
गोविंदगढ़. ग्राम पंचायत इन्दपुर में पानी का संकट चरम पर है। करीब 500 घरों की आबादी वाले इस गांव में पीने योग्य मीठा पानी उपलब्ध नहीं है। गांव में सिर्फ एक नलकूप ही चल रहा है, लेकिन उसका पानी भी खारा है। मजबूरी में ग्रामीण उसी से काम चला रहे हैं। संपन्न लोगों को भी मीठे पानी के लिए 2000 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं।
हालात इतने गंभीर है कि सुबह होते ही लोग बर्तन लेकर नलकूप पर लाइन में लग जाते हैं, जहां रोजाना कहासुनी और विवाद की नौबत आ रही है। इधर सरकार की जल जीवन मिशन योजना के तहत नल और पाइपलाइन तो लगा दी गई, पर सप्लाई आज तक शुरू नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना है कि पानी को लेकर सालों से शिकायतें की जा रही है, लेकिन हर बार आश्वासन ही मिला है। यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो ग्रामीण आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
मीठा पानी महंगाग्रामीण महिपाल, सुभाष और रेखादेवी आदि बताते हैं कि मीठा पानी अब गांव में महंगा हो गया है। एक टैंकर पानी के लिए 1500 से 2000 तक चुकाने पड़ते हैं। कई परिवारों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उन्हें उधार लेकर या रिश्तेदारों से मदद मांगकर पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है। ग्रामीणों का कहना है कि मीठा पानी खरीदना अब मजबूरी बन गया है, क्योंकि खारा पानी पीने से दांत खराब होना, पेट दर्द, कमजोर हड्डियां और त्वचा संबंधी रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। ग्रामीणों ने आहत होकर कहा कि पानी तो जीवन है, लेकिन यहां तो वही जीवन खरीदना पड़ रहा है।जेजेएम योजना अधूरी
गांव के बुजुर्गों और महिलाओं ने बताया कि सरकार की जल जीवन मिशन योजना के तहत नल तो घर-घर लगा दिए गए, पाइपलाइन भी डाली गई, लेकिन मीठा पानी सप्लाई अब तक शुरू नहीं हुई। ग्रामीणों के अनुसार विभाग के अधिकारी और ठेकेदार परस्पर एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर पल्ला झाड़ते रहते हैं। शिकायतें कई बार की गईं, लेकिन परिणाम शून्य रहा। ग्रामीणों का कहना है कि योजना नहीं, सिर्फ वादे मिले। टैंकरों और नलकूपों पर ही हम निर्भर है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे संयुक्त रूप से आंदोलन करेंगे।
ये बोले ग्रामीणहमने अपने बचपन में भी इतना पानी संकट नहीं देखा। समय बदला, योजनाएं आईं, फाइलें चली, पर पानी का संकट दूर नहीं हुआ।
रामसिंह जाटव, इंदपुर।..............पानी के लिए सुबह 4 बजे से ही लाइन में लगना पड़ता है। दो बाल्टी पानी मिल जाए तो समझो आज किस्मत अच्छी रही। कभी-कभी झगड़ा इतना बढ़ जाता है कि पुलिस बुलानी पड़ती है।
किरण देवी।..............
मीठा पानी का टैंकर 2000 रुपए में आता है और वो भी हर बार उपलब्ध नहीं होता। गांव में शादी या आयोजन हो तो पानी का इंतजाम ही सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है।अजय खंबरा।
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नल तो हर घर में लगा दिए है, लेकिन पानी सिर्फ उम्मीद में बहता है। पीने के पानी के संकट से सभी परेशान है। अभी सर्दी चल रही है। गर्मी में हालात क्या होंगे।सुनीता देवी
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दूसरे गांव ने बोरिंग नहीं होने दीइंदपुर गांव के लिए जुलाई 25 में जल जीवन मिशन योजना स्वीकृत हुई थी। ग्राम पंचायत सरपंच ने जहांपुर गांव में जल जीवन मिशन योजना के लिए जगह दी थी। जहांपुर के ग्रामीणों ने दूसरे गांव में पानी देने के लिए मना कर दिया और जल जीवन योजना के तहत बोरिंग का कार्य चल रहा था, उसको रोक दिया
निशा मीना, कनिष्ठ अभियंता जलदाय विभाग, गोविंदगढ़।.....................सर्दी की शुरुआत में भी पानी की किल्लत, चार दिन में मिल रही सप्लाई
खेरली. सर्दियों के मौसम भी गर्मियों के जैसे पानी की किल्लत बनी हुई है। आलम यह है कि तीन से चार दिन के अंतराल में पानी की सप्लाई मिल रही है। कस्बा क्षेत्र में पांच बोरवेल से पानी की सप्लाई चल रही है, लेकिन मांग की अपेक्षा पूर्ति कम होने के कारण पानी तीन से चार दिनों में आता है। वह भी अनियमित रूप से स्पलाई होता है। कोई निश्चित समय नहीं है। कभी देर रात तो कभी दिन में पानी की सप्लाई हो रही है। कस्बे के कई मोहल्लों में तो 6 से 7 दिन में एक बार पानी आ रहा है। कस्बा क्षेत्र के आसपास के गांव में लगभग यही स्थिति है। जल जीवन मिशन योजना के तहत सप्लाई शुरू हुई थी, वह बंद है। ठेकेदार की ओर से निर्धारित कार्मिक काम कर रहे हैं तो कहीं ग्रामीणों के भरोसे सप्लाई छोड़ रखी है। गांव बहरामपुर में सप्लाई बिल्कुल ठप है। सौंखरी में एक हिस्से में ही पानी मिल रहा है। समूची में पानी की सप्लाई बंद है। अब नई योजना के तहत बोर किए जा रहे हैं एवं लाइन बिछाई जा रही है। कस्बे में अमृत 2 योजना के अंतर्गत बोर हो रहे हैं। लाइन डालने का काम शुरू होने वाला है। कस्बे में जहां फ्लोराइड युक्त पानी है, वहीं आसपास के गांव में भी इसकी अधिकता है। कस्बे में दूरदराज के गांव से टैंकरों से मीठे पानी की आपूर्ति हो पाती है।
Published on:
07 Nov 2025 12:06 am
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