
Atmika Gupta: राजस्थान में उदयपुर की बेटी आत्मिका गुप्ता ने अपनी मेहनत, लगन और जुनून से एक अनूठी मिसाल कायम की है। वह केवल एक अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज ही नहीं, बल्कि अब भारतीय सेना की लेफ्टिनेंट भी बन चुकी हैं। उनके इस सफर ने हजारों युवाओं को प्रेरणा देने का काम किया है।
बता दें कि आत्मिका का सफर करीब दस साल पहले शुरू हुआ था। जब वह महज 9वीं कक्षा की छात्रा थीं और पहली बार शूटिंग रेंज पर पहुंचीं। उस समय शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि यह बच्ची आने वाले वर्षों में न केवल देश के लिए पदक जीतेगी, बल्कि भारतीय सेना की वर्दी पहनकर देश की रक्षा का दायित्व भी संभालेगी।

आत्मिका ने भारतीय सेना में चयन के लिए संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सीडीएस परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करते हुए 9वां स्थान हासिल किया। इसके बाद उन्होंने एसएसबी की कठिन परीक्षा पास की और चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) में 11 महीने की सख्त ट्रेनिंग पूरी की।
ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने न केवल शारीरिक और मानसिक क्षमता का परिचय दिया, बल्कि उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए अपनी कंपनी की सार्जेंट भी बनीं। इसके अतिरिक्त उन्हें शूटिंग में मार्क्समैन बैज और तैराकी में मेरिट सर्टिफिकेट भी मिला।
हाल ही में OTA चेन्नई में आयोजित पासिंग आउट परेड में आत्मिका लेफ्टिनेंट के रूप में भारतीय सेना का हिस्सा बनीं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने परेड की समीक्षा की।

परेड के दौरान चेतक हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कर नव-नियुक्त सैन्य अधिकारियों का अभिनंदन किया गया। समारोह में 130 पुरुष, 25 महिलाएं और मित्र देशों के 21 कैडेट पास आउट हुए। सभी अभिभावकों को भी इस दौरान गौरव पदक से सम्मानित किया गया।
आत्मिका का नाम पहले से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है। वह देश के लिए जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो रजत पदक जीत चुकी हैं। उनकी इस उपलब्धि का श्रेय जहां उनकी खुद की मेहनत और लगन को जाता है, वहीं उनके माता-पिता की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण रही है।
आत्मिका के पिता अचल गुप्ता अभियंता हैं और मां शिखा गुप्ता गृहिणी। भाई अर्णव गुप्ता एक एमएनसी में कार्यरत हैं। पूरा परिवार हमेशा उनके साथ मजबूती से खड़ा रहा और यही कारण है कि आज आत्मिका इतनी ऊंचाई तक पहुंच पाई हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाली आत्मिका हमेशा पढ़ाई में अव्वल रही हैं। खेल और शिक्षा दोनों में संतुलन साधते हुए उन्होंने यह साबित कर दिया कि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। उनके ट्रेनिंग के बाद उदयपुर लौटने पर भव्य स्वागत हुआ। शूटिंग कोच डॉ. जितेंद्र सिंह चुण्डावत, तीर्थपाल राठौड़ सहित कई निशानेबाजों ने उनका अभिनंदन किया। कॉलोनीवासियों ने भी गर्व से उनका स्वागत किया।
आज लेफ्टिनेंट आत्मिका गुप्ता न केवल उदयपुर बल्कि पूरे राजस्थान और देश की बेटियों के लिए प्रेरणा बन गई हैं। उनका जीवन संदेश देता है कि अगर सपनों को साकार करने का जुनून हो तो कोई भी बाधा रास्ते में रुकावट नहीं बन सकती।
Published on:
12 Sept 2025 02:27 pm

