Nepal Gen-Z Protest Durga Prasai: नेपाल में तख्तापलट (Nepal Gen-Z protest) के बाद हालात अब भी अस्थिर हैं। नई अंतरिम सरकार (Nepal army interim government) को लेकर बातचीत जारी है, लेकिन इसमें शामिल कुछ नामों ने Gen-Z आंदोलनकारियों (Gen-Z political movement Nepal)के गुस्से को और भड़का दिया है। खासकर, जब उन्हें यह खबर मिली कि मेडिकल कारोबारी और दक्षिणपंथी नेता दुर्गा प्रसाई (Durga Prasai Nepal) को नेपाली सेना के मुख्यालय में बातचीत के लिए बुलाया गया है। दरअसल काठमांडू में गुरुवार को सेना मुख्यालय के बाहर सैकड़ों युवा इकट्ठा हुए और उन्होंने अंदर चल रही बातचीत सार्वजनिक करने की मांग की। जैसे ही उन्हें पता चला कि दुर्गा प्रसाई को भी बातचीत में शामिल किया गया है, उनका गुस्सा फूट पड़ा। युवाओं ने कहा कि उनका आंदोलन किसी "राजनीतिक सौदेबाज़ी" का हिस्सा नहीं बनने दिया जाएगा। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Discord पर इसका खुल कर विरोध जताया।
दुर्गा प्रसाई एक मेडिकल कारोबारी हैं और उनका नाम पहले भी विवादों में रहा है। सन 2017 में उनकी एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें वे केपी शर्मा ओली और प्रचंड के साथ लंच करते हुए नजर आए थे। उन्होंने मार्च 2025 में नेपाल में राजशाही की बहाली के लिए एक बड़ा आंदोलन किया था, लेकिन उन्हें "पलटीमार" यानी अवसरवादी माना जाता है, जो समय के साथ रुख बदलते रहते हैं। प्रसाई ने कहा है कि उन्हें नेतृत्व में दिलचस्पी नहीं है और वे सिर्फ राजनीतिक समाधान चाहते हैं। बावजूद इसके, प्रदर्शनकारियों को उनका शामिल होना अस्वीकार्य लग रहा है।
पूर्व एनईए प्रमुख कुलमन घिसिंग को Gen-Z प्रदर्शनकारी अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपना चाहते हैं। उनका मानना है कि घीसिंग ने 2016-2018 के बीच नेपाल को लोडशेडिंग (बिजली कटौती) से निजात दिलाई थी। उनकी ईमानदारी, भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख और तकनीकी समझ ने उन्हें युवाओं के बीच भरोसेमंद चेहरा बना दिया है। मार्च 2025 में जब ओली सरकार ने उन्हें हटा दिया था, तब भी युवाओं ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया था। अब वही युवा उन्हें देश की बागडोर सौंपना चाहते हैं।
पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का नाम भी सामने आया था, लेकिन आंदोलनकारी युवाओं ने कहा कि वे न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखना चाहते हैं। साथ ही, संविधान भी पूर्व न्यायाधीश को कार्यकारी पद देने की अनुमति नहीं देता।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे सेना को सत्ता सौंपने या किसी बाहरी ताकत के हस्तक्षेप के पक्ष में नहीं हैं। उन्हें एक ऐसा नेता चाहिए जो पारदर्शी, तकनीकी रूप से सक्षम और जनसमर्थन वाला हो।
बहरहाल नेपाल में जारी राजनीतिक संकट के बीच युवा नेतृत्व को लेकर साफ रुख अपना चुके हैं। वे अवसरवादी चेहरों को नकार रहे हैं और चाहते हैं कि एक ऐसा चेहरा सामने आए, जो वास्तव में देश की समस्याओं को समझता हो। कुलमन घिसिंग इस समय Gen-Z की पहली पसंद बन चुके हैं।
Published on:
11 Sept 2025 06:16 pm