
Registry Charges In Rajasthan: राजस्थान में आरसीसी छत वाले कंस्ट्रक्शन की रजिस्ट्री की दर बढ़ा दी गई है। इससे आमजन की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। पहले जहां प्रति वर्ग फीट निर्माण पर 1200 रुपए की दर से रजिस्ट्री होती थी, अब यह दर बढ़ाकर 1800 रुपए प्रति वर्ग फीट कर दी गई है। इस बदलाव से आम जनता पर भारी आर्थिक दबाव महसूस होगा, क्योंकि यह वृद्धि सीधा उनके खर्चे में इजाफा करेगी।
राजस्व विभाग ने राज्य सरकार के आदेश पर यह दरें बढ़ाई है। यह आदेश गत दिनों जारी हुए हैं। इसके अलावा अगर किसी जमीन पर मल्टी स्टोरी शॉपिंग मॉल बना है, जिसमें बेसमेंट, मल्टीप्लेक्स है तो उसमें कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 1815 रुपए से बढ़ाकर 2100 रुपए कर दी गई है। इसी तरह बिना मल्टीप्लेक्स वाले शॉपिंग मॉल की लागत को 1430 से बढ़ाकर 2000 रुपए कर दिया गया है।
किसी ने अगर 900 वर्ग फीट का मकान खरीदा है तो पहले आरसीसी निर्माण की रजिस्ट्री 1200 रुपए प्रति वर्ग फीट के हिसाब से होती थी। इसके तहत कुल निर्माण की दर 10 लाख 80 हजार रुपए हाेती थी। अब नई दरें लागू होने पर 16 लाख 20 हजार रुपए निर्माण दर पर स्टांप ड्यूटी अदा करनी होगी।
ऐसे में 5 लाख 40 हजार रुपए पर अतिरिक्त स्टांप ड्यटी देय होगी। आदेश के तहत पट्टी वाले मकान की दर अलग है। पहले इस मकान की दर 600 रुपए प्रति वर्ग फीट थी। जिसे अब बढ़ाकर एक हजार रुपए कर दिया गया है।
नई दरों के अनुसार मकान, दुकान और व्यावसायिक संपत्तियों की रजिस्ट्री के समय निर्माण लागत के आधार पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान करना होगा।
यह बढ़ोतरी राजस्थान के रियल एस्टेट बाजार पर बड़ा असर डालेगी और खरीदारों को अपनी योजनाओं पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करेगी। इससे न केवल खरीदारों को अधिक पैसा देना होगा, बल्कि बिल्डर्स को भी अपनी योजनाओं में बदलाव करना पड़ सकता है।
कोई ऐसी जमीन जो खाली है और उस पर केवल बाउंड्रीवाल ही बनी है तो उसकी निर्माण लागत को भी बढ़ाया गया है। पहले यह बाउंड्रीवाल की लागत 400 रुपए प्रति रनिंग मीटर थी, जिसे बढ़ाकर अब 500 रुपए कर दिया गया है। इसी तरह औद्योगिक प्लॉट पर बने शेड या वेयरहाउस की लागत 5000 रुपए कर दी गई है जबकि इससे पहले इसकी गणना 3000 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से की जाती थी।
मकान की रजिस्ट्री कराने वाले मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि उन्होंने गत सप्ताह मकान की डीएलसी दर पूछी थी। वह दस्तावेज तैयार करने वाले डीड राइटर के पास पहुंचा तो उन्हें झटका लगा। उन्हें पता चला कि 900 वर्ग फीट के मकान पर अब अतिरिक्त राशि देनी होगी। पहले रजिस्ट्री कराई होती तो बड़ी राशि बच जाती।
पूर्व में नगर पालिका के पेराफेरी एरिया में कृषि भूमि एक हजार वर्ग मीटर से अधिक पर वहां की निर्धारित कृषि भूमि की डीएलसी दर अदा करनी होती थी। वहीं एक हजार वर्ग मीटर से कम होने पर आवासीय दर अदा करनी होती थी। जो अब बढ़ाकर दो हजार वर्ग मीटर कर दी गई है।
यानी अब दो हजार वर्ग मीटर से कम भूमि होने पर आवासीय दर अदा करनी होगी। ऐसे में छोटा किसान अब छोटी स्तर पर जमीन नहीं खरीद सकता। खेती की छोटी जमीन खरीदने का सपना देखने वाले किसान को आवासीय के मुताबिक ही डीएलसी दर अदा करनी होगी। जो कृषि भूमि की अपेक्षा कहीं- कहीं पांच से 10 गुना तक अधिक है।
Updated on:
18 Nov 2025 05:45 pm
Published on:
18 Nov 2025 05:28 pm

