राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100वें वर्ष में प्रवेश पर विशेष : 1948 तक संख्या 144 तक जा पहुंची, प्रतिबंध के बाद बंद हुई
बारां. शहर में देश के आजाद होने के करीब तीन साल पहले 1944 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पहली शाखा लगाई गई थी। नगर इससे पहले कोटा जिले में ही शामिल था। संघ ने इसे 1965 में जिला बनाया। संघ की प्रथम शाखा ठाकुर बाबा का बाग ट्रक यूनियन अंबेडकर सर्किल पर प्रारंभ हुई। इस शाखा में शंकरलाल खण्डेलवाल मुख्य शिक्षक थे। प्रारंभिक कार्यकर्ताओं की गिनती में शंकर लाल खंडेलवाल, सेठ गणपत लाल अग्रवाल, मदन गोयल, पुरुषोत्तम गर्ग, प्रह्लाद कुमरा, गोवर्धन बाटा, बृजमोहन, सुखदेव, हरिशंकर नामा आदि प्रमुख माने जाते हैं।
संघ का प्रारंभ होने के बाद धीरे-धीरे शाखाओं का विस्तार हुआ। 1948 तक आते-आते इनकी संख्या करीब 144 हो गई। 1948 में संघ पर पहला प्रतिबंध लगा और शाखाएं बंद हो गई। 1967 में गोहत्या के विरोध में आंदोलन प्रारंभ हुआ। इसके तहत तहसील संघचालक पुरुषोत्तम भटनागर जेल में रहे। 26 जून 1975 को देश में आपातकाल घोषित कर दिया। प्रारंभ में बारां के कुछ स्वयंसेवकों को घरों से उठाकर के मिसा कानून में बंद कर दिया था। इसके बाद संघ के निर्देशानुसार जेल भरो आंदोलन स्वयंसेवकों द्वारा चलाया गया। बारां के कई क्षेत्रो से निर्धारित दिन को 8 से 10 स्वयंसेवकों ने जत्थों में गिरफ्तारियां दी, इस प्रकार बारां में लगभग 72 व्यक्तियों ने आंदोलन करते हुए गिरफ्तारी दी। यह स्वयंसेवक 6 महीने से लेकर 18 महीने तक सेंट्रल जेल कोटा में बंद रहे।
बारां में अखिल भारतीय स्तर के प्रवास
1964 में माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर गुरुजी आए, 1970 में अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख यादवराव जोशी आए, 1971 में माधव राव मूले का प्रवास रहा, 1972 में बाबा साहब आप्टे, 1987 में मोरोपंत ङ्क्षपगले, 1989 में सह सरकार्यवाह रज्जू भैया, डॉ. अंबाजी थत्ते, गोङ्क्षवदाचार्य, मधुभाई कुलकर्णी, इंद्रेश, सुरेश, शंकरलाल, हस्तीमल, डॉ. दिनेश, सुरेशराव केतकर और 2024 में सरसंघ चालक मोहनराव भागवत का प्रवास रहा। ब्रह्मा देव, ठाकुर राम ङ्क्षसह, सोहन ङ्क्षसह, किशन भैयाजी, शंकर लाल, सुरेश, दुर्गादास, निम्बाराम वर्तमान तक इन सभी के प्रवास बारां में रहे।
हाथों में हथकड़ी डाल कोर्ट ले जाते थे
गिरफ्तार होने वाले स्वयंसेवकों को थानेदार द्वारा हाथों में हथकड़ी डाल कर अदालत में पेश किया जाता था। उसमें कुछ स्वयंसेवक 15-16 वर्ष के भी थे। गिरफ्तारी देने वालों में प्रमुख रूप से सेठ गणपत अग्रवाल, मदन गोयल, देवीदत्त गर्ग, प्रमोद शर्मा, हेमराज मीणा, महावीर प्रसाद दीगोद, गिरिराज नागर बांदा, रामकल्याण मीणा बामला रहे।
देश की पहली रात्रिकालीन शाखा बटावदा में लगी
देश की पहली रात्रि शाखा 1963 में बटावदा ग्राम में प्रारंभ हुई। आपातकाल के बाद रात्रि शाखा दर्शन के लिए बहुत सारी बैठकें देश भर के अनेक प्रांतों के प्रचारकों ने बटावदा आकर रात्रि शाखा दर्शन में ली। उस समय एक शाखा पर तीन-तीन गण हुआ करते थे।
वर्तमान में जिले में शाखाओं की स्थिति
संघ के अनुसार जिले में 585 और छीपाबड़ौद जिले में 534 को मिलाकर कुल 1119 गांव है। इनमें 825 स्थानों पर 650 शाखा और 420 मिलन प्रत्यक्ष रूप से संचालित है। बारां जिले में 22000 और छीपाबडौद जिले में 12000 कुल 37000 स्वयंसेवक हैं।
छीपाबड़ौद में ऐसे हुई संगठन की शुरूआत
छीपाबड़ौद में संघ का प्रारंभिक कार्य सन 1950 में संपर्क के माध्यम से प्रारंभ हुआ। उस दौर में छीपाबड़ोद क्षेत्र कोटा के अंतर्गत था। प्रारंभ में लालकृष्ण आडवाणी जो कोटा के विभाग प्रचारक थे। उन्होंने यहां आकर यहां के श्रीकृष्ण कोहनी वाले, सूरजम, मुरलीधर, निशा, मोहनलाल, भैेरुलाल, बाबूलाल से स्वयंसेवकों के नेतृत्व में संघ के कार्य का प्रारंभ किया। प्रारंभ में 2 वर्ष संपर्क के माध्यम से ही कार्य चला। 1951 में छीपाबड़ौद में पहली शाखा झिरी में दानमलजी का बाग में शुरू हुई।
Published on:
04 Oct 2025 10:54 pm