राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग की अधिसूचना को लेकर बवाल
बारां. सरकार की ओर से मेडिकल कॉलेजों में सेवारत चिकित्सकोंं से फैकल्टी की कमी पूरी करने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की ओर से चिकित्सा संस्थान विनियम -2025 गाइड लाइन जारी की गई है। इसमें अस्पतालों में सेवारत चिकित्सकोंं को रोगी सेवा अनुभव, शोध और तय योग्यताओं के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में शिक्षक फैकल्टी के तौर पर लगाए जाने की बात है। सेवारत चिकित्सक इस गाइड लाइन को लेकर विशेष उत्साहित है। इनकी ओर से ज्ञापन देकर सरकार का आभार जताते हुए गाइड लाइन लागू करने की मांग की जा रही है। इसे लेकर बारां से 29 चिकित्सकों ने पदनामित सहायक आचार्य के पद से सामूहिक त्याग पत्र देकर प्रदेश में मजबूत संदेश दिया है। वहीं, चिकित्सक शिक्षकों के संगठन राजस्थान मेडिकल शिक्षक एसोसिएशन (आरएमसीटीए) की ओर से पढ़ाने का अनुभव और शोध नहीं करने वालों को सीधे ही मौका देने का तर्क देते हुए कड़ी आपत्ति दर्ज कराई जा रही है।
इनकी दक्षता और उनका अनुभव
जारी की गई अधिसूचना में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर ओर सहायक प्रोफेसर के पदों पर मेडिकल सुपर स्पेशलिटीज और सर्जिकल सुपर स्पेशलिटीज संकाय के लिए अलग-अलग अनुभव, शोध, अनुसंधन और अन्य आवश्यकताओं को शामिल करते हुए पात्रता तय की गई है। एसोसिएट प्रोफेसर के लिए लगातार 10 वर्षो तक 220 बेड के अस्पताल में सेवा देने का अनुभव, सक्षम कोर्स किए हो, शोध पत्र प्रकाशन आदि है। इसमें अनुभव तो है, लेकिन अधिकांश चिकित्सकों ने शोध कार्य नहीं किया है। एक पक्ष का कहना है आरपीएससी परीक्षा व साक्षात्कार आदि के बिना सीधे चिकित्सकों को एसोसिएट प्रोफेसर बनाने से चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
एनएमसी की नई अधिसूचना के मुताबिक समायोजन प्रक्रिया सरकार के स्तर पर विचाराधीन है। आरएमसीटीए की ओर से तर्क के साथ इसका विरोध किया जा रहा है तो सेवारत चिकित्सकों की ओर से भी अपना पक्ष रखा जा रहा है। मामला सरकार के स्तर का है। कॉलेजों में फैकल्टी की कमी तो है। यहां बारां कॉलेज में स्वीकृत फैकल्टी 125 पद है। फिलहाल 3 एसआर समेत 33 पदस्थापित है।
डॉ. सीपी मीणा, प्रधानाचार्य, आयुर्विज्ञान महाविद्यालय, बारां
एनएमसी ने मेडिकल कॉलेजो में फैकल्टी की कमी दूर करने की सराहनीय पहल है। प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेज फैकल्टी की कमी से जूझ रहे है। विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हो रही है। इससे गाइड लाइन के तहत सेवारत चिकित्सकों को स्थायी रूप से एसोसिएट प्रोफेसर या सहायक प्रोफेसर लगाया जाए।
डॉ. देवीशंकर नागर, जिलाध्यक्ष, सेवारत चिकित्सक संघ
आरएमसीटीए का धरना, प्रदर्शन जन विरोधी है। एनएमसी की गाइड लाइन की पालना हो और ग्रुप 1 और 2 मर्ज कर (मध्यप्रदेश की तर्ज पर) नया स्वास्थ्य केडर बनाया जाए। सभी के लिए एनपीए लागू किया जाए। इससे क्रांतिकारी बदलाव होगा।
डॉ दुर्गा शंकर सैनी, प्रदेश महासचिव, अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ
Updated on:
13 Sept 2025 10:43 pm
Published on:
13 Sept 2025 10:42 pm