युवाओं (Youth) को देश का भविष्य कहा जाता है। सोशल मीडिया (Social Media) पर रहने वाली Gen-Z जब-जब सड़कों पर उतरी, तब-तब सत्ता का सिंहासन डोला। पहले ढाका गिरा और अब काठमांडू में केपी शर्मा ओली की सरकार की रवानगी हुई। बीते कुछ सालों में युवा पीढ़ी ने एशिया (Asia) के कई देशों में सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।
नेपाल में केपी शर्मा ओली की सरकार ने फेसबुक, व्हाटसएप समेत 26 सोशल मीडिया साइट्स बंद करने के निर्देश दिए। सरकार के इस फरमान से युवा पीढ़ी (जेनरेशन जेड) भड़क उठी। दरअसल, सरकार के खिलाफ उनके मन में आक्रोश पहले से भरा हुआ था। वे भ्रष्टाचार और बढ़ती असमानता की खाई से आक्रोशित थे, लेकिन जब सरकार ने सोशल मीडिया बैन का निर्देश दिया तो उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला मानते हुए बगावत का बिगुल फूंक दिया। महज दो दिन के आंदोलन के कारण केपी शर्मा ओली की सत्ता डोल गई। उन्हें इस्तीफा देकर सेना के बैरक में छिपकर रहना पड़ा।
जुलाई 2024 में जेन-जी पीढ़ी ने बांग्लादेश में भ्रष्टाचार और लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग को लेकर ढाका में प्रदर्शन किए। उन्होंने अपनी बात को व्यापक स्तर पर उठाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया। अगस्त के शुरुआती हफ्ते में जेन जी सड़कों पर उतर आए। उन्होंने ढाका में जोरदार प्रदर्शन किया। शेख हसीना की सरकार ने जब दमनात्मक कार्रवाई की तो प्रदर्शन हिंसक हो गया। इसके बाद शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा और भारत में शरण लेनी पड़ी। इसके बाद 8 अगस्त को वहां अंतरिम सरकार बनी। युवाओं ने इसे अगस्त क्रांति का नाम दिया।
इसी तरह मई 2025 में जेन जी के विरोध प्रदर्शन के कारण मंगोलिया में पीएम लुव्सन्नामस्रेन ओयुन-एर्डीन को इस्तीफा देना पड़ा। दरअसल, जेन जी ने प्रधानमंत्री के बेटे द्वारा किए गए अत्यधिक खर्चों के खिलाफ आवाज उठाई। प्रदर्शनों के बाद 3 जून को संसद में पीएम विश्वास मत हार गए और उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा।
नेपाल से पहले श्रीलंका की जेन-जी ने सोशल मीडिया का उपयोग करके जलवायु परिवर्तन, शिक्षा सुधार और भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियानों को बढ़ावा दिया। सितंबर 2025 में श्रीलंका की संसद ने सर्वसम्मति से पूर्व राष्ट्रपति और उनके परिवारों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं को समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया। यह कदम देश में 2022 के गंभीर आर्थिक संकट के बाद जनता के असंतोष को देखते हुए लिया गया, जिसमें महंगाई और आवश्यक वस्तुओं की कमी के कारण व्यापक विरोध-प्रदर्शन हुए थे।
भारी विरोध के बीच जुलाई 2022 को श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पहले मालदीव और फिर सिंगापुर रवाना हो गए थे। राजपक्षे ने सिंगापुर से ही ईमेल के जरिए अपना त्यागपत्र भेज दिया था। देश से भागने के लगभग दो महीने बाद गोटाबाया राजपक्षे 2 सितंबर 2022 को श्रीलंका वापस आ गए।
इंडोनेशिया में भी जेन-जी के विरोध प्रदर्शन के आगे वहां की सरकार को झुकना पड़ा। दरअसल, सरकार ने संसद के सदस्यों के भत्ते में बेताहाशा बढ़ोतरी की, जबकि देश की जनता महंगाई, बेरोजगारी और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रही थी। सरकार के इस कदम ने प्रदर्शन को हवा दे दी। युवाओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इससे राष्ट्रपति और मंत्रिमंडल को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
Updated on:
11 Sept 2025 02:04 pm
Published on:
11 Sept 2025 02:01 pm