लगातार भावों में गिरावट तथा अधिक आवक होने से बिगड़े हालात
बारां. हाड़ौती ही नही प्रदेश में सर्वाधिक लहसुन उत्पादक बारां जिले में रबी सीजन में लहसुन का रकबा 25 से 30 प्रतिशत घटने की आशंका है। लहसुन का रकबा जहां वर्ष 2024 में 26 हजार 838 हैक्टेयर था, वही वर्ष 2025 में घटकर करीब 20 हजार हैक्टेयर के अन्दर सिमट सकता है। इस वर्ष लहसुन के भावो में उछाल नहीं आने के कारण लहसुन की फसल की ओर से किसानों का रुझान कम होता नजर आ रहा है।
नहीं मिल रहे खुले बाजार में अच्छे भाव
वर्ष 2024 के अन्त से लहसुन के भाव लुढकने लगे, जो 2025 में नए लहसुन की आवक के बाद भी नही सुधर पाए। लहसुन के भावों में लगातार गिरावट रही। हालांकि इस दौरान शुरुआती समय में बड़े किसानो ने माल को रोककर अच्छे भावों का इंतजार किया। लेकिन भाव अभी तक भी नही संभले हैं। वर्तमान में खुले बाजार में लहसुन के भाव जहां बॉक्स क्वालिटी के उच्चतम 5 से 7 हजार रुपए प्रति ङ्क्षक्वटल पर आ टिके, वहीं लाटरी के भाव तो 16 सौ से 24 सौ रुपए प्रति 100 kilo के भाव तक आ गए हैं।लहसुन उत्पादक किसानो को वर्ष 2022 तथा 2023 में ही व्यापक तेजी देखने को मिली थी। तब वर्ष 2022 में बॉक्स क्लालिटी का लहसुन 35 से 38 हजार रुपए तक बिका तो 2023 में 50 हजार रूपए प्रति 100 kilo तक के उच्चतम भावों तक लहसुन में उछाल आया था। लेकिन वर्ष 2024 के अन्त से भावो में व्यापक स्तर पर गिरावट शुरु हुई जो निरन्तर जारी रही।
अब तो खर्च भी नहीं निकल पा रहा
वर्तमान में कृषि उपज मंडी में प्रतिदिन 6 से 7 हजार कट्टे लहसुन की आवक हो रही है। लेकिन भाव 16 रुपए से लेकर 7 हजार रूपए प्रति 100 kilo के निचले स्तर तक पहुंच गए हैं। इसके चलते किसानों का मूल खर्च भी नही निकल पा रहा है। ऐसे में किसानों का अब लहसुन की ओर से रूझान घटता नजर आ रहा है। दसके चलते आगामी बुवाई का रकबा घटता हुआ नजर आ रहा है।
सुधार की उम्मीद
लहसुन व्यापारियों का कहना है कि भावों में नवरात्र के बाद कुछ सुधार की उम्मीद है। सर्दियों के समय लोकल डिमाण्ड भी बढ़ जाती है, वहीं नए लहसुन की बुवाई का समय भी आ जाता है। ऐसे में भावों में कुछ सुधार की उम्मीद है। हालांकि इस बार लहसुन का राजस्थान ही नही मप्र में भी बम्पर उत्पादन होगा। इससे भी भावों मे गिरावट हो रही है।
इस बार होगी गिरावट
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक धनराज मीणा ने बताया कि खुले बाजार में इस वर्ष भावो में आई भारी गिरावट के कारण इस बार बुवाई का रकबा काफी कम रह सकता है। जहां वर्ष 2024 में रकबा 26 हजार 838 हैक्टेयर था, वह वर्ष 2025 में घटकर 20 हजार हैक्टेयर के अन्दर ही रह सकता है।
जिले से होता है निर्यात
जिले में उत्पादित होने वाले लहसुन की अधिकतर फसल व्यापारी greading करके बाहर के बाजार में भेजते है। इसमें देश के तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तरप्रदेश, असम, दिल्ली तथा राजस्थान के विभिन्न जिलों समेत विदेशों में मुख्यत: खाड़ी देशों में भिजवाया जाता है। लहसुन व्यापारी जदगीश बंसल ने बताया कि हालांकि डिमाण्ड तो ठीक है, लेकिन आवक ज्यादा होने तथा क्वालिटी कमजोर होने से भाव टूट रहे हैं।
गत वर्ष जिलें में लहसुन का रकबा
कोटा जिला 15345
बारां जिला 26838
झालावाड़ जिला 24666
बंूदी जिला 1889
रकबा हेक्टेयर में
Published on:
23 Sept 2025 10:58 pm