Patrika Logo
Switch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

प्लस

प्लस

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

जापान की मदद के बाद भी काम अधूरा, 20 गांवों के 7131 किसानों के खेत प्यासे

बिलास मध्यम सिंचाई परियोजना के तहत 20 करोड़ की लागत के बाद भी क्षेत्र के किसान नहरी ङ्क्षसचाई से वंचित हैं। काम अधूरा रह जाने से इलाके के 20 गांव के 7131 किसानों को पीड़ा हो रही है।

बारां

Mukesh Gaur

Sep 12, 2025

बिलास मध्यम सिंचाई परियोजना के तहत 20 करोड़ की लागत के बाद भी क्षेत्र के किसान नहरी ङ्क्षसचाई से वंचित हैं। काम अधूरा रह जाने से इलाके के 20 गांव के 7131 किसानों को पीड़ा हो रही है।
source patrika photo

20 करोड़ खर्चने के बाद भी छोर तक नहीं पहुंच रहा पानी

किशनगंज. बिलास मध्यम सिंचाई परियोजना के तहत 20 करोड़ की लागत के बाद भी क्षेत्र के किसान नहरी ङ्क्षसचाई से वंचित हैं। काम अधूरा रह जाने से इलाके के 20 गांव के 7131 किसानों को पीड़ा हो रही है। इस बजट से क्षतिग्रस्त हुई जगहों का फिर से निर्माण करवाया गया था। परंतु इस सीजन में हुई अत्याधिक बारिश से पुराने समय में बनी केनाल भी क्षतिग्रस्त हो गई। जिले की तहसील किशनगंज में बिलास मध्यम सिंचाई परियोजना का काम 1996 में शुरू हुआ। बांध की पूर्ण भराव क्षमता 28.88 मिलियन क्यूबिक मीटर है। परियोजना के कमाण्ड क्षेत्र में 20 ग्रामों का ङ्क्षसचित क्षेत्र कुल 5863 हैक्टेयर है। मुख्य नहर की लंबाई 26.04 किमी है। इसके 8 माइनर निकाले गए हैं। हालांकि इसके लिए 2017 में जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जायका) द्वारा किसानों के हित में पुनरुद्धार के लिए बजट स्वीकृत किया। इसके बाद भी काम अब तक अधूरा है।

ई जगह माइनर हो रहे क्षतिग्रस्त

लेकिन परियोजना के टेल क्षेत्र के कृषकों को सुगमता से सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसमें अधिक पुरानी कैनाल को देखा गया। वर्तमान में करीब एक दर्जन जगहों पर क्षतिग्रस्त हो रही नहर से टेल क्षेत्र तक पानी पहुंचाने में विभाग को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में किसान फिर से आगामी रबी की फसलों में सिंचाई के पानी से वंचित रह जाएंगे। साथ ही इस वर्ष भी किसानों के खेत पड़त रह सकते हैं। 20 करोड़ की लागत से हुए नहर के जीर्णोद्धार के बाद भी किसान नहरी सुविधा से वंचित हैं। मुख्य नहर एवं माइनरों तथा पक्के स्ट्रक्चर्स की स्थिति काफी जीर्ण-शीर्ण है।

इलाके के इन गांवों में हो रही परेशानी

ऐसे में पानी क्षेत्र के भंवरगढ़, ढिकोनिया, कुंदा, कापड़ीखेड़ा, रामपुरिया, फल्दी, पींजना, खेड़ली, बरखेड़ा, बांसुथूनी, हीरापुर, खेड़ली टाटीयान, कांकड़दा,आंकोदिया, कामठा, अमलावदा, दिलोद, लालापुरा एवं किशनगंज की 2220 हैक्टेयर भूमि में नहीं पहुंच पा रहा। इस विषय में जब उच्च अधिकारियों से माइनर समिति सदस्यों ने जब वार्ता की तो कार्य की बात पर किसी भी परिस्थिति में नहर को चालू करने की बात कही गई। साथ ही कहा कि इसके लिए जहां तक बजट स्वीकृत न हो वहां तक मिट्टी से भरे हुए कट्टों को भी डाल कर चालू किया जा सकता है।

