
नई दिल्ली में प्रदूषण। (फोटो: X Handle/ Saggezza Eterna.)
COP30 India Brazil Climate: ब्राजील के बेलेम में COP30 सम्मेलन के बाहर हजारों कार्यकर्ताओं का जीवाश्म ईंधन के ताबूतों के साथ मार्च, जलवायु न्याय की चीख बन कर रह गया। लेकिन भारत (COP30 India Brazil) में यह संघर्ष अलग रंग में नजर आता है। यहां प्रदर्शन सड़कों पर कम, लेकिन प्रदूषण, बाढ़ और कोयले की लत के खिलाफ रोज की जंग (Delhi Pollution Protests) है। नई दिल्ली का प्रदूषण तो कुछ और ही कह रहा है। दोनों जगह अमेज़न के जंगलों और भारत के हिमालय-मॉनसून की रक्षा का सवाल है। एक ओर COP30 में भारत ने इक्विटी की मांग की, लेकिन घरेलू प्रदूषण विरोध हमें सोचने पर मजबूर करते हैं – क्या ग्लोबल साउथ की आवाज एकजुट हो पाएगी ?
ब्राजील के अमेज़न शहर बेलेम में COP30 के द्वार पर संगीत की धुन पर हजारों प्रदर्शनकारी उतरे। स्वदेशी आदिवासी, युवा और अंतरराष्ट्रीय कार्यकर्ता 'अमेज़न को मुक्त करो' के नारों के साथ जीवाश्म ईंधन – तेल, कोयला, गैस – के प्रतीकात्मक ताबूत ढो रहे थे। यह 2021 के बाद पहला बड़ा विरोध था, जहां UN ने प्रदर्शन की इजाजत दी। टुगा सिंटिया जैसे कार्यकर्ताओं ने कहा, "वादे बहुत हो गए, अब एक्शन लो।" समोआ की ब्रियाना फ्रूएन ने जोड़ा, "जीवाश्म ईंधन जल रहे हैं, द्वीप डूब रहे हैं।" मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने सिक्योरिटी तोड़ी, दो गार्ड घायल हुए। यह मार्च अमेज़न की कटाई और तेल खोज के खिलाफ था, जहां ब्राजील सरकार ने सम्मेलन से पहले ड्रिलिंग मंजूर की। वहीं 1600 फॉसिल लॉबिस्ट्स की मौजूदगी ने आग में घी डाला। इंडिया टुडे ने इस विषय पर रिपोर्ट प्रकाशित की है।
भारत में जलवायु विरोध का स्वरूप अलग है – बड़े मार्च कम, लेकिन लोकल जंगें तेज। COP30 शुरू होने से एक दिन पहले दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ सड़कें गूंजीं। लोग बैनर लहरा रहे थे, "साफ हवा हमारा हक है।" 2025 की रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत के 13 शहर दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से हैं, दिल्ली नंबर वन है। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2025 के अनुसार, 2023 में वायु प्रदूषण से 20 लाख मौतें हुईं। यह विरोध COP30 के संदेश से जुड़ता है – यानि जीवाश्म ईंधन का चरणबद्ध अंत। लेकिन भारत में कोयला अभी 80% ऊर्जा का राजा है, LNG विस्तार 1.5°C लक्ष्य को खतरे में डाल रहा है। फिर भी, अच्छी खबर: गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50% बिजली क्षमता, 2030 टारगेट 5 साल पहले हासिल।
ब्राजील का अमेज़न मार्च और भारत के प्रदूषण विरोध में समान धागा है – विकासशील देशों की जलवायु न्याय की मांग। अमेज़न की कटाई की तरह, भारत के हिमालय ग्लेशियर पिघल रहे हैं, मॉनसून बाढ़ ला रहा है। सन 2025 में भारत ने हीटवेव, सूखा और बाढ़ झेले – 19.8 हीट डेज, कई मानव-निर्मित हैं। दोनों देश BASIC ग्रुप में हैं, जहां भारत ने COP30 में कहा, "विकसित देश फाइनेंस दो, CBDR-RC का सम्मान करो।" ब्राजील ने अमेज़न में तेल मंजूरी दी, भारत ने कोयला प्लांट बढ़ाए – दोनों पर जीवाश्म लत का आरोप है। लेकिन दोनों ने रिन्यूएबल्स पर जोर दिया: भारत ने सोलर-विंड से आधा बिजली लक्ष्य हिट किया, ब्राजील ने ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फंड लॉन्च किया। COP30 में भारत ने LMDC की ओर से एडाप्टेशन फाइनेंस 15 गुना बढ़ाने की मांग की, अमेज़न मार्च की तरह – "कोई पीछे न छूटे।"
फर्क साफ है। बेलेम का मार्च ग्लोबल था – स्वदेशी ताबूत, पुलिस टकराव, UN गेट ब्लॉक। भारत में विरोध लोकल: दिल्ली की स्मॉग, बिहार चुनाव के बीच प्रदर्शन। अमेज़न जैव विविधता का प्रतीक, भारत का संघर्ष वायु-जल संकट का प्रतीक। ब्राजील में 1600 लॉबिस्ट्स घूम रहे हैं, भारत में G20 प्रेसीडेंसी के दौरान कोयला फेज-आउट से हिचकिचाहट दिखी। COP30 में भारत का लो-प्रोफाइल – मोदी की अनुपस्थिति में एंबेसडर ने स्पीच दी। लेकिन भारत ने ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फंड में ऑब्जर्वर जॉइन किया, अमेज़न संरक्षण में साझेदारी है। अंतर यह भी है: ब्राजील 'नेचर COP' कहलाया, भारत 'एडाप्टेशन COP' पर जोर दे रहा है– यानि फाइनेंस और टेक्नोलॉजी की मांग।
COP30 में भारत ने इक्विटी का झंडा थामा। एंबेसडर दिनेश भाटिया के अनुसार, "पेरिस के 10 साल बाद भी NDCs कमजोर है, लेकिन विकसित देश एक्शन ले रहे हैं।" भारत ने 2035 NDC अभी घोषित नहीं किया, लेकिन रिन्यूएबल्स पर प्रोग्रेस दिखाई – GDP एमिशन इंटेंसिटी 36% कम है। US की अनुपस्थिति (ट्रंप का 'धोखा') ने भारत को ग्लोबल साउथ लीडर बनाया। लेकिन घरेलू चुनौतियां: 1.4% एमिशन बढ़ोतरी 2025 में, कोयला निर्भरता है। प्रदूषण विरोध दिखाते हैं – ग्लोबल वादों का असर लोकल होना चाहिए। ब्राजील की तेल मंजूरी की तरह, भारत को LNG रोकना होगा।
बहरहाल बेलेम का मार्च और दिल्ली का प्रदूषण – दोनों जलवायु संकट की चेतावनी हैं। भारत और ब्राजील जैसे देशों को मिल कर विकसित दुनिया से फाइनेंस-टेक मांगनी होगी। COP30 'मोमेंट ऑफ ट्रूथ' है – अगर 1.3 ट्रिलियन डॉलर सालाना फाइनेंस आया, तो अमेज़न बचेगा, दिल्ली की हवा साफ होगी। भारत की प्रोग्रेस प्रेरणा है, लेकिन फेज-आउट जरूरी है। ग्लोबल साउथ की एकता ही जीत दिलाएगी – वादों से आगे, एक्शन तक।
Published on:
16 Nov 2025 03:48 pm
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