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बारूद की दहलीज पर उदयपुर! जब जिंदा जल गए थे 7 मजदूर, अब भी कई जगह खतरे के ‘गोदाम’

हालात ऐसे हो चले हैं कि कमाई के फेर में अब मकानों के बेसमेंट में गोदामों का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। फिर भी भवन निर्माण की स्वीकृतियां देने वाले जिम्मेदार अधिकारी उन पर कार्रवाई नहीं कर रहे।

Udaipur
बारूद के ढेर पर शहर (फोटो- पत्रिका)

उदयपुर: सुखेर की केमिकल फैक्ट्री में आठ साल पहले लगी भीषण आग का खौफनाक मंजर आज भी शहरवासी नहीं भूल पाए हैं। ड्रमों में भरे सॉल्वेंट के धमाकों से सात लोगों की मौत हो गई थी। सैकड़ों घरों में दहशत और पूरा इलाका धुएं से भर गया था।


सवीना में तो एक बंदूक की दुकान में रखे बारूद में हुए विस्फोट से दो लोगों के चिथड़े उड़ गए थे। इसके अलावा कई रिहायशी इलाकों में बने अवैध गोदामों में कई बार कबाड़, बारदान तो कई प्लास्टिक के सामान जले। लाखों के नुकसान के बीच कई लोगों की जान सांसत में आई, लेकिन इन हादसों के बाद भी प्रशासन ने किसी से कोई सबक नहीं सीखा।


हालात ऐसे हो चले हैं कि कमाई के फेर में अब मकानों के बेसमेंट में गोदामों का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है। फिर भी भवन निर्माण की स्वीकृतियां देने वाले जिम्मेदार अधिकारी उन पर कार्रवाई नहीं कर रहे। इसके चलते आज भी शहर के रिहायशी इलाकों में ज्वलनशील रसायन, प्लास्टिक, कबाड़ और बारूद से भरे अवैध गोदाम खुलेआम चल रहे हैं और प्रशासन मौन है।


रिहायशी इलाकों में छिपे बारूदखाने


सुखेर, कलड़वास, मादड़ी, खेमपुरा, ठक्कर बापा कॉलोनी, ढेबर कॉलोनी इन सभी इलाकों में अवैध गोदाम और केमिकल स्टोरेज यूनिट्स बिना किसी अनुमति के चल रहे हैं। कई मकानों के बेसमेंट में गोदाम बनाकर किराए पर चढ़ाए गए हैं। इनमें ज्वलनशील पदार्थ, बारूद, प्लास्टिक और सॉल्वेंट रखे हैं।


जबकि वहां सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। ज्यादातर जगह पर बिजली के खुले तार हैं, कोई अग्निशमन उपकरण नहीं है और आसपास पेट्रोल पंप व रिहायशी कॉलोनियां होने से हर बार खतरा मंडरा रहा है।


मादड़ी प्लास्टिक गोदाम, आग के बाद भी प्रशासन मौन


शहर में अलग-अलग इलाकों में कबाड़, बारदान और प्लास्टिक के गोदामों में कई बार आग लग चुकी है। सुखेर में प्लास्टिक सामान के शोरूम में आग से लाखों का नुकसान हुआ। मादड़ी इंडस्ट्रियल एरिया में कबाड़ी गोदाम जलकर खाक हो गया। सबसिटी सेंटर के बारदान गोदाम में आग से पूरा स्टॉक राख हुआ। हर बार आग के बाद दमकल ने किसी तरह आग बुझाई, लेकिन आज तक सवाल खड़ा है कि इन गोदामों को अनुमति किसने दी और कार्रवाई क्यों नहीं हुई?


सवीना ब्लास्ट : बारूद के ढेर पर मौत


सवीना थाना क्षेत्र में एक साल पहले बंदूक की दुकान में रखे बारूद में हुए विस्फोट से दो लोगों के चिथड़े उड़ गए थे। धमाका इतना जोरदार था कि शवों के टुकड़े सीढ़ियों और सड़क पर जा गिरे। दुकान में बारूद को ऊपरी मंजिल से उतारते समय घर्षण से विस्फोट हुआ, जिससे पूरी इमारत हिल गई। 300 मीटर दूर तक धमाके की आवाज सुनी गई, लेकिन प्रशासन के पास आज भी इस तरह की दुकानों का कोई सुरक्षा रिकॉर्ड नहीं है।


सुखेर हादसा : जब जिंदा जल गए सात मजदूर


साल 2017 में सुखेर रीको क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित केमिकल फैक्ट्री में ब्लास्ट के साथ आग लग गई। फैक्ट्री में रखे अपॉक्सी रेजिन और हार्डनर सॉल्वेंट के ड्रम एक के बाद एक फटते गए। तीन घंटे में 12 धमाके हुए, 2 मजदूर मौके पर ही जिंदा जल गए। पांच अन्य बाद में जिंदगी की जंग हार गए।


जांच में सामने आया कि फैक्ट्री के पास कोई एनओसी, अग्निशमन अनुमति या सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। अंडरग्राउंड टैंक में बड़ी मात्रा में रसायन था। हादसे के बाद कार्रवाई का आश्वासन तो मिला, पर जिम्मेदारों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मामला अभी भी कोर्ट में है।