नागौर. शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर चुकी है। सार्वजनिक मार्ग हो या आवासीय क्षेत्रों की गलियां—हर जगह कचरे के ढेर और सीवरेज चेंबर से बहते पानी ने हालात बिगाड़ दिए हैं। गली-मोहल्लों से लेकर प्रमुख मार्गों तक फैली गंदगी से शहरवासी परेशान हैं। ठेकेदारों और नगरपरिषद कर्मियों की भारी-भरकम फौज तैनात होने के बावजूद व्यवस्था सुधरने की जगह बिगड़ती जा रही है।
ठेकेदारों की मनमानी, भुगतान पर कोई रोक नहीं
नगरपरिषद का दावा है कि अनुबंध के तहत गाडिय़ों से नियमित कचरा परिवहन कराया जा रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि निर्धारित गाडिय़ों की बजाय सिर्फ गिनी-चुनी गाडिय़ां ही सडक़ों पर निकलती हैं। शहर के कई हिस्सों से महीनों तक कचरा नहीं उठता, मगर ठेकेदार का भुगतान हर माह जारी रहता है। राजनीतिक रसूख, अफसरों की हडक़ और कमीशनखोरी ने सफाई व्यवस्था की कमर तोड़ दी है।
पड़ताल: शहर के मार्ग और चौक बने कचरा डिपो
रविवार को की गई पड़ताल में बांगडिय़ों की गली, काठडिय़ा का चौक, बाठडिय़ों का चौक, नया दरवाजा से बंशीवाला मार्ग, नकास गेट से गांधी चौक, दिल्ली दरवाजा, इंदिरा कॉलोनी, पुराना पॉवर हाउस और व्यास गली सहित कई स्थानों पर कचरे के बड़े-बड़े अंबार मिले। यही हाल किले की ढाल, गुजरातियों की गली, डोडी पीर साहब की दरगाह के पास, मच्छियों का चौक और अन्य रास्तों पर भी देखने को मिला। यहां आवारा पशु कचरे में भोजन तलाशते नजर आए।
नगरपरिषद से कुछ दूरी पर भी गंदगी का अंबार
सफाई व्यवस्था की हकीकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नगरपरिषद कार्यालय से महज सौ मीटर की दूरी पर रेलवे स्टेशन रोड पर बड़े पैमाने पर कचरे के अंबार पड़े रहे, जिन पर पशु मुंह मारते मिले। यही स्थिति शहर के कई मोहल्लों और चौकों में बनी हुई है।
संसाधन तो हैं, पर हाल बेहाल
नगरपरिषद में सफाई के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। यहां कुल 387 सफाईकर्मी हैं, जिनमें 120 ठेके पर और 267 नगरपरिषद के स्थायी कर्मचारी शामिल हैं। इसके अलावा 58 ऑटो टिपर और 3 ट्रैक्टर कचरा ढुलाई के लिए मौजूद हैं। इतने संसाधनों के बावजूद शहर गंदगी से बेहाल है, जो जिम्मेदारों की बेफिक्री और लापरवाही को उजागर करता है।
जनता की जुबानी…
नगरपरिषद एवं ठेकेदारों की मिलीभगत के कारण नागौर शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से खत्म हो चुकी है।
महावीर बिश्नोई, अधिवक्ता
पानी उतरने के बाद गंदगी क्षेत्र में बनी हुई है। यहां पर गंदगी वजह से मच्छर हो गए हैं। न तो सफाई हुई, और न ही छिडक़ाव ।
सुरेश भार्गव, शहरवासी
पूरे मोहल्ले में गंदगी बनी हुई है। कचरा सड़ांध मार रहा है, लेकिन सफाई नहीं कराई जा रही है।
मुकेश प्रजापत, भार्गव मोहल्ला
कचरा का अंबार लगा रहता है। यहां न तो सफाई हो रही है, और न ही कचरा का परिवहन हो रहा है। गाडिय़ां आती ही नहीं है।
देश रावल, पुराना पावर हाउस के पीछे