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बारां जिले में है वन्यजीव, जड़ी-बूटियों और इतिहास की त्रिवेणी

जिले में शाहाबाद घाटी, सोरसन अभयारण्य व पक्षी विहार, शेरगढ़ अभयारण्य होने के बाद भी यहां पर आने वाले पर्यटकों की संख्या नगण्य ही है। जबकि व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए तो रामगढ़ क्रेटर जिले को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला सकता है।

बारां

Mukesh Gaur

Sep 27, 2025

जिले में शाहाबाद घाटी, सोरसन अभयारण्य व पक्षी विहार, शेरगढ़ अभयारण्य होने के बाद भी यहां पर आने वाले पर्यटकों की संख्या नगण्य ही है। जबकि व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए तो रामगढ़ क्रेटर जिले को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला सकता है।
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बारां जिले में है वन्यजीव, जड़ी-बूटियों और इतिहास की त्रिवेणी

विश्व पर्यटन दिवस विशेष : प्रचार-प्रसार हो तो जिले के पर्यटन को लगे पंख

बारां. जिले में यूं तो बहुत कुछ है। मगर प्रचार-प्रचार के अभाव में न तो इनकी देखरेख हो रही है, न ही पर्यटकों को इसका पता चल पा रहा है। जिले में शाहाबाद घाटी, सोरसन अभयारण्य व पक्षी विहार, शेरगढ़ अभयारण्य होने के बाद भी यहां पर आने वाले पर्यटकों की संख्या नगण्य ही है। जबकि व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए तो रामगढ़ क्रेटर जिले को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला सकता है। यदि इनका सही तरीके से रखरखाव और प्रचार प्रसार किया जाएं तो ये प्रदेश के प्रमुख पर्यटक स्थल बन सकते हैं। अभी जिले में गिने-चुने स्थानों पर ही पर्यटक आते है। इनमें भी अधिकांश देसी और स्थानीय लोग है। विदेशी पर्यटक भी गिनती के ही पहुंच रहे है। जिले में अधिकांश पर्यटक सर्दी के मौसम में आते है। यह सीजन अक्टूबर से फरवरी तक रहता है।

10वीं शताब्दी की कला : काकोनी

हरनावदाशाहजी. परवन नदी किनारे स्थित काकोणी में खंडहर में तब्दील 10वीं शताब्दी का स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना पर्यटन की अपार संभावनाओं को समाहित रखने के बावजूद उपेक्षा का दंश झेल रहा है। कहने को तो पुरातत्व विभाग के बोर्ड यहां लगे हुए हैं, लेकिन अगर यहां पर गतिविधियां हैं तो सिर्फ आस्था के सैलाब की ही नजर आती है। विभाग यहां के जीर्णोद्धार व विकास पर ध्यान दे तो ना केवल यहां पुरासम्पदा का नया अध्याय खुलेगा, बल्कि पर्यटन के क्षेत्र में भी क्षेत्र को एक नया जुड़ाव मिलेगा।

सोरसन अभायरण्य

सोरसन वन्यजीव अभयारण्य इस क्षेत्र का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। लगभग 207 वर्ग किलोमीटर में फैला यह अभयारण्य अपनी समृद्ध वनस्पति और पशु प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है। 1984 में स्थापित, इस अभयारण्य में शुष्क पर्णपाती वन, घास के मैदान और जलीय संरचना इसको खास बनाती है। सोरसन विविध प्रकार की पशु प्रजातियों को देखने का एक बेहतर स्थान है। पर्यटक यहां पर चित्तीदार हिरण, सांभर हिरण, नीलगाय, जंगली सूअर, भारतीय लोमड़ी, लकड़बग्घा और काले हिरण के झुंड देख सकते हैं। यह अभयारण्य पक्षी-दर्शन के लिए बेहतरीन है, यहां 150 से ज्यादा पक्षी प्रजातियों को देखा जा सकता है।

शाहाबाद की घाटी

शाहाबाद संरक्षण रि•ार्व जो तेंदुओं और दुर्लभ पौधों सहित अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यह कूनो राष्ट्रीय उद्यान को अन्य संरक्षित क्षेत्रों से जोडऩे वाले एक बड़े चीता गलियारे का एक महत्वपूर्ण ङ्क्षबदू है। यह इलाका मध्यप्रदेश की सीमा के पास स्थित है और राष्ट्रीय उद्यानों के बीच एक बफर और गलियारे के रूप में कार्य करता है। यह रि•ार्व दुर्लभ पेड़ों, पौधों, तेंदुओं और लकड़बग्घों सहित विविध प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का घर है। शाहाबाद वन प्रस्तावित चीता गलियारे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भारत में चीतों को फिर से बसाने के लिए एक प्रमुख संरक्षण प्रयास है।

रामगढ़ क्रेटर : भारत का पहला भू-विरासत स्थल

16.5 करोड़ वर्ष पहले पूर्व उल्काङ्क्षपड के प्रभाव से निर्मित 3 किलोमीटर व्यास वाले रामगढ़ क्रेटर को देश के पहले भू-विरासत स्थल के रूप में आधिकारिक मान्यता मिल गई है। रामगढ़ क्रेटर अपनी पारिस्थितिकी सेवाओं, जैव विविधता से महत्वपूर्ण है। क्रेटर के अंदर स्थित पुष्कर तालाब खारे और क्षारीय दोनों प्रकार के पानी का स्रोत है, जो इस क्षेत्र की सुंदरता और विविधता में वृद्धि करता है। यहां चंदेल वंश और खजुराहो में उनके मंदिरों से प्रभावित भंडदेवरा मंदिर इसको विशेष बनाते हैं।