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चण्डीगढ़ हरियाणा

आख़िरकार रिटायर हुआ मिग-21 फायटर जेट, 70 साल पुराना योद्धा… अब बन गया इतिहास

26 सितंबर 2025 को भारतीय वायुसेना ने अपने सबसे पुराने और प्रतिष्ठित लड़ाकू विमान, मिग-21 को आखिरकार विदाई दे दी है।

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26 सितंबर 2025 को भारतीय वायुसेना ने अपने सबसे पुराने और प्रतिष्ठित लड़ाकू विमान, मिग-21 को आखिरकार विदाई दे दी है। चंडीगढ़ में आयोजित एक खास समारोह में आखिरी दो स्क्वाड्रन – नंबर 23 ‘पैंथर्स’ और नंबर 3 ‘कोबरा’ – रिटायर कर दिए गए। ये दोनों स्क्वाड्रन मिलकर लगभग 36 मिग-21 विमानों का संचालन कर रही थीं।

मिग-21 ने लगभग 70 साल भारतीय वायु सेना में अपनी सेवा दी है ऐसे में यह एक युग का अंत सा हुआ है। इसके साथ ही एक बड़ी चिंता की शुरुआत भी हो गई है। मिग-21 की विदाई के बाद अब भारतीय वायुसेना के पास केवल 29 लड़ाकू स्क्वाड्रन बचे हैं, जबकि जरूरत 42 स्क्वाड्रन की है। इसका मतलब है कि अगर कभी पाकिस्तान और चीन के साथ दो मोर्चों पर युद्ध हुआ, तो भारत को गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

साल 1963 में जब मिग-21 भारतीय वायुसेना में शामिल हुए थे, तब ये दुनिया के सबसे आधुनिक इंटरसेप्टर माने जाते थे। ये एक इंजन और एक सीट वाले लड़ाकू विमान थे, जो सोवियत संघ के मिकोयान-गुरेविच डिजाइन ब्यूरो द्वारा बनाए गए थे। मिग-21 ने 1965, 1971 और 1999 के करगिल युद्ध में अपनी ताकत साबित की है। भारत ने समय-समय पर इनके अलग-अलग वेरिएंट मिलाकर रूस से 700 से ज्यादा मिग-21 विमान खरीदे थे। 2006 के बाद 100 से ज्यादा विमानों को ‘बाइसन’ वर्जन में अपग्रेड किया गया। इसमें मॉडर्न एवियोनिक्स, बेहतर रडार और एडवांस्ड मिसाइल सिस्टम लगाए गए। लेकिन इंजन की समस्या हमेशा बनी रही। मिग-21 का इंजन अचानक फेल हो जाना आम बात थी – और एक इंजन वाले विमान में ये सबसे बड़ा खतरा होता है।

दरअसल पिछले 60 सालों में 500 से ज्यादा मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं और इनमें कम से कम 170 पायलटों की जान जा चुकी है। 2010 के बाद से ही 20 से ज्यादा हादसे हुए हैं। फिर भी कई वरिष्ठ पायलट मानते हैं कि इन विमानों ने जितनी उड़ानें भरी हैं, उसे देखते हुए उनका रिकॉर्ड उतना खराब भी नहीं है जितना समझा जाता है। मिग-21 के जाने के बाद अब भारतीय वायुसेना को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इनमें सबसे बड़ी चुनौती है – स्क्वाड्रन की कमी। जहां पाकिस्तान के पास 20-25 और चीन के पास 60 से ज्यादा फाइटर स्क्वाड्रन हैं, तो वहीं भारत के पास अब सिर्फ 29 स्कवाड्रन बची हैं। चिंता की बात ये भी है कि आने वाले सालों में मिग-29, जगुआर और मिराज-2000 जैसे पुराने विमान भी रिटायर होने वाले हैं।

ऐसे में इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय सेना ने अपनी एयर डिफेंस को मजबूत करने पर फोकस किया है। रूस से खरीदे गए S-400 मिसाइल सिस्टम और भारत में बना ‘आकाशतीर’ सिस्टम, दोनों ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया। वहीं भविष्य की तैयारी के लिए सबसे बड़ी उम्मीद स्वदेशी लड़ाकू विमान प्रोग्राम पर टिकी है। इस समय दो स्क्वाड्रन LCA तेजस Mk1 विमान ऑपरेशनल हैं। HAL अब 180 तेजस Mk1A विमानों की डिलीवरी करने जा रहा है। इनमें 83 विमानों का ऑर्डर 2021 में दिया गया था, जबकि 97 और विमानों के लिए ऑर्डर सितंबर 2025 में साइन हुआ है। तेजस Mk1A में आधुनिक AESA रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और BVR मिसाइलें शामिल हैं। इसके अलावा तेजस Mk2 और पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर AMCA भी डेवलप किया जा रहा है। जो अगले दशक तक वायु सेना में शामिल होने की उम्मीद है।

बता दें कि मिग-21 के रिटायरमेंट के साथ एक युग का अंत हो गया है। लेकिन इससे ये भी साफ है कि भारत को अपनी वायुसेना को आधुनिक बनाने की रफ्तार तेज करनी होगी। समय रहते अगर नई तकनीक, तेज डिलीवरी और बेहतर योजनाएं नहीं बनीं, तो आने वाले दशक में भारत की हवाई शक्ति कमजोर पड़ सकती है। लेकिन अगर स्वदेशी प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे हुए, और विदेशी डील्स सही दिशा में आगे बढ़ीं – तो भारतीय वायुसेना पहले से कहीं ज्यादा ताकतवर बनकर उभरेगी।