क्षेत्र के किसानों की बड़ी समस्या को देखते हुए जल प्रबंधन समिति अध्यक्षों द्वारा 6 अगस्त को उपखंड अधिकारी को जिला कलक्टर के नाम ज्ञापन भी सौंपा था। इसमें क्षेत्र के किसानों की नहर से सम्बंधित समस्या से अवगत करवाया था और समिति सदस्यों द्वारा ही ज्ञापन की प्रति को मुख्यमंत्री, जल संसाधन विभाग, ङ्क्षसचाई मंत्री व बिलास ङ्क्षसचाई परियोजना के एक्सईएन को भी भेजी गई थी, परन्तु उच्च अधिकारियों द्वारा किसानों के हित में प्रतिक्रिया नहीं दिखाई। 2017 में जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जायका) द्वारा किसानों के हित में पुनरुद्धार के लिए बजट स्वीकृत किया। इसका काम 2019 में पूर्ण होना था। जायका ने 1778.47 लाख की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति दी। इसके बाद तकरीबन 1 करोड़ की स्वीकृति पुन: मिली, परन्तु नहर के अंतिम माइनर तक पूर्ण जीर्णोद्धार कार्य में कोई प्रगति नजर नहीं आई। इस कार्य का जायका अधिकारियों द्वारा भी समय समय पर निरीक्षण किया गया था। कनिष्ठ अभियंता जलसंसाधन विभाग भंवरगढ़ ने भी क्षेत्र की समस्या पर पुन: संपूर्ण नहर का जायजा लिया हे।

इस विषय में पत्रिका से प्रेस वार्ता में माइनर नंबर 6 के अध्यक्ष नाथूलाल नागर ने बताया कि यह क्षेत्र के किसानों के लिए आगामी फसल के लिए एक बड़ी चुनौती नजर आ रही है। अगर किसानों को इस वाटर लेवल का लाभ इस नहरी पानी के माध्यम से नहीं मिला तो क्षेत्र के किसानों की हालत बहुत ही दयनीय हो जाएगी। साथ ही बताया कि बिलास सिंचाई परियोजना की नहर के मुख्य द्वार से लेकर के अंतिम माइनर 8 तक नहर क्षतिग्रस्त इतनी है कि नहरी पानी का जब निकास प्रारंभ होता है तो अंतिम माइनर तक पानी ही नहीं पहुंच पाता। किसान नहरी पानी की सुविधा से वंचित रह जाते हैं। भंवरगढ़ मुख्य द्वार माइनर अध्यक्ष नरेन्द्र नगर, रामपुरिया उम्मेद ङ्क्षसह चौधरी, बांसथूनी बृजमोहन नागर, कांकड़दा हरिमोहन नागर,आंकोदिया रमेशचंद नागर द्वारा कई बार किसानों के हित में क्षतिग्रस्त व अधूरी इस नहर के कार्य को लेकर के उच्च अधिकारियों को अवगत भी करवा दिया है और अधिकारियों द्वारा क्षतिग्रस्त नहर के लिए विभागीय उच्च अधिकारीयों को अवगत करवाया गया परन्तु कार्य के लिए बजट की स्वीकृति उन्हें भी नहीं मिली। अधिकारियों ने क्षेत्र के किसानों की इस समस्या को गंभीरता से लिया ओर पुन: कार्य के लिए बजट की गुहार लगाई है। माइनर नंबर 8 के अध्यक्ष नाथु लाल नागर ने बताया कि किसानों की इस विकट समस्या को लेकर गुरुवार को पुन: जिला कलेक्टर के किशनगंज दौरे पर ज्ञापन देकर क्षेत्र के किसानों की नहरी समस्या से अवगत करवाया गया है। इस दौरान माइनर नंबर 7 आंकोदिया के अध्यक्ष रमेशचंद आंकोदिया, सदस्य तोलाराम मेघवाल व किसान मनीष नागर सहित अन्य किसान मौजूद रहे। माइनर नंबर 6 के अध्यक्ष नाथुलाल नागर ने कहा कि अगर क्षतिग्रस्त नहर के निर्माण के संबंध में अधिकारियों का विरोध भी करना पड़े तो समस्त माइनर समिति अध्यक्ष उसके लिए भी तैयार हैं।

क्षेत्र के किसानों की आगामी फसल अब नहरी पानी पर निर्भर है। अगर नहर का निर्माण समय रहते नहीं हुआ तो क्षेत्र के किसानों की मुसीबतें और बढ़ जाएंगी। इसके लिए अधिकारियों का विरोध भी लेना पड़े तो हम तैयार हैं।

नाथूलाल नागर, जल प्रबंधन समिति अध्यक्ष, माइनर नंबर 6

क्षेत्र में अतिवृष्टि के चलते क्षतिग्रस्त हुई नहर के संबंध में विभाग ने पुन: उच्च अधिकारी व ठेकेदार को इस समस्या से अवगत करवा दिया गया है। जल्द ही इस समस्या का निवारण होगा।

जितेंद्र शेखर, अधीक्षण अभियंता बारां, ङ्क्षसचाई विभाग