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ट्रंप टैरिफ के कारण नाराज होने पर भी पुतिन की राह में पलकें बिछा रहा भारत, क्या है अमेरिका का रुख

Putin India Visit: पुतिन का भारत दौरा भारत और रूस के रिश्तों को मजबूत करेगा, लेकिन अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है।

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भारत

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MI Zahir

Dec 04, 2025

Putin India Visit

व्लादिमीर पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजदीकी किसे खफा कर रही। (फोटो: पत्रिका)

Putin India Visit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा (Putin India Visit) इस समय की सबसे बड़ी कूटनीतिक खबर बन चुका है। यूक्रेन युद्ध के बाद पुतिन का यह भारत दौरा बहुत अहम माना जा रहा है। इस दौरे के दौरान रूस और भारत के बीच रक्षा, ऊर्जा और व्यापार के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत (India Russia Relations) होने जा रही है। इन सभी घटनाओं के बीच, भारत और रूस के बढ़ते रिश्तों को लेकर अमेरिका का रुख मिलाजुला है।

भारत-रूस रिश्ते और अमेरिकी दबाव(India Russia Relations)

भारत और रूस के बीच लंबे समय से मजबूत कूटनीतिक और रक्षा संबंध रहे हैं। भारत ने हमेशा रूस से अपनी सुरक्षा और ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद ली है। खासतौर पर, एस-400 मिसाइल सिस्टम और ब्रह्मोस-II जैसे रक्षा सौदों को लेकर दोनों देशों के बीच मजबूत साझेदारी रही है। रूस भारत का पुराना दोस्त रहा है।

ट्रंप भारत पर रूस से दूर रहने के लिए दबाव बनाते रहे

हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान भारत को रूस से दूर रहने के लिए कई बार दबाव डाला गया था। ट्रंप प्रशासन ने भारत को रूस से रक्षा उपकरण खरीदने के मामले में चेतावनी दी थी। ट्रंप ने कई बार ट्वीट करके भारत को रूस से रक्षा सौदों को कम करने की सलाह दी थी और यहां तक कि अमेरिकी प्रतिबंधों का भी खतरा जताया था।

ट्रंप का ट्वीट और अमेरिकी नीति (US India Relations)

ट्रंप ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर कई बार यह मुद्दा उठाया। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा था, "भारत को रूस से रक्षा सामग्री खरीदने का कोई अधिकार नहीं है, यह भारत के लिए हानिकारक हो सकता है। भारत को अमेरिका से अपने रक्षा संबंधों को प्राथमिकता देनी चाहिए।" ट्रंप का यह रुख भारत के लिए एक चुनौती था, क्योंकि भारत ने रूस से एस-400 जैसी मिसाइल प्रणाली खरीदने का निर्णय लिया था, जो अमेरिका के लिए चिंता का कारण था।

भारत अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी मजबूत करे: यूएस मीडिया

इसके अलावा, अमेरिकी मीडिया ने भी इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की। कई प्रमुख अमेरिकी अखबारों और न्यूज़ चैनलों ने भारत के रूस से बढ़ते रिश्तों को लेकर चिंता जताई। कुछ रिपोर्ट्स ने कहा कि भारत को अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने की आवश्यकता है, जबकि अन्य ने भारत को अपनी स्वतंत्र नीति बनाए रखने की सलाह दी।

पुतिन का भारत दौरा और अमेरिका की प्रतिक्रिया

पुतिन के भारत दौरे के बाद अमेरिका का रुख साफ नहीं हो पाया है। एक तरफ भारत और रूस के बढ़ते रिश्तों पर अमेरिकी चिंता जताता रहा है, वहीं दूसरी ओर, भारत को अपने रक्षा और सुरक्षा संबंधों में स्वतंत्रता बनाए रखने का अधिकार भी है। अमेरिकी सोशल मीडिया पर भी इस दौरे को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दिख रही हैं। कई अमेरिकी यूजर्स का कहना है कि भारत को रूस के साथ रिश्ते मजबूत करने से बचना चाहिए, जबकि कुछ अन्य इसे भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता का हिस्सा मानते हैं।

भारत के लिए रूस से अपने रिश्ते बनाए रखना महत्वपूर्ण

भारत ने हमेशा अपनी कूटनीति में संतुलन बनाए रखा है। भारत के लिए रूस से अपने रिश्ते बनाए रखना महत्वपूर्ण है, लेकिन साथ ही उसे अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ भी अपने संबंध मजबूत रखना है। भारत ने साफ किया है कि वह किसी एक देश के दबाव में आकर अपनी नीति नहीं बदलेगा।

भारत ने अपनी विदेश नीति में किसी प्रकार का समझौता नहीं किया

भारत का रुख पुतिन के दौरे के मद्देनजर पूरी तरह से संतुलित और स्वतंत्र रहा है। भारत ने अमेरिका के दबावों को नजरअंदाज करते हुए रूस के साथ अपने रिश्ते और मजबूत किए हैं। यह बात साफ है कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखेगा, चाहे अमेरिका का रुख कुछ भी हो। पुतिन का भारत दौरा इस बात का प्रतीक है कि भारत ने अपनी विदेश नीति में किसी प्रकार का समझौता नहीं किया और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक हितों को प्राथमिकता दी है।

अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों के लिए एक नई दिशा

पुतिन का भारत दौरा न केवल रूस-भारत संबंधों को आगे बढ़ाएगा, बल्कि यह अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों के लिए एक नई दिशा भी दिखा सकता है। विशेष रूप से एस-400 मिसाइल सिस्टम और ब्रह्मोस-II जैसे रक्षा सौदों को लेकर अमेरिकी चिंता बढ़ सकती है, लेकिन भारत को यह भी देखना होगा कि वह दोनों देशों के बीच संतुलन बनाए रखे। अगले कुछ महीनों में अमेरिका की प्रतिक्रिया और भारत के कदम यह तय करेंगे कि दोनों देशों के रिश्तों में किस तर​ह का बदलाव आता है।