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पासपोर्ट बनवाना बना सिरदर्द: तलाकशुदा महिला और विदेशी पत्नी वाले परेशान, एक वादा पूरा न होना बना संकट

उदयपुर जिले में पासपोर्ट बनवाना सिरदर्द बन गया है। मामूली औपचारिकताओं में फंसे सैकड़ों आवेदन कोटा कार्यालय में अटके पड़े हैं। रिन्यूअल में बार-बार नए कागज मांगे जा रहे हैं।

Passport Renewal
पासपोर्ट के लिए परेशान होते आवेदक (फोटो- पत्रिका)

उदयपुर: पासपोर्ट बनवाना और उसका नवीनीकरण शहरवासियों के लिए झंझट से भरा सफर बन गया। यहां के आवेदक छोटी-छोटी औपचारिकताओं के नाम पर बार-बार कोटा के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। कहीं अधिकारी मूल दस्तावेज मांग रहे हैं तो कहीं पहले से जमा कागजों पर दोबारा सवाल उठाए जा रहे हैं।


हालत ऐसे हो गए कि शहर के कई नागरिकों के पासपोर्ट रिन्यूअल मामूली कारणों से महीनों से कोटा में अटके पड़े हैं। कोटा के क्षेत्रीय कार्यालय की धीमी प्रक्रिया और वहां बार-बार नए दस्तावेज की मांग से परेशान हो रहे लोगों की पीड़ा जानकार भी जनप्रतिनिधि अनजान बने हुए हैं।


वे उदयपुर में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय खुलवाने के लिए भी प्रयास नहीं कर रहे, जबकि पूर्व में विदेश मंत्रालय व केंद्रीय मंत्री ने उदयपुर में क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय खोलने का आश्वासन दिया था। क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय उदयपुर में नहीं होने से यहां के आदिवासी बहुल इलाके के सैकड़ों लोगों को कोटा तक का सफर करना पड़ता है।


जनप्रतिनिधियों की चुप्पी और अधूरी मांग


उदयपुर में पासपोर्ट सेवा केंद्र खुलने से लोगों को कुछ राहत जरूर मिली, लेकिन जिन मामलों में समस्या आती है, उन्हें कोटा भेज दिया जाता है। पहले इन मामलों को जोधपुर कार्यालय भेजा जाता था।


जनप्रतिनिधियों ने तब विदेश मंत्रालय से संपर्क कर क्षेत्रीय कार्यालय खोलने की मांग की थी, वादा उदयपुर का किया गया, पर कार्यालय कोटा में खोल दिया गया। अब उदयपुर के नागरिकों को फिर वही पुरानी मुश्किल झेलनी पड़ रही है। स्थानीय जनप्रतिनिधि इस मुद्दे पर फिर से सक्रिय नहीं हुए।


केस नंबर एक…


रामेश्वर परिहार और अरविंद सालवी, दोनों राजकीय कर्मचारी हैं। मुख्यालय से अनुमति लेकर पासपोर्ट आवेदन किया, विभागीय पुष्टि भी भेजी। इसके बावजूद पासपोर्ट विभाग ने सील लगाने वाले अधिकारी की डिटेल और मूल प्रति की मांग कर फाइल अटका दी, जबकि इसे संबंधित विभाग को लिखकर इसकी पुष्टि की जा सकती थी।


केस नंबर दो…


खारोल कॉलोनी निवासी तफज्जुल हुसैन ने यमन की नागरिक जुबैदा हातिम अली से विवाह किया। पासपोर्ट रिन्युवल में विवाह प्रमाण पत्र मांगा गया, जो मिलते ही केस कोटा भेज दिया गया। चार बार जाने पर भी कोई जवाब नहीं मिला। यह दंपती कोटा के चक्कर काट रहे हैं और परिजन उनकी विदेश में राह ताक रहे।


केस नंबर तीन…


इंसिया हलवाई वाला ने पति से काजी के माध्यम से तलाक लेकर पहले बेटी का पासपोर्ट केवल मां के नाम से बनवाया था। पांच साल बाद पासपोर्ट रिन्यूअल के समय केस फिर कोटा भेज दिया और अब कोर्ट के तलाक दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जबकि कोर्ट प्रक्रिया हुई ही नहीं थी।


इन केस जैसे कई मामले हैं, जो अब कोटा में फंसे हैं। अधिकांश लोग तीन से चार बार जाकर लौट चुके हैं, लेकिन फाइलें जस की तस हैं। पासपोर्ट रिन्यूअल की स्थिति में भी अधिकारी हर बार नए कागज मांगते हैं, जबकि पहले से जमा दस्तावेज उन्हीं के पास मौजूद है।


ये रही फैक्ट फाइल


-राजस्थान में कुल पासपोर्ट धारक 30 लाख 91 हजार 043
-उदयपुर से प्रतिदिन जारी 200 से 250 पासपोर्ट
-कोटा क्षेत्रीय कार्यालय में लंबित मामले सैकड़ों
-उदयपुर के पासपोर्ट सेवा केंद्र से हर सप्ताह दर्जनों आवेदन रेफर


हाईकोर्ट का स्पष्ट आदेश


राजस्थान हाईकोर्ट ने एक साल पहले अपने आदेश में स्पष्ट कहा था कि पुलिस की रिपोर्ट भी निगेटिव होने पर भी किसी नागरिक को पासपोर्ट से वंचित नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि पासपोर्ट प्राधिकरण पुलिस रिपोर्ट से बंधा नहीं है फिर भी विभाग मामूली बिंदुओं पर आवेदनों को रोक रहा है।