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राशन के तोल में हो रहा घालमेल, 50 का कट्टा 51 का बताकर दे रहे

गेहूं की सरकारी खरीद के दौरान 50 किलो का कट्टा तोल कर किसानों को भुगतान किया जाता है। कट्टे पर भारतीय खाद्य निगम व 50 किलो का वजन अंकित किया जाता है, लेकिन बाद में जब यह कट्टा डीलर तक पहुंचता है तो उसे बिना तुलाई कर औसत वजन 51 से 52 किलो तक बताकर थमाया जा रहा है।

बारां

Mukesh Gaur

Oct 04, 2025

गेहूं की सरकारी खरीद के दौरान 50 किलो का कट्टा तोल कर किसानों को भुगतान किया जाता है। कट्टे पर भारतीय खाद्य निगम व 50 किलो का वजन अंकित किया जाता है, लेकिन बाद में जब यह कट्टा डीलर तक पहुंचता है तो उसे बिना तुलाई कर औसत वजन 51 से 52 किलो तक बताकर थमाया जा रहा है।
source photo patrika

राशन के तोल में हो रहा घालमेल, 50 का कट्टा 51 का बताकर दे रहे

डीलरों ने लगाया आरोप, हर माह लग रही चपत, करेंगे शिकायत

बारां. जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य दुकानदारों को आवंटित गेहूं के तोल में घालमेल का मामला सामने आया है। उचित मूल्य दुकानदारों (राशन डीलरों) का कहना है कि भारतीय खाद्य निगम की ओर से समर्थन मूल्य पर गेहूं की सरकारी खरीद के दौरान 50 किलो का कट्टा तोल कर किसानों को भुगतान किया जाता है। कट्टे पर भारतीय खाद्य निगम व 50 किलो का वजन अंकित किया जाता है, लेकिन बाद में जब यह कट्टा डीलर तक पहुंचता है तो उसे बिना तुलाई कर औसत वजन 51 से 52 किलो तक बताकर थमाया जा रहा है। इससे कई डीलर को प्रतिमाह चपत लग रही है। इसी माह एक डीलर को दिए गए गेहूं में करीब 150 किलो कम पड़ गया।

अगर यही रहा तो कैसे पड़ेगी पार

डीलरों का कहना है कि उन्हें अधिकतम कमीशन 6000 से लेकर 10000 तक मिलता है। इसमें कर्मचारियों की पगार, दुकान का किराया आदि भी देना होता है। राशन डीलरों ने बताया कि इस तरह से रसद कम निकलने पर प्रतिमाह करीब 3 हजार रुपए से अधिक का गेहूं बाजार से खरीदकर उपभोक्ताओं को देना पड़ता है तो उसकी मजदूरी भी नहीं बचेगी। फिर परिवार चलाना भी भारी पड़ जाएगा। वैसे तोल का यह खेल नया नही है। डीलर अपने खर्च पर धर्म कांटे पर तुलवा सकता है, लेकिन देहात में तो धर्म कांटे भी नहीं हैं। इतना ही नहीं, इसके बाद बारदाने का तोल भी कम नहीं किया जाता है।

टुकड़ों में देने से भी हो रही दिक्कत

शहर के कुछ राशन डीलरों ने बताया कि निगम की ओर से एक गाड़ी में तीन-चार डीलरों का कुछ-कुछ ङ्क्षक्वटल गेहूं टुकड़ों में भेजा जा रहा है। एक डीलर का एक साथ गेंहू नहीं देने से भी वजन में घालमेल हो रही है। डीलर दुकान पर कट्टे की तुलाई के लिए कहता है तो हम्माल उसकी मजदूरी दोगुनी मांगते हैं। यह डीलर के लिए संभव नहीं है।

खरीद केन्द्रों पर किसान से जिस प्रकार गेहूं 50 किलो वेट में खरीदा जाता है, जिसमें उस समय नमी (मॉइस्चर) भी होती है। इसके बाद तो वजन कम होना चाहिए, लेकिन समझ में नहीं आता कि 50 किलो के गेहूं का कट्टा 51 से 52 किलो तक कैसे हो जाता है। दुकान पर पहुंचने वाले गेहूं की तुुलाई के लिए थोक एजेंसी और आपूर्ति विभाग से बात करते हैं तो वह अनसुनी कर देते हैं। एक ट्रक में तीन-चार डीलरों का गेहूं औसत आधार पर भेज दिया जाता है जो कभी भी पूरा नहीं बैठता। एक डीलर कर्मचारी ने बताया कि उसकी दुकान पर वितरण के बाद 150 किलो गेहूं कम निकला। अब उपभोक्ता को तो देना है, ऐसे में बाजार से लाकर देने की मजबूरी हो गई। मामले की उच्च स्तर पर शिकायत की जाएगी

योगेश कुमार गौड, जिलाध्यक्ष, राशन विक्रेता संघ

खाद्य सामग्री के परिवहन की जिम्मेदारी ठेकेदार की है। वह उतारकर और तुलाई कराकर देंगे। इसके लिए उन्हें अलग से मजदूरी दी जाती है। डीलर की भी जिम्मेदारी है कि वह मौके पर वजन कराकर ही प्राप्त करें।

देव सारण, प्रवर्तन अधिकारी, रसद विभाग