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लक्ष्मी पूजन की थाली पड़ेगी भारी, दीपावली से पहले चांदी की ऊंची छलांग

इस बार धनतेरस पर चांदी खरीद व दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के थाल में चांदी के सिक्के रखना आम उपभोक्ता की जेब पर भारी पड़ेगा। इस बार चांदी के भावों में लगी आग थमने का नाम नहीं ले रही है।

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Lakshmi Pujan Thali will be heavy, silver prices jump high before Diwali

सूरतगढ़. ज्वैलर की दुकान पर धनतेरस के लिए रखे हुए लक्ष्मीजी व गणेशजी के चांदी के सिक्के।

सूरतगढ.(श्रीगंगानगर)़. इस बार धनतेरस पर चांदी खरीद व दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के थाल में चांदी के सिक्के रखना आम उपभोक्ता की जेब पर भारी पड़ेगा। इस बार चांदी के भावों में लगी आग थमने का नाम नहीं ले रही है। पिछले एक महीने से भी कम समय में चांदी के दामों में 24 हजार रुपये प्रति किलो तक की उछाल आई है, जबकि गत शनिवार को एक ही दिन में चांदी के भावों में 8500 रुपए का जबरदस्त उछाल आया है और अब चांदी 1 लाख 70 हजार रुपए प्रति किलो के पार पहुंच गई। वहीं सोने की बात करें तो, शुद्ध सोना 2100 रुपए तेज होकर 1 लाख 27 हजार और जेवराती सोना 1900 रुपए बढकऱ 1 लाख 18 हजार 400 रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच गया है। सर्राफा व्यापारियों की मानें तो, इस बार चांदी के घरेलू उपभोग में 10 से 15 प्रतिशत तक खरीद में गिरावट आने का अनुमान है। उपहार और पूजा की सामग्री के रूप में चांदी की खरीद पर असर साफ देखा जा सकता है।

निवेश अच्छा लेकिन खरीदारी कमजोर रहने का अनुमान

भारत में धनतेरस और दीपावली जैसे पारंपरिक पर्वों में हर घर में लक्ष्मी पूजन के लिए चांदी के सिक्के, लक्ष्मीजी व गणेशजी की चांदी की मूर्ति व चांदी की पूजन सामग्री खरीदी जाती है। खासकर पारंपरिक रूप से धनतेरस पर लाखों लोग चांदी के सिक्के खरीदते हैं, लेकिन इस बार चांदी की कीमतों की ऊंची उड़ान ने मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं की ङ्क्षचता बढ़ा दी है।
यूं तो चांदी की कीमतों में उछाल का सिलसिला गत वर्ष दिसंबर माह से शुरु हो गया था लेकिन इस वर्ष चांदी की कीमतों में अभूतपूर्व तेजी देखने को मिली है। पिछले सितंबर में जहां चांदी 1,46,280 प्रति किलो थी, वह एक माह से भी कम समय में बढकऱ 1 लाख 70 हजार रुपए तक पहुंच चुकी है। इस साल चांदी ने अब तक 52 प्रतिशत का रिटर्न दिया है, जबकि सोने ने 36 से 38 प्रतिशत तक। ऐसे में चांदी निवेशकों के लिए तो फायदे का सौदा साबित हो रही है लेकिन आम उपभोक्ता के लिए बोझ बन गई है।

वैश्विक हालात और आयात पर पाबंदी भारी

गौरतलब है कि सोने व चांदी के भाव अंतरराष्ट्रीय स्तर से तय होते हैं। लंबे समय से विश्व में युद्ध के हालात तथा सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के टेरिफ वॉर वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बनी हुई है। अस्थिरता के माहौल में निवेशक सुरक्षित विकल्पों की ओर झुकते हैं और कीमती धातुओं में निवेश करते हैं। वहीं भारत सरकार की ओर से मार्च 2026 तक चांदी के आयात पर सख्त पाबंदी, वैश्विक आपूर्ति में कमी और औद्योगिक मांग के बढऩे से चांदी की उपलब्धता बेहद सीमित हो गई है। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष में 1.2 अरब औंस चांदी की मांग अनुमानित है, जबकि खनन केवल 800 मिलियन औंस तक सीमित है। जिससे बैकवर्डेशन की स्थिति बन गई है अर्थात वर्तमान स्पॉट कीमतें भविष्य की डिलीवरी कीमतों से अधिक हो गई हैं।