तीय बिड खुल चुकी हैं। अब कार्यादेश जारी होना है। रीको अपने हिस्से का पैसा पीडब्ल्यूडी को देगी, पीडब्ल्यूडी रिडकोर को पैसा देगी। फिलहाल पैसा मिलने का इंतजार हो रहा है, तभी कार्यादेश जारी होगा। टेंडर प्रक्रिया पूरी हुए एक महीने का समय बीत चुका है। कार्यादेश जारी होने के बाद एक साल की अवधि में प्रोजेक्ट पूरा होगा। प्रोजेक्ट की आधी लागत 37 करोड़ रीको देगी और आधी राशि पीडब्ल्यूडी देगी। निर्माण कार्य रिडकोर कराएगी। पूर्व में भी एक बार बजट नहीं मिलने से टेंडर निरस्त करना पड़ा था।
पूर्व में पीडब्ल्यूडी ने अनुदान राशि का 10 करोड़ रुपए रिडकोर को जारी करने की स्वीकृति दे दी थी। रीको ने प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले ही आधी राशि देने से इंकार कर दिया था। रीको की ओर से आए इस निर्णय से प्रोजेक्ट को लेकर दोबारा से उच्च स्तर पर फैसला हुआ है। पीडब्ल्यूडी की ओर से दस करोड़ की राशि जारी करने के आदेश मिलते ही रिडकोर की ओर से बिड डॉक्यूमेेंट तैयार किए गए और टेंडर लगा दिए लेकिन रीको के हाथ पीछे करने से टेंडर भी निरस्त करना पड़ा। उक्त क्षेत्र में 0.65 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना है, अधिग्रहण अलग-अलग जगह पर होगा, जहां चौड़ाई कम है। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पीडब्ल्यूडी को करनी है। बजट अनुदान 2023 मांगों पर खिजूरीबास टोल से टपूकड़ा तक सडक़ को चार से छह लेन करने, दोनों तरफ नाला निर्माण एवं बीच में जहां जमीन की आवश्यकता हो वहां पर अधिग्रहण करने की घोषणा की गई थी। इसके लिए 50 करोड़ का बजट भी घोषित किया गया। गत सरकार की प्राथमिकता में होने की वजह से अधिकारियों ने सर्वे कराया। डीपीआर तैयार होने के बाद प्रोजेक्ट की लागत 74 करोड़ के करीब प्रस्तावित हुई। इसके लिए सरकार ने पीडब्ल्यूडी और रीको को फंड आवंटन की जिम्मेदारी दी। दोनों विभागों को 37-37 करोड़ रुपए देने थे। पहली किश्त के तौर पर पीडब्ल्यूडी को राशि देनी थी। प्रक्रिया पूरी होने के बाद रिडकोर ने टेंडर भी निकाल दिए। इस बीच में आचार संहिता लगने, सरकार बदलने, नई सरकार द्वारा पुराने कामों की जांच, अनुमति लेकर ही नए काम करने से प्रोजेक्ट रुक गया। एक बार रिडकोर की ओर से लगाए गए टेंडर भी निरस्त हो गए क्योंकि संबंधित एजेंसी ने फंड नहीं दिया। धारूहेड़ा तिराहे से खिजूरीबास टोल तक चार किमी सडक़ चौड़ीकरण एवं सौंदर्यीकरण पर बीडा ने करीब 43 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इसी तर्ज पर अब खिजूरीबास टोल से टपूकड़ा तक की सडक़ को विकसित करने की योजना है। धारूहेड़ा तिराहे से खिजूरीबास तक चार से छह लेन सडक़, फुटपाथ, ट्रेक एवं हरियाली विकसित होने से बायपास की सुंदरता बढ़ी है। उद्योग नगरी में बायपास की सडक़ को मॉडल के रूप में पेश किया जाने लगा है। कुछ इसी तर्ज पर खिजूरीबास से टपूकड़ा तक सडक़ निर्माण एवं सौंदर्यीकरण होगा। क्योंकि औद्योगिक क्षेत्र का टपूकड़ा तक विस्तार हो चुका है। बाहर से आने वाले उद्यमी एवं आयातक-निर्यातक इसी सडक़ से उद्योग क्षेत्र में आते-जाते हैं। 14 किमी लंबाई में सडक़ विकसित होने से शहर के विकास एवं विस्तार को पंख लगेंगे।