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राजस्थान में यहां मुस्लिम व्यक्ति का कर दिया अंतिम संस्कार, बरपा हंगामा

Alwar News: अलवर जिला अस्पताल की मोर्चरी में 7 दिसंबर को शव बदल जाने से 76 साल के कैलाश की जगह उनके परिवारजन 70 साल के मोहम्मद साबिर का शव ले गए।

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अलवर

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Anil Prajapat

Dec 10, 2025

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अस्पताल में लोगों को समझाती पुलिस। फोटो: पत्रिका

अलवर। जिला अस्पताल की मोर्चरी में 7 दिसंबर को शव बदल जाने से 76 साल के कैलाश की जगह उनके परिवारजन 70 साल के मोहम्मद साबिर का शव ले गए। उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया। तीसरे दिन अस्थियां विसर्जन करने हरिद्वार जाने लगे। तब पता लगा कि उन्होंने जिसका अंतिम संस्कार किया है, वो एक मुस्लिम था।

मामला खुलने पर मंगलवार को अलवर जिला हॉस्पिटल में मुस्लिम समाज के लोग और मृतक कैलाश का परिवार पहुंचा। दोनों पक्षों ने इसे पुलिस और अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही बताते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने कैलाश का शव उनके परिजनों को सुपुर्द कर दिया, वहीं साबिर की अस्थियों को जीआरपी ने अपने कब्जे में ले लिया।

तीन शव रखे थे, आधार कार्ड गलत लगा दिया

पूरी गफलत कोतवाली, एमआइए और जीआरपी पुलिस की ओर से 6 दिसंबर को हॉस्पिटल में लाए गए शवों के कारण पैदा हुआ। तीनों लाशें लावारिस थी। एमआइए थाना पुलिस को 6 दिसंबर को कैलाश (80) पुत्र रामप्रसाद निवासी थानाराजाजी राजगढ़ का शव एमआइए में फैक्ट्री के किनारे सड़क पर मिला था। पुलिस ने बुजुर्ग के आधार कार्ड के आधार पर उसकी पहचान की। बुजुर्ग अविवाहित था। पुलिस ने पोस्टमॉर्टम करवाकर शव मोर्चरी में रखवाया था।

मुस्लिम समाज ने की कार्रवाई की मांग

मुस्लिम महासभा के जिलाध्यक्ष राहुल खान ने बताया कि जीआरपी पुलिस को साबिर के शव के पास मिली डायरी पर लिखे नंबरों से उनकी पूरी जानकारी मिली थी। साबिर पाली में एक मजार पर 30 साल से रह रहा था। उसका परिवार नहीं है। वह अकेला था। ऐसे में पुलिस ने हमें सूचना दी। हम रविवार को शव देखने आए थे। पता चला कि शव की अदला-बदली हुई है। मुस्लिम समाज ने कोतवाली थानाधिकारी को हॉस्पिटल प्रभारी, मोर्चरी प्रभारी और स्टाफ के के खिलाफ शिकायत दी है।कांग्रेस के प्रदेश सचिव हुसैन सुल्तानिया ने कहा कि यह घोर लापरवाही है, दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

ऐसे हुई शव लेने में गड़बड़ी

मृतक का भतीजा शव लेने मोर्चरी में पहुंचा था। बुजुर्ग 30 साल से घर से बाहर था। भतीजा भी शव नहीं पहचान पाया और ताऊ का शव समझकर साबिर का शव ले गया और अंतिम संस्कार किया। तीसरे दिन मंगलवार दोपहर 3 बजे अस्थियां विसर्जन करने जा रहे थे। तब एमआइए पुलिस का फोन आया। पुलिसकर्मियों ने कहा कि शव ले जाओ। परिवार ने बताया कि हम अंतिम संस्कार कर चुके। ये सुनकर पुलिसकर्मियों के भी होश उड़ गए। सूचना पर परिवार वापस हॉस्पिटल पहुंचा। तब पता चला कि उन्होंने जिसका अंतिम संस्कार किया, वो व्यक्ति मुस्लिम था।

ट्रेन में मिला था गुलाम साबिर का शव

जीआरपी थाना प्रभारी अंजू महेंद्रा ने बताया कि 6 दिसंबर को गुलाम साबिर नाम का व्यक्ति पाली से फैजाबाद जा रहा था, उसकी ट्रेन में मौत हो गई थी। शव अलवर जं€शन पर उतारकर सामान्य अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया था। जिसे मृतक कैलाश का परिवार ले गया और अंतिम संस्कार कर दिया।