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चंद्रयान-2 ने किया कोरोनल मास इजेक्शन का चंद्रमा पर महत्वपूर्ण अध्ययन

इसरो ने चंद्रयान-2 के पे-लोड (वैज्ञानिक उपकरण) चंद्रा एटमॉस्फेरिक कंपोजिशन एक्सप्लोरर-2 (चेस-2) के जरिए यह पता लगाया कि सूर्य से निकलने वाली ये अत्यधिक गर्म ज्वालाएं चंद्रमा के वायुमंडल को सीधे तौर पर प्रभावित करती है।

भारत

Himadri Joshi

Oct 20, 2025

Chandrayaan-2
Chandrayaan-2

देश के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 ने सूर्य से निकली प्रचंड सौर ज्वालाओं (कोरोनल मास इजेक्शन) का चंद्रमा के बेहद विरल वातावरण पर पडऩे वाले प्रभावों का गहराई से अध्ययन किया है। वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 के पे-लोड (वैज्ञानिक उपकरण) चंद्रा एटमॉस्फेरिक कंपोजिशन एक्सप्लोरर-2 (चेस-2) के जरिए यह पता लगाया कि सूर्य से निकलने वाली ये अत्यधिक गर्म ज्वालाएं चंद्रमा के वायुमंडल को सीधे तौर पर प्रभावित करती है।

इसरो ने दी जानकारी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा है कि सौर विस्फोटों की ऊर्जा चंद्रमा के बहिर्मंडल पर व्यापक असर डालती हैं। पिछले साल 10 मई को सूर्य के अति सक्रिय क्षेत्र एआर 13664 से निकली प्रचंड लपटों के कारण चंद्रमा के बहिर्मंडल में मौजूद उदासीन परमाणुओं और अणुओं का घनत्व सामान्य से कई गुणा बढ़ गया। जब ये सौर ज्वालाएं चंद्रमा की सतह से टकराईं, तब चंद्रयान-2 ने इस दुर्लभ घटना का बारीकी से अध्ययन किया।

चंद्रमा के चारों ओर मौजूद वायुमंडल होता है चंद्र बहिर्मंडल

चंद्रमा के चारों ओर मौजूद अत्यंत विरल वायुमंडल को चंद्र बहिर्मंडल कहा जाता है, जहां सौर तूफान के कारण कुल दबाव में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। चंद्रयान-2 के अध्ययन से उन वैज्ञानिक सिद्धांतों की पुष्टि हुई, जो पहले केवल सैद्धांतिक रूप में थीं। चंद्रयान-2 ने पहली बार प्रत्यक्ष रूप से इन घटनाओं के प्रभाव को देखा और सिद्धांतों प्रमाणित किया।

बेहद संवेदनशील चंद्रमा का वातावरण

चंद्रमा का बहिर्मंडल बहुत विरल होता है। यहां परमाणुओं और अणुओं के बीच सह-अस्तित्व के बावजूद शायद ही कभी परस्पर क्रियाएं होती है। जब सूर्य से निकली प्रचंड लपटें यहां पहुंचती हैं, जिनमें अधिकतर हीलियम और हाइड्रोजन के आयन होते हैं, तो ये चंद्र सतह से प्रतिक्रिया कर परमाणुओं और अणुओं को मुक्त (सतह से अणुओं और परमाणुओं को अलग करती हैं) करती हैं, जो बाह्यमंडल का हिस्सा बन जाते हैं। चंद्रमा का बहिर्मंडल वैश्विक चुंबकीय क्षेत्र के अभाव में सूर्य की गतिविधियों के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं।

चंद्र बस्तियां बसाने के लिहाज से अहम

इसरो ने कहा है कि 10 मई 2024 की घटना ऐतिहासिक थी, क्योंकि उस दिन सूर्य से बड़े पैमाने पर कोरोनल मास इजेक्शन हुआ था। इस बढ़ी हुई सौर ऊर्जा ने चंद्र सतह से परमाणुओं को अलग करने की मात्रा को काफी बढ़ा दिया। इससे चंद्रमा के बाह्यमंडल में गैसों का दबाव बढ़ गया। यह घटना वैज्ञानिकों के लिए इस बात का सबूत है कि सूर्य और चंद्रमा के बीच की परस्पर क्रिया कितनी गहराई से काम करती है। यह खोज भविष्य के चंद्र अभियानों और मानव बस्तियां बसाने के मिशनों के डिजाइन में मददगार होगी।