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बर्ड विलेज मेनार में दिखा यूरेशियन हॉबी और यूरोपियन रोलर

मेनार पहुंचे वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर और पक्षी विशेषज्ञों के दल ने सुबह-सुबह वेटलैंड क्षेत्र में दो प्रवासी पक्षियों यूरेशियन हॉबी और यूरोपियन रॉलर को देखा और उनकी अठखेलियों को कैमरे में कैद किया। यह दृश्य पक्षी प्रेमियों के लिए बेहद सुखद रहा।

बर्ड विलेज मेनार में दिखा प्रवासी पक्षी।

मेनार (उदयपुर). सर्दी के दस्तक देने के साथ ही मेनार तालाब में प्रवासी पक्षियों का डेरा जमना शुरू हो गया है। पक्षियों की चहचहाहट और उड़ान ने तालाब क्षेत्र को जीवंत बना दिया है। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर और बर्ड वॉचर्स के दल यहां पहुंचकर इन दुर्लभ पक्षियों को निहारने और कैमरे में कैद करने लगे हैं। इसी वर्ष रामसर साइट घोषित हुए मेनार वेटलैंड कॉम्प्लेक्स का महत्व अब और बढ़ गया है। यहां आने वाले पर्यटक भी अब गंभीर दृष्टि से इस क्षेत्र को देख रहे हैं। सर्दी के शुरुआती दिनों में ही ऐसे प्रवासी पक्षी दिखाई देने लगे हैं जो सामान्यतः कम नजर आते हैं। मेनार पहुंचे वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर और पक्षी विशेषज्ञों के दल ने सुबह-सुबह वेटलैंड क्षेत्र में दो प्रवासी पक्षियों यूरेशियन हॉबी और यूरोपियन रॉलर को देखा और उनकी अठखेलियों को कैमरे में कैद किया। यह दृश्य पक्षी प्रेमियों के लिए बेहद सुखद रहा। दल में देवेंद्र सिंह राठौड़, विजेंद्र प्रकाश परमार, उत्तम पेगु, प्रदीप जोशी, विशाल महाजन और धर्मवीर सिंह जोधा शामिल थे। राठौड़ ने बताया कि सर्दी की शुरुआत में ऐसे पक्षियों का दिखना इस क्षेत्र की जैव विविधता के लिए शुभ संकेत है। दल को विजिट के दौरान ग्रे फ्रैंकोलिन, जंगल बुश-क्वेल, कॉमन क्रेन, कॉमन सैंडपाइपर, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल, वेस्टर्न मार्श हैरियर, यूरोपियन रोलर, यूरेशियन राइनैक, यूरेशियन केस्ट्रेल, यूरेशियन हॉबी, लेसर व्हाइटथ्रोट, रोज़ी स्टार्लिंग, ब्लूथ्रोट और सायबेरियनस्टोनचैट सहित दो दर्जन से अधिक स्थानीय एवं प्रवासी पक्षी दिखाई दिए। विशेषज्ञों के अनुसार, यूरेशियन हॉबी फाल्कन समूह का छोटा बाज है, जो यूरोप आदि इलाको ब्रीड करता है तथा शीतकाल में दक्षिण एशिया तक पहुंचता है। वहीं यूरोपियन रोलर पैसेज माइग्रेटरी पक्षी है, जो भारत से होकर गुजरता है लेकिन यहां स्थायी रूप से नहीं रुकता। इन दोनों का मेनार तालाब में दिखना इस वेटलैंड की महत्ता को और पुष्ट करता है।

एक्सपर्ट का कहना है : -

यूरेशियन हॉबी फाल्कन समूह का एक छोटा बाज पक्षी है। यह ट्रांस-हिमालय के उस पार यूरोप आदि इलाकों में प्रजनन करता है। शीतकाल के दौरान यह दक्षिण एशिया और अफ्रीका तक पहुँच जाता है। हमारे यहां राजस्थान में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान तथा उदयपुर के उबेश्वर क्षेत्र में दिखाई देता है। यह कम संख्या में आता है। वहीं हमारे यहां दो प्रकार के रोलर पाए जाते है, एक स्थानीय इंडियन रोलर और दूसरा यूरोपियन रोलर, जो प्रवासी है। यूरोपियन रोलर का पुराना नाम कश्मीर रोलर भी है। प्रवास (माइग्रेशन) के दौरान यह राजस्थान, सिंध, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के रास्ते अरब, अफ्रीका, ईरान तथा इराक आदि देशों में चला जाता है। यह हमारे यहां स्थायी रूप से नहीं रुकता, बल्कि पैसेज माइग्रेटरी है, जो अस्थायी रूप से ठहरता है। इसका मार्ग हमारे क्षेत्र से होकर गुजरता है, लेकिन यह अन्य प्रवासी पक्षियों की तरह लौटते समय उसी मार्ग से वापस नहीं आता। इसकी एक और विशेषता है कि यह दिन के समय प्रवास करता है और कम ऊंचाई पर अकेले उड़ान भरता है।

डॉ. सतीश शर्मा

वन्यजीव विशेषज्ञ, उदयपुर